आधुनिक काल की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं – (1) आधुनिक काल की कविता की मूल धारा देश भक्ति की है। (2) आधुनिक काल की कविता में जनवादी चिन्तन परकता है। वहाँ केवल राजनीतिक -श्रीनंता का साहित्य न हो…
अँधेर नगरी प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र का लोकप्रिय नाटक है। इस नाटक में विवेकहीन और निरंकुश शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य करते हुए उसे अपने ही कर्मों द्वारा नष्ट होते दिखाया गया है। भारत…
हरिऔध जी का व्यक्तित्व ऋषियों के समान महान् था। उनके रहन-सहन और आचार-व्यवहार से सरलता और सौम्यता टपकती थी। पुराने आदर्शों और प्राचीन संस्कृति से प्रेम होते हुए वे नवीन प्रगतिशील विचारों के समर्थक थे।…
सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता वीरों का कैसा हो वसंत राष्ट्रीयता और देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत रचना है। जिसमें कवयित्री ने भारतीय नवयुवकों का आह्वान करते हुए इस बात पर बल दिया है, कि भारतीय नवयु…
कवयित्री द्वारा उचित 'झाँसी की रानी' कविता राष्ट्रीय भावनाओं से ओत-प्रोत है। यह कविता सर्वाधिक लोकप्रिय है और उसे जो प्रसिद्धि मिली वह महाकाव्यों को भी दुर्लभ है। इस कविता को सुनने के बाद भार…
परिवर्तन पंत जी द्वारा उचित एक लम्बी कविता है जो मूलतः 'पल्लव' नामक संकलन में संकलित है। परिवर्तन कविता का मूल विषय दार्शनिक है किन्तु पंतजी ने इसे काव्य की सरलता से युक्त कर दिया है। …
अंधेर नगरी भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित एक क्लासिक हिंदी नाटक है, जिन्हें अक्सर "आधुनिक हिंदी साहित्य का पिता" माना जाता है। यह नाटक कुशासन की मूर्खता और सत्ता का आँख मूंदकर अनुसरण करने…
पाश्चात्य विद्वानों द्वारा निश्चित किए गए एकांकी के तत्वों का समन्वय बहुत कुछ अंशों में भारतीय नाट्य-तत्वों में ही हो जाता है। पाश्चात्य विद्वानों ने एकांकी के निम्नलिखित सात तत्व माने है कथावस्तु या…
एकांकी को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के साथ अपने ऊर्जस्वी लेखन से समृद्ध करने वालों में श्री भुवनेश्वर का नाम अत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्रो. प्रकाशचन्द्र गुप्त, पद्मसिंह शर्मा 'कमलेश' आदि विद्वान भ…
एकांकी के शिल्प-विधान अर्थात् एकांकी के तत्वों की दृष्टि से भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वानों के विचारों में पर्याप्त अन्तर दिखाई देता है। भारतीय एकांकी शास्त्रियों ने एकांकी के निम्नलिखित तत्व स्वीकार …
एकांकी नाटक के तत्त्वों की दृष्टि से भारतीय और पाश्चात्य विद्वानों ने एकांकी के पाँच तत्त्व स्वीकार किये हैं - वस्तु पात्र रस अभिनय वृत्ति पाश्चात्य विद्वानों ने एकांकी के निम्नलिखित सात तत्व स्वीकार…
हिन्दी साहित्य के सुख्यात एकांकीकार उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित 'दस हजार' एकांकी को प्रहसन की कोटि में रखा जा सकता है। प्रहसन उस एकांकी को कहा जाता है, जिसमें किसी बात पर हास्य अथवा व्यंग…