निबंध एक लेखन प्रणाली है जिसके माध्यम से हम हमने भाव को दुसरो तक बहुचा सकते हैं। और लोगो को किसी समस्या के बारे में जानकारी देकर जागरूक कर सकते हैं। आज पर्यावरण से जुडी कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इसका मुख्य कारण जंगल की कटाई, प्रदूषण और जनसंख्या वृद्धि हैं।
इन समस्याओ का निराकरण मानव और अन्य जीवो के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं। आज भारत सहित कई विकाशील देशो में प्रदुषण और अंधाधुन वनो की कटाई से वातावरण में परिवर्तन देखा जा सकता हैं। जिससे तापमान में वृद्धि मानसून में परिवर्तन और समुद्र तल में वृद्धि हो रही हैं।
पर्यावरण किसे कहते हैं
यदि हम पर्यावरण शब्द का संधि विच्छेद करें तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है। परी और आवरण से परी का अर्थ हमारे आस पास के वातावरण से है और आवरण का अर्थ हमें घेरे हुए चारों ओर की प्राकृतिक वस्तुओं जीव जंतुओं पेड़ पौधों के द्वारा बने आवरण से है। इस प्रकार हमारे आस पास के वातावरण को पर्यावरण कहा जाता है।
जैसे कि मैंने आपको बताया कि पर्यावरण परी और आवरण अर्थात हमारे चारों ओर के वातावरण और उसमें उपस्थित जीव जंतु से मिलकर बना है। पर्यावरण में मनुष्य के अलावा और भी बहुत सारे जीव जंतु पाए जाते हैं।
जो कि अपना जीवन यापन इस पृथ्वी पर करते हैं, जिनका इस पृथ्वी पर अलग अलग प्रभाव होता है। पर्यावरण में पाए जाने वाले जीव जंतु और पेड़ पौधों से मिलकर पर्यावरण का निर्माण होता है।
पर्यावरण में कई प्रकार के जीव जंतु पाए जाते हैं और इन जंतुओं के द्वारा कभी-कभी कई ऐसे चीजों का निर्माण होता है। जो कि पर्यावरण को एक नई दिशा की ओर ले जाता है। और पर्यावरण में परिवर्तन करता है।
इस प्रकार पर्यावरण दोनों प्रकार के सजीव और निर्जीव से मिलकर बना हुआ है। जिनके बिना यह आपस में अधूरे हैं सजीव के बिना निर्जीव अधूरा है और निर्जीव की बिना सजीव अधूरा है।
पर्यावरण के प्रकार
पर्यावरण के प्रकार की बात करें तो यह दो प्रकार का होता है एक मानव निर्मित पर्यावरण और दूसरा प्रकृति द्वारा निर्मित पर्यावरण।
मानव निर्मित
पर्यावरण इस प्रकार के पर्यावरण होते हैं, जो कि मनुष्य द्वारा उत्पन्न किए गए वातावरण से निर्मित होते हैं। जैसे कि तालाब में मत्स्य पालन के लिए तैयार किया जाने वाला वातावरण मानव निर्मित पर्यावरण के अंतर्गत आता है। उसी क्रम में कोसा उद्योग के लिए तैयार किए गए वन आदि। मानव निर्मित पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
प्राकृतिक पर्यावरण
प्राकृतिक पर्यावरण में प्रकृति द्वारा चुने गए ही जीव और निर्जीव जीवित रह पाते हैं। जैसे कि कई हजारों साल पहले डायनासोर पाए जाते थे। लेकिन अब नहीं पाए जाते हैं क्योंकि प्राकृतिक परिवर्तन के कारण इनका विनाश हो गया और वे लुप्त हो गए।
पर्यावरण के हित को देखते हुए इसका निर्माण प्रकृति खुद करती है। जैसे कि हम खाद्य श्रृंखला की बात करें तो यहां प्रकृति द्वारा निर्मित पर्यावरण के अंतर्गत ही आएगा क्योंकि प्रकृति कभी भी पर्यावरण का संतुलन नहीं बिगड़ने देती है।
वहां पर्यावरण के बिगड़ने के कगार पर स्वयं परिवर्तित होकर पर्यावरण के अनुकूल प्रकृति स्वयं निर्मित करती है। इस प्रकार ऐसे पर्यावरण को हम प्राकृतिक पर्यावरण कहते हैं।
पर्यावरण के लाभ
पर्यावरण से होने वाले लाभ की बात करें तो यहां असीमित है क्योंकि पर्यावरण ही हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है। पर्यावरण के कारण हमें खाद्य, वस्तुएं आसानी से उपलब्ध हो पाती हैं। पर्यावरण से हम बहुत से उपयोगी वस्तुएं अपने दैनिक जीवन के लिए प्राप्त कर सकते हैं।
पार्कों और संरक्षित भूमि का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वन संरक्षण से हरियाली में बढ़ोतरी होती है। पानी की गुणवत्ता और वायु गुणवत्ता में सुधार होता हैं। जैव विविधता में वृद्धि और ग्रीनहाउस गैसों में कमी जैसे लाभ होती हैं। हालांकि, इन पर्यावरणीय लाभों की बारीकियां और उनके पीछे के तंत्र अक्सर कम स्पष्ट होते हैं। इसके अलावा, पर्यावरणीय लाभों को मापना अक्सर मुश्किल होता है और उन पर उतना विचार नहीं किया जा सकता है।
वृक्षों को पृथ्वी का फेफड़ा कहा जाता है। वे न केवल हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, बल्कि वे मनुष्यों के लिए हानिकारक कई प्रदूषकों को साफ करते हैं। स्वस्थ शरीर के लिए शुद्ध वातावरण का होना आवश्यक हैं। पेड़ पौधे वायु की गुणवत्ता में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
पर्यावरण से हानि
पर्यावरण से होने वाली हानियों के अंतर्गत प्राकृतिक आपदाएं आती हैं और इसके अलावा मनुष्य द्वारा निर्मित प्रदूषण के कारण भी प्राकृतिक आपदा व प्रकृति द्वारा होने वाली हानियां कह सकते हैं।
प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ और सुनामी प्रकृति में परिवर्तन के कारण आते हैं। अम्लीय वर्षा पर्यावरण में परिवर्तन के कारण देखने को मिलते हैं। भूकंप का आना प्राकृतिक है जो कि पर्यावरण के कारण उत्पन्न होती है।
अत्यधिक मात्रा में गर्मी का बढ़ना पर्यावरण से होने वाली बहुत बड़ी समस्या है। कई मामलों में पर्यावरण में जहां पर जीवन देने योग्य है वहीं कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर यह मृत्यु का कारण भी बनती है।
पर्यावरण प्रदूषण
पर्यावरण प्रदूषण कोई नई घटना नहीं है, फिर भी यह दुनिया की सबसे बड़ी समस्या है। शहरीकरण, औद्योगीकरण और खनन से वैश्विक पर्यावरण प्रदूषण हो रही हैं। विकसित और विकासशील दोनों देश इस बोझ को एक साथ साझा करते हैं, हालांकि विकसित देशों में जागरूकता और सख्त कानूनों ने पर्यावरण की रक्षा करने में योगदान दिया है। प्रदूषण की ओर वैश्विक ध्यान के बावजूद, इसके गंभीर प्रभाव अभी भी महसूस किया जा रहा है।
मनुष्यों और उनके भौतिक परिवेश के बीच व्यापक अध्ययन किया गया है, क्योंकि कई मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण को प्रभावित करती हैं। पर्यावरण जैविक और अजैविक तत्वों का योग है।
प्रदूषण को मनुष्यों और अन्य जीवित जीवों के लिए हानिकारक के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रदूषक हानिकारक ठोस, तरल पदार्थ या गैसें हैं जो सामान्य सांद्रता से अधिक मात्रा में उत्पन्न होती हैं जो हमारे पर्यावरण की गुणवत्ता को कम करती हैं।
हमारे युग के सबसे बड़े संकटों में से एक वायु प्रदूषण है, जो न केवल जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभाव के कारण है, बल्कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है। कई प्रदूषक हैं जो मनुष्यों में बीमारी के प्रमुख कारक हैं। उनमें से, पार्टिकुलेट मैटर, परिवर्तनशील लेकिन बहुत छोटे व्यास के कण, साँस के माध्यम से श्वसन प्रणाली में प्रवेश करते हैं, जिससे श्वसन और हृदय रोग, प्रजनन और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की शिथिलता तथा कैंसर जैसी बीमारिया होती है।
पर्यावरण दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस (WED) प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है और पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति लोगो में जागरूकता बढ़ाया जाता है। यह आयोजन पहली बार 1974 में आयोजित किया गया था। यह समुद्री प्रदूषण, मानव जनसंख्या वृद्धि, ग्लोबल वार्मिंग, स्थायी खपत और वन्यजीव अपराध जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए एक मंच था।
विश्व पर्यावरण दिवस सार्वजनिक पहुंच के लिए एक वैश्विक मंच है, जिसमें सालाना 143 से अधिक देश भाग लेते है। हर साल एक नए विषय के साथ यह कार्यकम मनाया जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को पड़ता है। 2021 की थीम पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली है और इसकी मेजबानी पाकिस्तान करेगा। इस मौके पर यूएन डिकेड ऑफ इकोसिस्टम रिस्टोरेशन का भी शुभारंभ होगा।
Conclusion
पर्यावरण पर निबंध लिखना बहुत ही कठिन कार्य है क्योंकि इसका क्षेत्र बहुत ही विस्तृत है। इस प्रकार पर्यावरण के सभी क्षेत्रों का संक्षिप्त रूप से वर्णन करना ही पर्यावरण पर निबंध को एक आकर्षक लेख बनाता है।
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