अंधेर नगरी भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखित एक क्लासिक हिंदी नाटक है, जिन्हें अक्सर "आधुनिक हिंदी साहित्य का पिता" माना जाता है। यह नाटक कुशासन की मूर्खता और सत्ता का आँख मूंदकर अनुसरण करने…
पाश्चात्य विद्वानों द्वारा निश्चित किए गए एकांकी के तत्वों का समन्वय बहुत कुछ अंशों में भारतीय नाट्य-तत्वों में ही हो जाता है। पाश्चात्य विद्वानों ने एकांकी के निम्नलिखित सात तत्व माने है कथावस्तु या…
एकांकी को आधुनिक तकनीक से जोड़ने के साथ अपने ऊर्जस्वी लेखन से समृद्ध करने वालों में श्री भुवनेश्वर का नाम अत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्रो. प्रकाशचन्द्र गुप्त, पद्मसिंह शर्मा 'कमलेश' आदि विद्वान भ…
एकांकी के शिल्प-विधान अर्थात् एकांकी के तत्वों की दृष्टि से भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वानों के विचारों में पर्याप्त अन्तर दिखाई देता है। भारतीय एकांकी शास्त्रियों ने एकांकी के निम्नलिखित तत्व स्वीकार …
एकांकी नाटक के तत्त्वों की दृष्टि से भारतीय और पाश्चात्य विद्वानों ने एकांकी के पाँच तत्त्व स्वीकार किये हैं - वस्तु पात्र रस अभिनय वृत्ति पाश्चात्य विद्वानों ने एकांकी के निम्नलिखित सात तत्व स्वीकार…
हिन्दी साहित्य के सुख्यात एकांकीकार उदयशंकर भट्ट द्वारा रचित 'दस हजार' एकांकी को प्रहसन की कोटि में रखा जा सकता है। प्रहसन उस एकांकी को कहा जाता है, जिसमें किसी बात पर हास्य अथवा व्यंग…
एकांकीकारों में डॉ. लक्ष्मीनारायण लाल का विशेष स्थान है। व्यक्ति और समाज के जीवन में व्याप्त विविध समस्याओं का चित्रण आपके एकांकियों में मिलता है। इस दृष्टि से आपका मम्मी ठकुराइन एकांकी विशेष …
डॉ.रामकुमार वर्मा हिन्दी एकांकी साहित्य में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थान के अधिकारी हैं। कुछ विद्वान यह भी मानते हैं कि डॉ. रामकुमार वर्मा ने ही हिन्दी एकांकी को जन्म दिया। डॉ. वर्मा ने प्रमुखतः सामाज…
प्रस्तुत एकांकी 'स्ट्राइक' आधुनिक जीवन की पृष्ठभूमि को एकांकीकार भुवनेश्वर प्रसाद ने इस एकांकी में आधुनिक जिंदगी जी रहे एक ऐसे मध्यमवर्गीय समाज का जीवन-चित्र प्रस्तुत किया है, जिसमें पति-पत्न…
श्री लक्ष्मीनारायण मिश्र हिन्दी एकांकी जगत के विख्यात एकांकीकार हैं। 'एक दिन' उनकी एक प्रसिद्ध रचना है। इस एकांकी की कथा निम्न प्रकार है। राजनाथ एक वृद्ध पुरुष है। उनकी आयु 55 वर्ष के …
अंधेर नगरी नाटक से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी लोभ नहीं करना चाहिए क्योंकि लोभ का परिणाम संकट में फँसना है। जिस प्रकार अंधेर नगरी नाटक में प्रत्येक वस्तु टके सेर मिलती है। टके सेर मिलने के…
अन्धेर नगरी भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की हास्य-नाट्यकृति है, किन्तु इस रचना का मूल उद्देश्य पाठकों अथवा दर्शकों का मनोरंजन करना नहीं है। यद्यपि इस कृति के मंचन के समय दर्शक हास्य रस में भी मग्न हो…