छत्तीसगढ़ मध्य भारत में स्थित एक राज्य है। यह उत्तर और उत्तर पूर्व में उत्तर प्रदेश और झारखंड, पूर्व में ओडिशा, दक्षिण में तेलंगाना और पश्चिम में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश से घिरा है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर है। और इसका क्षेत्रफल 135,194 वर्ग किमी है। यह भारत का 10वा सबसे बड़ा राज्य है।
आगे इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ के प्रतिक चिन्ह और राजकीय वृक्ष, राजकीय पशु और राजकीय पक्षी के बारे में जानकारी दिया गया है।
छत्तीसगढ़ के प्रतीक चिन्ह
छत्तीसगढ़ के बीच सुरक्षित विकास की अदम्य आकांक्षा को दर्शाता गोलाकार चिन्ह, जिसके मध्य में भारत का प्रतीक चिन्ह अशोक स्तम्भ, आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते, राज्य की प्रमुख फसल धान की सुनहली बालियों, भरपूर ऊर्जा के प्रतीक के बीच राष्ट्र ध्वज के तीन रंगों के साथ छत्तीसगढ़ की नदियों को रेखांकित करती लहरें हैं। छत्तीसगढ़ की प्रतिक चिन्ह है। छत्तीसगढ़ के प्रतिक चिन्ह का निर्धारण 4 सितंबर 2001 को किया गया था।
छत्तीसगढ़ राजकीय वृक्ष
राजकीय वृक्ष साल का अंग्रेजी तथा वैज्ञानिक नाम सोरिया रोबुस्टा है यह एक प्रकार का इमारती वृक्ष है। जिसका प्रयोग लोगों द्वारा इमारतों में किया जाता है। साथ ही इसके बनावट या रूप रंग की बात करें तो इस वृक्ष के पत्ते तो उतने ज्यादा बड़े नहीं होते हैं। कॉमन होते हैं जैसे अन्य वृक्षों के होते हैं।राजकीय वृक्ष साल अर्ध पर्णपाती है कहने का मतलब यह है की यह पूरी तरह से आपने पत्ते नहीं झडाता है। साथ ही इसके फूल की बात करें तो इसमें बहुत ज्यादा फूल आतें हैं। साल के वृक्ष का फल औषधीय उपयोग में भी लाया जाता है। इसके अन्य नामों की बात करें तो इसे संस्कृत में अग्निवल्लभा के नाम से भी जाना जाता है, साथ ही इन दो और नाम अश्वकर्ण या अश्वकर्णिका नाम से ही संस्कृत में ही प्रचलित नाम हैं।
साल |
इस वृक्ष का प्रयोग इमारतों में दरवाजे बनाने, चौखट तथा खिड़खियों को बनाने के लिए भी प्रयोग किया होता है। इसका कारण यह है की यह बहुत ही ज्यादा मजबूत होता है और किसी भी प्रकार के मार को आसानी से सह सकता है।
यह दिखने में भी अच्छा होता है जिसमें सिलवटें बनी होती हैं और जो कि सागौन के
वृक्ष का मुकाबला करता है। दिखाई देने में इसमें किसी भी प्रकार के कीड़ें उन
वृक्षों के बने समानों में नहीं लगते हैं जो की अच्छे से पके होते हैं।
साल का वृक्ष छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज द्वारा दैविक महत्व या भगवान के रुप
में पूजा जाता है। यह उनका देवता है और जब वे नए वर्ष या जिसे छत्तीसगढ़ी नवा
ख़्वाई कहते हैं। में इसकी पूजा करके इसके नीचे नवा भात खाया जाता है।
साल का वृक्ष बस्तर के जंगलों में ज्यादा पाया जाता है। छत्तीसगढ़ की बात करें तो जो कि बहुत बड़े बड़े भी होते हैं। इसके अलावा उत्तरप्रदेश, बंगाल, झारखण्ड तथा असम के जंगलों में पाया जाता है। पूरे विश्व को मिलाकर इसके कुल 9 प्रजातियाँ हैं जिनमे इन 9 प्रजातियों में सोरिया रोबस्टा प्रमुख है। इसका रेजिन अम्लीय होता है जो कि औषधीय रूप के प्रयोग किया जाता है। इसके छाले का प्रयोग किया जाता है। तथा इसके अलावा छाल औषधीय रूप में प्रयोग किया जाता है जो कि रंजक के काम आता है।
छत्तीसगढ़ राजकीय पशु
राजकीय पशु - वन भैंसा न केवल छत्तीसगढ़ में पाया जाता है बल्कि यह हमारे देश के विभिन्न क्षेत्रों में पाया जाता था। लेकिन आज इनकी संख्या कम होती जा रही है। छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु के रूप में इसे 4 जुलाई 2001 को स्वीकार किया गया। छत्तीसगढ़ के दन्तेवाड़ा जिले में यह मुख्य रूप से पाया जाता है। जो कि जंगली भैसा का शुद्ध नस्ल है। छत्तीसगढ़ राज्य के वन भैसे को राजकीय पशु के रूप में इसीलिए भी चुना गया ताकि इनका संरक्षण किया जा सके। छतीसगढ़ राज्य के राजकीय पशु को अंग्रेजी में Wild Buffalo के नाम से जाना जाता है।वन भैंसा |
छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु का वैज्ञानिक नाम babulas bubalis है। जो कि छत्तीसगढ़ में वनभैंसा के नाम से प्रसिद्ध है। यह जंगलों में स्वतंत्रता पूर्वक विचरण करता रहता है इसे पाला नहीं जाता है। यह सामान्य भैसों से अलग होता है। और इसके शरीर कद काठी सामान्य भैंसों से अलग और बड़ा होता है।
छत्तीसगढ़ राजकीय पक्षी
छत्तीसगढ़ का राजकीय पक्षी बस्तरिया पहाड़ी मैना है जो कि बस्तर में पाया जाता है। इसकी शारीरिक संरचना की बात करें तो यह अन्य पहाड़ी मैनो के हिसाब से काफी बड़ी होती हैं। ऊंचाई इनकी गर्दन की और टाँगे काफी बड़ी होतीं हैं जिनके मुंह या चोंच का रंग पीला होता है। जो की बहुत ही मस्त लगता है देखने पर और साथ ही यह मैना प्रवासी भी होता है जो की अलग अलग मौसम में अलग अलग जगहों में पाया जाता है। राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना का अंग्रेजी नाम gracula religiosa peninsularis है। जो कि सामान्य मैना की जातियों से थोड़ा अलग है।पहाड़ी मैना |
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