महात्मा गाँधी पर निबंध - Mahatma Gandhi Essay Hindi

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अक्सर महात्मा गाँधी पर निबंध हिंदी के पेपर में आवश्यता आता है। तो चलिए एक अच्छा निबंध कैसे लिखते है जानते है। मैं आपको सलाह दूंगा की आप कोई भी निबंध हो उसे रटने का प्रयास न करे बल्कि उसे समझे या उसके बारे में जितना ज्यादा जानकारी हो सके उतना अर्जित करे। इससे आप उस विषय के बारे में आसानी से निबंध लिख पाएंगे। हिंदी में अच्छा अंक पाने के लिए निबंध एक अच्छा श्रोत होता है इसे कभी भी मिस न करे। 

महात्मा गाँधी पर निबंध

निबंध लिखते समय यह तय करे की आपको जितने शब्द में उत्तर लिखने को कहा जाय उतना ही लिखे उससे काम न लिखे और निबंध का प्रारूप लिखना ना भूले। महात्मा गाँधी के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप Wikipedia में देख सकते है।

रुपरेखा - परिचय, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, महात्मा गाँधी का जीवन, शिक्षा, दक्षिण अफ्रीका में मातम गाँधी, गाँधी जी की विशेषताएं और गाँधी जी का प्रभाव।

1. महात्मा गाँधी का परिचय 

  • जन्म - 2 अक्टूबर 1869 को हुआ।
  • जन्म स्थान - पोरबन्दर, काठियावाड़, गुजरात (भारत) में।
  • मृत्यु - 30 जनवरी 1848 को हुआ।
  • मृत्यु स्थान - नई दिल्ली (भारत)
  • अन्य नाम - राष्ट्रपिता, महात्मा, बापू, गांधी जी।
  • शिक्षा - यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन।
महात्मा गाँधी पर निबंध - Mahatma Gandhi Essay Hindi

2. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

महात्मा गांधी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे। दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये महात्मा गाँधी ने एक प्रवासी वकील के रूप में वहाँ कार्य किये और भारतीय नागरिको की सहायता की उसके बाद सन 1915 में भारत आ गए। महात्मा गाँधी पूरी मानव जाति के लिए मिशाल हैं। उन्होंने हर परिस्थिति में अहिंसा और सत्य का पालन किया और लोगों से भी इनका पालन करने के लिये कहा।

भारत आकर महात्मा गाँधी ने पुरे देश का भ्रमण किया और  किसानों, मजदूरों और श्रमिकों को भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये प्रेरित किया। गाँधी जी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सन 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन से अंग्रेजो को करारा जवाब दिया। 

उनके इन सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिये प्रेरित किया। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान गाँधी जी कई वर्षों तक जेल में रहे।  उन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है  सुभाष चन्द्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से गाँधी जी को पहली बार ‘राष्ट्रपिता’ कहकर सम्बोधित किया था।

सदैव शाकाहारी भोजन खाने वाले इस महापुरुष ने आत्मशुद्धि के लिये कई बार लम्बे उपवास भी रखे। उन्होंने अपना जीवन सदाचार में गुजारा। वह सदैव परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनते थे। सन 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और अपने कार्यों से देश के राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया।

3. महात्मा गांधी का जीवन परिचय

मोहनदास करमचन्द गान्धी का जन्म गुजरात के शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर सन् 1869 को हुआ था।मोहनदास की माता पुतलीबाई परनामी वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखती थीं और अत्यधिक धार्मिक प्रवित्ति की थीं जिसका प्रभाव युवा मोहनदास पड़ा और इन्ही मूल्यों ने आगे चलकर उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। 

महात्मा गाँधी का नाम पहले मोहन दास था फिर बाद में उनको उनके पिता के नाम के साथ जोड़कर मोहन दास करमचन्द गाँधी के नाम से जाने जाना लगा। महात्मा गांधी का जीवन संघर्ष पूर्ण रहा है उन्होंने ज्यादा तकलीफ़ तो नहीं पाई क्योंकि उनके पिता अंग्रेजों के जमाने में दीवान हुआ करते थे। तो उनका बचपन भी उतने ज्यादा तकलीफ़ में नहीं गुजरा था। लेकिन बाद में कई तकलीफ का सामना करना पड़ा। वे भेद भाव के सख्त खिलाफ थे। 

करमचंद की माँ नियमित रूप से व्रत रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा में दिन-रात एक कर देती थीं। इस कारण मोहनदास के स्वाभाव में अहिंसा,  शाकाहार,  आत्मशुद्धि के लिए व्रत और विभिन्न धर्मों के प्रति उसका झुकाव रहा। सन 1887 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अहमदाबाद से उत्तीर्ण की।

4. महात्मा गांधी बुनियादी शिक्षा

महात्मा गाँधी का विवाह 13 साल के आयु पूर्ण करते ही कम उम्र में हो गया था और उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था। जिन्हें "बा" कह के भी पुकारा जाता था। उनका बाल विवाह हुआ था। क्योंकि उस समय यह  प्रचलित था। उनकी मिडिल स्कूल की शिक्षा पोरबंदर में और हाई स्कूल की शिक्षा राजकोट में हुई। शैक्षणिक स्तर पर मोहनदास एक औसत छात्र ही रहे। जब मोहनदास 15 वर्ष के थे तब इनकी पहली सन्तान ने जन्म लिया लेकिन वह केवल कुछ दिन ही जीवित रही। उनके पिता करमचन्द गाँधी का भी इसी साल इंतकाल हो गया।

इसके बाद मोहनदास ने कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन ख़राब स्वास्थ्य और घर की हालत के कारण वह अप्रसन्न रहे और बाद में कॉलेज छोड़कर पोरबंदर वापस चले गए। कुछ समय बाद महात्मा गांधी को पढ़ाई के लिए अलग देश भेजा गया उन्हें विदेश भेजने में उनके बड़े भाई का हाथ था। उन्होंने लंदन में वकालत की डिग्री हासिल की और फिर वहां से मुम्बई के अदालत में वकालत करने के लिए गए लेकिन उनको यह काम पसंद नहीं आया। इस प्रकार वे पेशे से वकील थे। 

कुछ साल बाद में मोहनदास और कस्तूरबा के चार सन्तान हुईं। महात्मा गांधी के बेटे का नाम हरीलाल गान्धी (1888), मणिलाल गान्धी (1892), रामदास गान्धी (1897) और देवदास गांधी (1900)।

5. दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी

मोहनदास 24 साल की उम्र में दक्षिण अफ्रीका पहुंचे। उन्होंने वहाँ 1893 - 1914 तक रहे। वे कुछ भारतीय व्यापारियों के न्यायिक सलाहकार के तौर पर वहां गए थे। उन्होंने अपने जीवन के 21 साल दक्षिण अफ्रीका में बिताये जहाँ उनके राजनैतिक गतिविधि में भाग लिया। दक्षिण अफ्रीका में उनको गंभीर भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार ट्रेन में प्रथम क्लास की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे पर मजबूर किया गया उनके इन्कार करने पर ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया।

 ये सारी घटनाएँ उनके के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ बन गईं और मौजूदा सामाजिक और राजनैतिक अन्याय के प्रति जागरुकता का कारण बनीं। दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर हो रहे अन्याय को देखते हुए उनके मन में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाप कार्य करने का भावना उठा। 

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी ने भारतियों को अपने खिलाप हो रहे अत्याचाल के विरोध में आवाज उड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने भारतियों की नागरिकता सम्बंधित मुद्दे को दक्षिण अफ़्रीकी सरकार के सामने उठाया और सन 1906 के ज़ुलु युद्ध में भारतीयों को भर्ती करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों को प्रेरित किया। 

4. गाँधी जी की विशेषताएँ

महात्मा गांधी की विशेषताएँ की बात की करें तो उनके विशेषता में उनका संत व्यवहार बहुत ही बड़ी विशेषता थी। मेरे हिसाब से मैने महात्मा गाँधी के जीवन के बारे में पढ़ा तो पाया की वाकई में उन्होंने अपने आप पर पूरा विजय प्राप्त कर लिया था।

सत्य प्रेमी - सत्यता उनकी सबसे बड़ी विशेषता रही है उन्होंने किसी भी प्रकार के अनर्गल बातों की ओर ध्यान नहीं दिया था। हमेशा सत्य की राह में चलने के लिए लोगों को कहते थे और खुद भी पालन करते थे ऐसा नहीं की वह सिर्फ कहते थे।

सहृदय - उनके मन में भी कोई कपट की भावना नहीं थी और वह किसी से भी बुरा व्यवहार नहीं किया करते थे। सभी से एक जैसे व्यवहार वे करते थे।

स्वक्षता प्रेमी - महात्मा गांधी के नाम पर आज स्वच्छ भारत का अभियान चलाया जा रहा है क्योंकि वह बहुत ही ज्यादा स्वक्षता को ध्यान में रखते थे। और उन्होंने ही हरि जन की शुरुआत की थी। इस प्रकार से महात्मा गाँधी की अनेक विशेषताएँ थी जिसमें बहुत सारे का वर्णन मैने यहां पर नहीं किया है।

लेखक - महात्मा गांधी ने कई सारे पत्र पत्रिकाओं का भी लेखन किया और इसके माध्यम से लोगों को जागरूक करते रहें। उनकी कुछ पुस्तकें इस प्रकार हैं 

5. महात्मा गाँधी का प्रभाव

महात्मा गाँधी को पूरे भारत में ही नही बल्कि पूरे विश्व में जाना जाता है। उनके धन संपत्ति के कारण नहीं बल्कि उनके प्रेम व्यवहार के कारण, सत्य निष्ठा के कारण। भारत पर महात्मा गाँधी के व्यवहार के कारण वह बापू के  नाम से संबोधित किये गए और आज उन्हें हर कोई राष्ट्र पिता के नाम से जानता है। जहाँ एक तरफ महात्मागांधी के अच्छे प्रभाव हैं वहीं दूसरी ओर कई आलोचना भी उनके ऊपर देखने को मिलते हैं। ये आलोचनाएं उनके काम और सिद्धांतों को लेकर है। 

जैसे - ज़ुलु विद्रोह के संबंध में कहा जाता है कि उन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया था। विश्व युद्ध के समय अंग्रेजों का साथ देना और उनसे डिल करना,  कि युद्ध में साथ देने के कारण देश को छोड़ने का फैसला अंग्रेजों द्वारा करना। खिलाफत आंदोलन जैसे सम्प्रदायिक आनफॉलन को राष्ट्रीय आंदोलन बनाना। अंग्रेजों के खिलाफ किये जाने वाले हिंसात्मक कार्य जो कि क्रांतिकारियों द्वारा किये जाते थे उनकी निंदा वह किया करते थे। 

इस प्रकार बहुत से ऐसे कारण भी हैं जिसके कारण महात्मा गांधी की निंदा हुई थी। और भी कारण हैं जिन्हें मैं नहीं लिख रहा हूँ समय के अभाव के कारण आप इसे पढ़ सकते हैं विकिपीडिया से और जान सकते हैं इससे भी और ज्यादा जानकारी पा सकते हैं। महात्मा गांधी जाती प्रथा का समर्थन समझते थे।

6. उपसंहार

महात्मा गांधी के द्वारा किये गए कार्य को इतने कम शब्दों में बता पाना बहुत ही कठिन कार्य है इसके लिए एक वाक्य में कहा जा सकता है की " महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जो अपनी छाप पर भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी छोड़ने में कामयाब रहे। "

दोस्तों ये निबंध मेरे द्वारा अलग अलग जगह से जानकारी जो मुझे अच्छी लगी उसे लेकर लिखा गया है आप चाहें तो इससे और भी अच्छा निबन्ध लिख सकते हैं। निबन्ध को लिखने के लिए आपको बस एक बात का ध्यान रखना है की यहाँ पर जो भी कुछ शेयर करें वह ऐसे लगना चाहिए की आपने वाकई में कहीं से इसको पढ़ा है। निबन्ध को इस प्रकार लिखें माने जीवन्त हो और आप उसके बारे में उसके सामने बता  रहें हों।

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