मध्य प्रदेश से अलग छत्तीसगढ़ 1 नवंबर 2000 को संघ के 26वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। यह लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करता है। प्राचीन काल में यह क्षेत्र दक्षिण-कौशल के नाम से जाना जाता था।
इसका उल्लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है। छठी और बारहवीं शताब्दी के बीच इस क्षेत्र में सरभपुरिया, पांडुवंशी, सोमवंशी, कलचुरी और नागवंशी शासकों का प्रभुत्व था। कलचुरियों ने छत्तीसगढ़ में 980 से 1791 ई. तक शासन किया।
1845 में अंग्रेजों के आगमन के साथ राजधानी रतनपुर के स्थान पर रायपुर को प्रमुखता प्राप्त हुई। 1904 में संबलपुर को ओडिशा में स्थानांतरित कर दिया गया और सरगुजा की सम्पदा को बंगाल से छत्तीसगढ़ में स्थानांतरित कर दिया गया। क्षेत्रफल की दृष्टि से छत्तीसगढ़ नौवां सबसे बड़ा राज्य है और जनसंख्या की दृष्टि से यह देश का सत्रहवाँ राज्य है।
छत्तीसगढ़ का कुल क्षेत्रफल कितना है
छत्तीसगढ़ के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की बात करे तो यह 1,35,194 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इसकी लंबाई उत्तर से दक्षिण की तरफ 700 कि मी है, तथा चौड़ाई की बात की जाये तो पूर्व से पश्चिम की ओर इसकी चौड़ाई 435 किमी है।
इसका विस्तार उत्तर में उत्तरप्रदेश और दक्षिण में तेलांगना तक फैला हुआ है। यह पर जंगल और नदियों की बहुलता है इसी कारण यहाँ धान की खेती की जाती है।
छत्तीसगढ़ की जनसंख्या
यहाँ की जनसंख्या को देखा जाये तो इसकी जनसंख्या 2,55,40,196 है वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार और भारत की कुल जनसंख्या का 2.11 % है।छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य
छत्तीसगढ़ के आस-पास राज्यों में उत्तर में उत्तरप्रदेश, उत्तर-पूर्वी सीमा में झारखण्ड से घिरा है तथा दक्षिण-पूर्व में ओडिशा राज्य स्थित है। दक्षिण में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना है। दक्षिण-पश्चिम भाग में महारष्ट्र तथा उत्तर-पश्चिम भाग में मध्य प्रदेश स्थित है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ कुल 7 राज्यों से घिरा हुआ है।छत्तीसगढ़ की प्रमुख पहाड़ और क्षेत्र
छत्तीसगढ़ में कई पहाड़ो की शृंखला है जिसमे से चांगभखार की पहाड़िया कोरिया सरगुजाहुर जसपुर में फैला हुआ है इन्ही पहाड़ो से हसदो नदी का उद्गम होता है। इनके लावावा मैकाल पर्वत, बैलाडीला और अबुझमाड की पहाड़िया छत्तीसगढ़ पर विधमान है। छत्तीसगढ़ में कई पहाड़ियों की श्रृंखला है जिसमे कई बड़े और छोटे पहाड़ी आते है।छत्तीसगढ़ में अधिकतर पहाड़ उत्तर भाग में है। निचे कुछ मुख्य पहाड़ियों का लीस्ट दिया गया है -- रावघाट: विस्तार - कांकेर,
- अरिडोंगरी की पहाड़ी: विस्तार - कांकेर
- दल्लीराजहरा, डांडिलोहरा: विस्तार - बालोद
- मैकल पर्वत श्रेणी: विस्तार - राजनांदगांव,
- अबूझमाड़ की पहाड़ियाँ: विस्तार - नारायणपुर
- बैलाडीला: विस्तार - दंतेवाड़ा
छत्तीसगढ़ का मैदान
छत्तीसगढ़ में महानदी एक प्रमुख नदी है जो कई किलोमीटर में उपजाऊ मिटटी को बहाकर मैदान का निर्माण करती है जो 80 किलोमीटर चौड़ा और 320 किलोमीटर लम्बा मैदान है जो समुद्र तल से 300 मिटर ऊचा है।इस राज्य का क्षेत्रफल पूरे भारत के राज्यों में से 16 राज्यों से अधिक है। छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल पंजाब, हरियाणा एवं केरल इन तीनों राज्यों के योग से अधिक है। छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग का क्षेत्रफल केरल के क्षेत्रफल से अधिक है। बस्तर सम्भाग का विस्तार 39,114 वर्ग किमी है। इसके भौगोलिक विस्तार में कई असमानताएं हैं जैसे की उत्तर-पूर्वी भाग अर्थात कोरिया , सरगुजा तथा जशपुर जिलों पर्वतमालाओं एवं पठारों का विस्तार है। मैकाल पर्वत श्रेणी कवर्धा जिले में दक्षिण-पूर्व तक फैला हुआ है।
रायपुर जिला महानदी के ऊपरी कछार और पूर्वी सीमा पर पहाड़ी मैदान में विभक्त है। दुर्ग एवं राजनांदगाँव छत्तीसगढ़ के मैदान और मैकाल श्रेणी में बटा है। बस्तर का अधिकांश भाग पठारी है। जिसकी समुद्रतल से औसत ऊंचाई 600 मी है। पूर्वी भाग में सक्ती पर्वत लगभग महानदी कछार तक फैला है।
रायगढ़ जिला छोटानागपुर का पश्चिमी छोर है। इस प्रकार छत्तीसगढ़ की माटी दूर-दूर तक इन हवाओं में फैली हुई है। आओ कुछ और महत्वपूर्ण बाते जानते हैं जो की आपके सामने इस प्रकार से प्रस्तुत है -
नोट - नदियों , पठार, वन, पर्वतमाला व मैदानी क्षेत्र के बारे में कुछ जानकारियाँ छत्तीसगढ़ के मैदान को छत्तीसगढ़ बेसिन या महानदी बेसिन भी कहते हैं, जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 300 मी है। इसके मैदान को ' धान का कटोरा ' नाम से भी जाना जाता है।
छत्तीसगढ़ का मैदान मुख्य रूप से लाल-पीली मिट्टी का प्रदेश है। यहाँ कृषि भूमि की अधिकता है तथा आर्द्र व शुष्क पर्णपाती वनों का बाहुल्य है।
छत्तीसगढ़ के मैदान की प्रमुख नदी महानदी है। शिवनाथ, हसदो, खारून, माण्ड, पैरी, जोक, सुरंगी व अरपा इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं, जिनका प्रवाह क्षेत्र छत्तीसगढ़ के मैदान से होता है। बघेलखण्ड का पठार प्राचीनतम भू-खण्डों में से एक है। यह खनिज संसाधनों यथा कोयला , बॉक्साइट तथा चुना पत्थर से धनी है।
बुंदेलखंड का पठार गंगा तथा महानदी का जल को विभाजक करता है। इसके अतिरिक्त सोन, रेणुका, कन्हार आदि नदियाँ महत्वपूर्ण हैं। बुंदेलखंड के पठार की प्रमुख चोटियाँ - मिलान, जैम, धनवारसा तथा कैरो है।
कर्क रेखा बुंदेलखंड के पठार के लगभग मध्य से गुजरती हैं। बुंदेलखंड का पठार ऊंचे साल वनों का क्षेत्र है। हसदो रामपुर बेसिन में अनेक श्रृंखलाबद्ध जलप्रपात देखने को मिलते हैं। जशपुर का पाट क्षेत्र क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी पाट भूमी वाला क्षेत्र है।
दण्डकारण्य पठार जिसको बस्तर का पठार के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ उष्ण आद्र पर्णपाती एवं उष्ण-शुष्क पर्णपाती वन पाए जाते हैं, यहाँ जैव-विविधता पाई जाती है। अबूझमाड़ पर्वतमाला पर बैलाडीला की पहाड़ियाँ स्थित हैं,जिसकी मुख्यतः अवस्थिति दन्तेवाड़ा जिले में है।
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