कुतुब मीनार दिल्ली में स्थित भारत की सबसे ऊँची मीनार है। जिसकी ऊँचाई 72.5 मीटर है। शिखर तक जाने के लिए इसमें 379 सीढियाँ बनायीं गयी हैं। मीनार के चारों ओर भारतीय कला के कई उत्कृष्ट नमूने देखे जा सकते हैं। कुतुब मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में बनवाया था। यह परिसर युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में स्वीकृत किया गया है।
कुतुब मीनार का इतिहास
कुतुब मीनार दिल्ली में स्थित एक विशाल मीनार है। यह देश के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। कुतुब मीनार का संक्षिप्त इतिहास इस प्रकार है -
कुतुब मीनार को दिल्ली सल्तनत के संस्थापक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1199 ईस्वी में बनवाया था। ऐबक ने मीनार का निर्माण शुरू किया और उसकी मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसे जारी रखा। मीनार के निर्माण में कई वर्षों का समय लगा और अंतत: 13वीं शताब्दी के प्रारंभ में इसे पूरा किया गया। मीनार को लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है।
कुतुब मीनार को एक विजय मीनार के रूप में बनाया गया था। यह मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बना है और यह लगभग 240 फीट जितना ऊँचा है। मीनार में पाँच अलग-अलग मंजिल हैं।
14 वीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक द्वारा मीनार में दो और मंजिलें जोड़ीं। बाद में 1369 में एक बिजली गिरने से सबसे ऊपरी मंजिल क्षतिग्रस्त हो गई जिसे तत्कालीन शासक सिकंदर लोदी ने ठीक करवाया था।
अपने ऐतिहासिक और स्थापत्य महत्व के कारण, कुतुब मीनार को 1993 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर के रूप में नामित किया गया हैं। इसे भारत में इंडो-इस्लामिक वास्तुकला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक माना जाता है। जिसे हर साल दुनिया से लोग देखने आते है।
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