जलीय पारिस्थितिकी तंत्र - Water ecosystem in Hindi

पारिस्थितिकी तंत्र जीवों जैसे पौधे, जानवर और सूक्ष्म जीव का एक समुदाय है जो अपने पर्यावरण के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। इस परस्पर क्रिया में पोषक चक्र शामिल हैं। पारिस्थितिकी तंत्र आकार में भिन्न होते हैं, छोटे तालाब से लेकर बड़े वर्षावन तक हो सकता हैं।

इसके प्रमुख घटक निम्न हैं - 

  1. जैविक - पौधे, जानवर और सूक्ष्मजीव।
  2. अजैविक - सूर्य का प्रकाश, पानी, हवा, मिट्टी, तापमान और ऑक्सीजन।

पृथ्वी पर मुख्यतः दो प्रकार के पारिस्थितक तंत्र पाया जाता हैं जलीय एवं स्थलीय पारिस्थितिकी तन्त्र। इस पोस्ट में हम जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में जानेंगे।

जलीय पारिस्थितिकी तंत्र

जल में निवास करने वाले जीव जंतु और पर्यावरण से परस्पर निर्भरता और उसके प्रभाव का अध्ययन ही जल का परिस्थिक तंत्र है। इसके अंतर्गत जीवो की निर्भरता और उसके पर्यावण पर योगदान क्या है इसकी जानकारी मिलती है। समुद्र, तालाब, नदी में जलीय जीव निवास करते है इन जीवो जन्म से मृत्यु तक के अध्ययन को पारिस्थितिक तंत्र के अंतर्गत रखा गया है।

जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार

  • तालाब का पारिस्थितिकी तंत्र
  • झील का पारिस्थितिकी तंत्र
  • नदी का पारिस्थितिकी तंत्र
  • समुद्री जल का पारिस्थितिकी तंत्र

स्वच्छ जल का पारिस्थितिकी तंत्र जलीय पारिस्थितिकी तंत्रों का एक उपसमूह हैं, जहाँ पानी में नमक की मात्रा 1% से कम होती है। ये पारिस्थितिकी तंत्र पृथ्वी के जल चक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र में झीलें, तालाब और जलाशय शामिल होते हैं।

जलीय पारिस्थितिकी तंत्र - Water ecosystem in Hindi

तालाब का पारिस्थितिकी तंत्र

तालाब में पाए जाने वाले जीवो की निर्भरता और पर्यवरण पर प्रभाव को तालाब की परिस्थिक तंत्र कहा जाता है। छोटे जिव से लेकर बड़े जिव तालाब में एक दूसरे पर निर्भर होते है। उत्पादक उपभोक्त और उपघातक के रूप में रहते है। जैसे बड़े मछली छोटे मछली को खाते है। छोटे मछली लार्वा को अपना खाना बनाते है। इसी प्रकार सभी जीव एक दूसरे पर निर्भर होते है।

तालाब का पारिस्थितिक तन्त्र में निम्नलिखित घटक पाये जाते हैं।

1. अजैविक घटक 

तालाब के पानी में कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन तथा अन्य गैसें व अकार्बनिक तत्व घुले रहते हैं। कुछ अजैविक घटक तालाब के निचले स्तर में पाये जाते हैं। ये सूर्य की ऊर्जा द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा अजैविक घटकों की उपस्थिति में हरे जलीय पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं।

जो विभिन्न जिवो के लिए खाना और घर होता है। इन पौधो व जीवों की मृत्यु के पश्चात जलीय पदार्थ विघटित होकर अजैविक घतको के रूप में पुनः पानी में मिल जाता है। इस प्रकार जलीय पारिस्थितिक तन्त्र का चक्र चलता रहता है।

2. जैविक घटक

जैविक घटक वे सभी जीवित जीव होते हैं जो एक दूसरे के साथ और अपने पर्यावरण के साथ क्रिया करते हैं। इन घटकों को आम तौर पर पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर उनकी भूमिकाओं के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इसके अंतर्गत उत्पादक उपभोक्ता तथा अपघटनकर्ता आते हैं। जिनका वर्णन निम्न प्रकार है -

1. उत्पादक - जीव जो प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। उसे उत्पादक कहा जाता हैं। इसके उदाहरण निम्न है - पादप, शैवाल, जलीय पौधे और साइनोबैक्टीरिया आदि। ये जीव सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में परिवर्तित करके खाद्य श्रृंखला का आधार बनाते हैं। प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से जलीय जीवों को ऑक्सीजन की आपूर्ति होती हैं।

तालाब के पारिस्थितिक तन्त्र के प्राथमिक उत्पादक जलीय पौधे होते हैं। जैसे पादप प्लवक ये हरे रंग के तैरने वाले शैवाल हैं। जो अति सूक्ष्म होते हैं। तालाब के जल में प्रकाश की किरने जहां तक पहुंच पाती है वहां तक इनकी संख्या काफी अधिक होती है। माइक्रोसिस्टिस, युग्लीना, वालवॉक्स, ऐनाबीना आदि इसके उदाहरण हैं।  ऊड़ोगोनियम, स्पाइरोगाइरा, कारा जैसे रेशेदार शैवाल पानी में तैरने वाला एक उत्पादक हैं। जो किनारों की ओर घना जाल बनाते हैं।

2. उपभोक्ता - जीव जो भोजन के लिए उत्पादकों या अन्य उपभोक्ताओं पर निर्भर करते हैं। प्राथमिक उपभोक्ता यह जिव उत्पादकों पर निर्भर होते हैं। उदाहरण के लिए ज़ूप्लैंकटन, जलीय कीट, टैडपोल, छोटे क्रस्टेशियन, कुछ मछलियाँ आदि।

द्वितीयक उपभोक्ता - प्राथमिक उपभोक्ताओं पर निर्भर रहते हैं। उदाहरण के लिए बड़ी मछलियाँ, उभयचर और जल भृंग आदि।

तृतीयक उपभोक्ता - यह जीव द्वितीयक उपभोक्ताओं पर निर्भर होते हैं और इन्हे शीर्ष शिकारी कहा जाता हैं। उदाहरण के लिए पक्षी जैसे, बगुले, किंगफिशर, बड़ी मछलियाँ जैसे, बास, पाईक, ऊदबिलाव आदि।

3. अपघटक - जीव जो मृत कार्बनिक पदार्थों को तोड़ते हैं और पोषक तत्वों को पारिस्थितिकी तंत्र में वापस लाते हैं। उदाहरण के लिए बैक्टीरिया, कवक, कीड़े, कीट लार्वा और क्रस्टेशियन आदि।

झील का पारिस्थितिकी तंत्र

झील एक गतिशील प्राकृतिक वातावरण है जिसमें झील की सीमाओं के भीतर परस्पर क्रिया करने वाले जैविक और अजैविक घटक शामिल होते हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

झील की पारिस्थितिकी तंत्र के घटक इस प्रकार हैं - 

1. अजैविक कारक

अजैविक कारकों में पानी, सूरज की रोशनी, तापमान, घुली हुई ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व शामिल हैं। ये कारक झील में जीवों के प्रकार और वितरण को प्रभावित करते हैं। जबकि सूर्य के प्रकाश का प्रवेश जलीय पौधों और शैवाल में प्रकाश संश्लेषण का समर्थन करता है।

2. जैविक कारक

उत्पादक - जलीय पौधे, शैवाल और फाइटोप्लांकटन, जो प्रकाश संश्लेषण करते हैं और खाद्य जाल का आधार बनाते हैं। उत्पादक कहलाते हैं।

उपभोक्ता -  मछली, उभयचर और ज़ूप्लैंकटन जैसे जानवर जो ऊर्जा के लिए उत्पादकों या अन्य उपभोक्ताओं पर निर्भर करते हैं।

अपघटक - जीवाणु और कवक जो कार्बनिक पदार्थों को तोड़ते हैं, पोषक तत्वों को पारिस्थितिकी तंत्र में वापस रिसाइकिल करते हैं।

झीलें कई तरह की प्रजातियों का पोषण करती हैं, जिनमें लुप्तप्राय प्रजातियाँ भी शामिल हैं। झील पीने के पानी, सिंचाई और औद्योगिक उपयोग के लिए जलाशयों के रूप में कार्य करती हैं। झीलें तापमान को नियंत्रित करके स्थानीय जलवायु को प्रभावित करती हैं। वे जैव-रासायनिक चक्रों में भूमिका निभाते हैं, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन होता है।

औद्योगिक निर्वहन, कृषि अपवाह और प्लास्टिक अपशिष्ट जल की गुणवत्ता को खराब करते हैं। पोषक तत्वों की अधिकता से शैवालों का विकास होता है, जिससे ऑक्सीजन की कमी होती है और जलीय जीवन को नुकसान पहुँचता है। तापमान में वृद्धि से जल स्तर और जैव विविधता में परिवर्तन होता है। झील का पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसकी रक्षा के लिए सरकारों के साथ साथ आम जनता का प्रयास आवश्यक है।

नदी का पारिस्थितिकी तंत्र

नदी का पारिस्थितिकी तंत्र जीवित और निर्जीव घटकों का पारस्परिक सम्बन्धो को दर्शाता है, जो नदी के भीतर परस्पर क्रिया करते हैं। इसमें नदी के साथ साथ सहायक नदियाँ और आस-पास की आर्द्रभूमि शामिल होते हैं। जो विभिन्न जीवों के लिए एक विविध आवास प्रदान करती हैं।

नदी का पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख घटक

1. अजैविक कारक

अजैविक कारक एक निर्जीव हिस्सा है जो इसके पर्यावरण को आकार देता है। इसके उदाहरणों में तापमान, प्रकाश और ऑक्सीजन, चट्टानें, रेत और कार्बनिक मलबे शामिल हो सकते हैं। जो नदी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

2. जैविक कारक

इसके अंतर्गत निम्न तीन प्रकार के जीव शामिल होते हैं। उत्पादक उपभोक्ता और अपघटक। 

उत्पादक - जलीय पौधे, शैवाल और फाइटोप्लांकटन प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से सूर्य के प्रकाश को ऊर्जा में परिवर्तित करके खाद्य आधार बनाते हैं।

उपभोक्ता - प्राथमिक उपभोक्ता शाकाहारी जीव जैसे कुछ मछलियाँ, मोलस्क और कीड़े होते हैं जो मुख्य रूप से पादप और शैवाल पर निर्भर होते हैं।

द्वितीयक उपभोक्ता - शिकारी मछलियाँ, उभयचर और अन्य जानवर जो शाकाहारी जीवों को खाते हैं। तृतीयक उपभोक्ता के अंतर्गत ऊदबिलाव, बड़ी मछलियाँ और बगुले जैसे पक्षी शमित हैं।

अपघटक - जीवाणु और कवक जो कार्बनिक पदार्थों को तोड़ते हैं, पोषक तत्वों को पारिस्थितिकी तंत्र में वापस रिसाइकिल करते हैं। उसे अपघटक कहते हैं। यह मृत जीवों के तत्व को खाकर पर्यावरण में मिला देते हैं।

नदी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा - प्रदूषण जलीय जीवों को अधिक नुकशान पहुँचता हैं।  जिसमे कृषि अपवाह, औद्योगिक निर्वहन और शहरी अपशिष्ट शामिल हैं। बांध निर्माण से जल प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है जलीय जीवों के आवासों को प्रभाव पड़ता है। अधिक मछली पकड़ने से जैव विविधता में कमी आती है।

समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र

समुद्र में कई प्रकार के जिव पाए जाते है। और पृथ्वी का सबसे बड़ा जिव व्हेल भी समुद्र में पाए जाते है। पृथ्वी का 70 प्रतिसत भाग जल से भरा हुआ है। यह उच्च लवण होता है। और लाखो किस्म के जीव होते है। ये सभी एक दूसरे पर निर्भर करते है। और आपस में समुद्री चक्र का निर्माण करते है। यही समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र है।

समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र एक विशाल और विविध जलीय प्रणाली है जो पृथ्वी की सतह के 70% से अधिक हिस्से को कवर करती है, जिसमें महासागर, समुद्र क्षेत्र शामिल हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करने, जलवायु को विनियमित करते हैं।

समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के प्रमुख घटक

1. अजैविक कारक

पानी में लवणता, तापमान और दबाव गहराई और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होते हैं। प्रकाश एक निश्चित गहराई तक प्रवेश करता है, जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है। पोषक तत्व नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे घुले हुए खनिज पौधे और सूक्ष्मजीव जीवन को बनाए रखते हैं। रेतीले, चट्टानी या कीचड़ भरे समुद्री तल, जो आवास का काम करते हैं। धाराएँ और ज्वार पोषक तत्वों का वितरण करते हैं और समुद्री जीवों की गति को प्रभावित करते हैं।

2. जैविक कारक

उत्पादक - फाइटोप्लांकटन सूक्ष्म पौधे जो प्रकाश संश्लेषण करते हैं और अपने लिए भोजन प्राप्त कर आक्सीजन का निर्वाह करता हैं। समुद्री शैवाल और समुद्री घास उथले पानी में पाए जाते हैं।

उपभोक्ता - प्राथमिक उपभोक्ता के अंतर्गत ज़ूप्लांकटन, छोटी मछलियाँ और शाकाहारी समुद्री प्रजातियाँ हैं। द्वितीयक उपभोक्ता में बड़ी मछलियाँ, स्क्विड और सील जैसे कुछ समुद्री स्तनधारी आते हैं। तृतीयक उपभोक्ता के अंतर्गत शार्क, व्हेल और बड़ी शिकारी मछलियाँ शमित होती हैं।

अपघटक - बैक्टीरिया और कवक जो कार्बनिक पदार्थों को तोड़ते हैं, पोषक तत्वों को वापस समुद्र में बहाल करते हैं।

महासागर कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और वैश्विक तापमान को नियंत्रित करते हैं। यह अनगिनत प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करते हैं। समुद्री और स्थलीय जीवों के जीवन चक्र के लिए आवश्यक हैं। फाइटोप्लांकटन दुनिया की आधी से अधिक ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं।

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