नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में सर्वनाम के बारे में जानकारी दी गयी हैं। सर्वनाम क्या है ? और सर्वनाम के कितने प्रकार होते हैं?
सर्वनाम किसे कहते है
उत्तर - जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग में लाए जाते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं। जैसे - मैं, वह, आप, तुम, कौन, हम, वे आदि। सर्वनाम की आवश्यकता सामान्यतः इसलिए होती है कि संज्ञा का बार-बार प्रयोग न करना पड़े।
संज्ञा की अपेक्षा सर्वनाम इसलिए विलक्षण है कि संज्ञा से जहाँ उसी वस्तु का बोध होता है जिसका वह नाम है, वहीं सर्वनाम में पूर्वापर सम्बन्ध के अनुसार किसी भी वस्तु का बोध होता है। जैसे घोड़ा कहने से केवल ‘घोड़े’ का होता है किन्तु 'वह' कहने से पूर्वापर सम्बन्ध के अनुसार ही किसी वस्तु का बोध होता है।
उदाहरण
- वह स्कूल जा रहा हैं।
- तुम कौन से गाँव में रहते हो ?
- मै कल इंदौर जाऊंगा।
- क्या यह तुम्हारा कलम हैं?
- उसका नाम क्या हैं ?
- वे सिनेमा देखने कितने बजे जाने वाले हैं ?
सर्वनाम के भेद या प्रकार
हिन्दी में सर्वनाम मुख्यत: पाँच प्रकार के होते हैं।
- पुरूषवाचक - मैं, तू, वह, हम, मैंने
- निश्चयवाचक - 'यह, वह
- अनिश्चयवाचक - कोई, कुछ
- संबंधवाचक - जो, सो
- प्रश्नवाचक - कौन, क्या
1. पुरूष वाचक सर्वनाम
पुरुष वाचक सर्वनाम उसे कहते हैं जो किसी व्यक्ति (स्त्री अथवा पुरुष) के नाम के बदले में आते हैं। इसके तीन भाग हैं, उत्तम पुरुष में स्वयं लेखक या वक्ता आता है, मध्यम पुरुष में पाठक या श्रोता आता है तथा अन्य पुरुष में लेखक और श्रोता के अलावा कोई अन्य आता है।
पुरूष वाचक सर्वनाम के तीन भेद हैं -
- उत्तम पुरुष – मैं, हम, हमारा।
- मध्यम पुरुष – तू, तुम्हारा, आप, तुम।
- अन्य पुरुष - वह, वे, यह, ये आदि।
उत्तम पुरूष - प्रवक्त या लेखक जो भी शब्द अपने लिए प्रयोग करता है उसे उत्तम पुरूष कहते हैं। जैसे- मैं लिखता हूँ। हम लिखते हैं। इस सेन्टेंस में मैं और हम उत्तम पुरूष सर्वनाम होगा।
मध्यम पुरूष - सुनने वाला के लिए मध्यम पुरूष का प्रयोग किया जाता है। जैसे की- तुम जाओ। आप जाइये। इन सभी वाक्यों में तुम और आप मध्यम पुरूष होता हैं।
अन्य पुरूष - प्रवक्ता व लेखक द्वारा श्रोता के अतिरिक्त किसी दुसरे (तीसरे) के लिए अन्य पुरूष का प्रयोग होता है। जैसे- वह पढ़ता है। वे पढ़ते हैं। इन वाक्यों में वह और वे शब्द अन्य पुरूष हैं।
2. निश्चय वाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से बोलने वाले व्यक्ति के पास या दूर की किसी वस्तु की निश्चितता का बोध होता है उसे निश्चय वाचक सर्वनाम कहते हैं।
उदाहरण –
- यह शीला की बहन है।
- वह श्याम का घर है।
- ये हिरन हैं।
- वे बाहर गए हैं।
- यह किताब मेरी है।
- वह तुम्हारी है।
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम के द्वारा किसी निश्चित वस्तु का बोध नहीं हो पाता उसे अनिश्चित वाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे- कोई, कुछ। कोई शब्द का प्रयोग किसी अनिश्चित व्यक्ति के लिए और कुछ शब्द का प्रयोग किसी अनिश्चित पदार्थ के लिए प्रयुक्त होता है।
उदाहरण –
- यहाँ कोई आया था।
- इसमें कुछ सामग्री है।
- बाहर कोई है।
- मुझे कुछ नहीं मिला।
4. संबंधवाचक सर्वनाम
ऐसे सर्वनाम जिससे वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध का बोध होता है। उसे संबंध वाचक सर्वनाम कहा जाता है। जैसे - जो, सो, जैसा, वैसा आदि।
उदाहरण -
- जो परिश्रम करेगा वह सफल होगा।
- जो जैसा बोयेगा वह वैसा ही काटेगा।
5. प्रश्नवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से प्रश्न का बोध होता है उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे - कौन, क्या।
उदाहरण -
- कौन आया है ?
- तुम्हें क्या हो गया है?
इन वाक्यों में कौन और क्या शब्द प्रश्रवाचक सर्वनाम हैं। कौन शब्द का प्रयोग प्राणियों के लिए और क्या का प्रयोग जड़ पदार्थों के लिए होता है।
कामता प्रसाद गुरु के अनुसार हिन्दी के प्राय: सभी सर्वनाम प्राकृत अपभ्रंश द्वारा संस्कृत से निकले हैं।
अहम् | अम्ह | मैं, हम |
त्वम् | तुम्ह | तू, तुम |
एष | एअ | यह, ये |
सः | सो | सो, वह, वे |
कः | को | कौन |
किम् | किम् | क्या |
कोऽपि | कोवि | कोई |
आत्मन् | आप | आप |
किंचित् | किंचि | कुछ |
संज्ञा और सर्वनाम को परिभाषित करते हुए प्रत्येक को पाँच-पाँच उदाहरणों से स्पष्ट कीजिये।
उत्तर - संज्ञा की परिभाषा - संज्ञा उस विकारी शब्द को कहते हैं जिससे किसी विशेष वस्तु, व्यक्ति या स्थान के नाम का बोध होता है। वस्तु का अर्थ व्यापक होता है। इसके अंतर्गत प्राणी, पदार्थ और धर्म आते हैं।
उदाहरण - 1. हिमालय, 2. पर्वत, 3. नम्रता, 4. सोना, 5. चाँदी।
सर्वनाम की परिभाषा - जो शब्द संज्ञा के स्थान पर प्रयोग में लाये जाते हैं, उन्हें सर्वनाम कहते हैं। जैसे - मैं, तुम, वह आदि।
उदाहरण - 1. मैं, तू, वह, 2. यह, वह, 3. कोई, कुछ, 4. जो, सो, जैसा, वैसा, 5. कौन, क्या।
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