ज्वालामुखी एक सोये हुए दानव के सामान होता है जिसके अंदर गर्मी से भरी ज्वाला होती है। और यह अचानक इसके अंदर से बाहर आ जाती है। यह एक अकस्माक घटना है यही कारण है की इससे अधिक जान माल की हानि होती है।
ज्वालामुखी किसे कहते हैं
ज्वालामुखी पृथ्वी के अंदर पाए जाने वाले गर्म जावा का दरार या छेद होता है। जिससे लावा, धूल जैसे,राख बाहर आते है। लावा के ठंडा होने से पर्वत या पहाड़ का निर्माण हो जाता है।
ज्वालामुखी आंतरिक घटना है जो आकस्मिक एवं शीघ्र घटित होती हैं इसके कारण सतह पर तत्काल विनाशकारी प्रभाव दिखाई देता है। ज्वालामुखी जैसा कि शब्द से ही स्पष्ट है एक ज्वाला उगलने वाला या आग का पहाड़।
इसमें से बहुत ऊँचे तापमान पर आग की लपटें व गैसीय पदार्थ तेजी से धरातल की ओर फेंक दिए जाते हैं। इसी कारण यह दूर से आग फेंकने वाली गोली जैसी दिखाई देती है।
ज्वालामुखी से निकलने वाली गैसों में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड, गन्धक व गन्धक ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, हाइड्रोजन, अमोनिया आदि गैस होते हैं। इसके साथ भारी मात्रा में जलवाष्प, धूल एवं राख भी निकलती है।
जो आप अपने आस-पास पहाड़ देखते है कही न कही वह ज्वालामुखी से बना है। यह भूकंप के कारण भी हो सकता है। यदि आप भूकंप के बारे में जानना चाहते है तो आपको डिटेल पोस्ट मिल जायेगा।
ज्वालामुखी की परिभाषा
वारसेस्टर महोदय के अनुसार - ज्वालामुखी प्रायः एक गोल आकार का छिद्र अथवाखुला भाग होता है जिससे होकर पृथ्वी के अत्यंत तप्त भूगर्भ से गैस, जल, तरल लावा तथा चट्टानों के टुकड़ोंसे युक्त गर्म पदार्थ पृथ्वी के धरातल पर प्रकट होते हैं।
इंग्लिश में ज्वालामुखी को वोल्केनो कहा जाता है। जिसका अर्थ पाताल का मार्ग से है। यूनान शब्द वूलकेनो से इसका विस्तार हुआ है। "पृथ्वी के भीतरी भाग से जो गर्म लावा निकलता हैं उसे ज्वालामुखी कहते हैं।
ज्वालामुखी के मुख को 'ज्वालामुखी शंक' कहते हैं।" जहा से लावा, ठोस पदार्थ और अनेक प्रकार की जलती हुई गैसें, धूल, राख तेजी से बहार निकलती है।
ज्वालामुखी के कारण
ज्वालमुखी के कई कारण हो सकते है। मै आपको यहाँ 3 प्रमुख कारण के बारे में चर्चा करने वाला हूँ। अब आपको बता हो गया होगा की ज्वालामुखी क्या है। ये पृथ्वी के आंतरिक गतिविधि है। और इसका कारण भी आंतरिक होता है।
1. भूगर्भ में ताप का बढ़ना - यदि आप पृथ्वी के अंदर जाते है तो गहराई बढ़ने पर 32 मीटर की गहराई में 1 सेंटीग्रेड तापमान बढ़ता जाता है और 50 किलोमीटर की गहराई पर तापमान अधिक हो जाता है।
वहाँ पाये जाने वाले आणविक तत्वों के विखण्डन से भी ताप बढ़ने में सहायता मिलती है। अब आपके मन में सवाल यह आया होगा की कोईभी वस्तु अधिक तापमान में पिघल जाता है।
यह सत्य है लेकिन पृथ्वी के अधिक दबाव के कारण वह ठोस रहता है। यदि कोई स्थान पर दबाव काम होता है तो अंदर का लावा ज्वालामुखी के रूप में बाहर निकने लगता है।
2. गैसों व जलवाष्प की उत्पत्ति - समुद्र या महसागर में जल किसी दरार की सहायता से नीचे चला जाता है। और वह अधिक गहराई में चला जाता है। और गहराई के साथ तापमान बढ़ता रहता है।
जिससे की जल वाष्प में परिवर्तित हो जाता है। यह जलवाष्प दबाव के कारण 135° सेण्टीग्रेड तक गर्म हो जाता है। और कमजोर स्थल पर बहार निकलने का प्रयास करता है। साथ मेग्मा भी तेजी से ऊपर की ओर बढ़ने लगता है।
इसी कारण प्रशांत महासागर के चारों ओर सबसे अधिक ज्वालामुखी पाये जाते हैं। क्योंकि यह पृथ्वी का सबसे अधिक असन्तुलित व कमजोर भू-भाग है।
3. लावा - ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा जिसे मेग्मा भी कहा जाता कहते हैं। सभी जगहों पर एक अवस्था में नहीं पाया जाता। यह लावा गैसों के साथ मिलकर गतिशील एवं क्रियाशील बन जाता है।
जिस प्रकार कोल्ड्रिंग के बोतल से दबाव हटाते ही वह तेजी से बाहर आने का प्रयास करता है। उसी प्रकार से गैस मिश्रित लावा भी पृथ्वी के कमजोर भागों से या दरार से पृथ्वी की सतह की ओर आने लगता है।
किन्तु ज्वालामुखी इस बात पर निर्भर करती है कि लावा गाढ़ा है या द्रव अवस्था में है।
गेसों का दबाव अधिक होने से भयंकर विस्फोट भी हो सकता है जबकि द्रव लावा में धीमा विस्फोट होता है। लावा मुख्यतः सिलिका की मात्रा के अनुसार पतला या गाढ़ा होता है।
ज्वालामुखी के प्रकार
ज्वालामुखी के तीन के होते है -
1. सक्रिय ज्वालामुखी - सक्रिय ज्वालामुखी नाम से स्पष्ट है ऐसी ज्वालामुखी में समय-समय पर विस्फोट होता रहता है। इसके दुनिया में कई उदाहरण हैं।
जैसे - सकुराजिमा एक सक्रीय ज्वालामुखी है जो की जापान में स्थित है। इसके आवला गल्र्स ज्वालामुखी - कोलंबिया, माउंट मेरापी ज्वालामुखी - इंडोनेशिया, माउंट वेसुवियस ज्वालामुखी - इटली आदि। ये सभी सक्रिय ज्वालामुखी है।
2. निष्क्रिय ज्वालामुखी - निष्क्रिय ज्वालामुखी उसे कहा जाता है जो लंबे समय में नहीं फटे लेकिन भविष्य में फिर से फटने की आशंका है। इस तरह की ज्वालामुखी में कम से कम 10,000 वर्षों से विस्फोट नहीं हुआ होता है।
उदाहरण - मौना केआ - संयुक्त राज्य अमेरिका। माउंट एजिज़ा - कनाडा। किलिमंजारो पर्वत - तंजानिया।
3. मृत ज्वालामुखी - मृत ज्वालामुखी या विलुप्त ज्वालामुखी भी कहते हैं जो मानव इतिहास में कभी सक्रीय नहीं होते हैं।
मृत ज्वालामुखियों के उदाहरण बेन नेविस, यूनाइटेड किंगडम का सबसे लंबा पर्वत, उत्तरी प्रशांत महासागर में हवाईयन-सम्राट सीमाउंट श्रृंखला और पेरू में हुस्करैन आदि।
ज्वालामुखी के लाभ और हानि
ज्वालामुखी के लाभ
- ज्वालामुखी विस्फोट से हमारे ग्रह के कोर की गर्मी को स्थिर करने में मदद मिलती है।
- तरल लावा के सूखने के बाद ज्वालामुखी नए भूमि रूपों का निर्माण करते हैं।
- लावा और राख का उपयोग विभिन्न कार्यो के लिए किया जाता है।
- लावा में विभिन्न खनिज होते हैं जो मौजूदा मिट्टी को समृद्ध बनाते हैं।
ज्वालामुखी के नुकसान
- यह बहुत विनाशकारी होता है।
- ज्वालामुखी विस्फोट से हानिकारक गैसें भी निकलती हैं।
- लावा ताप ग्लोबल वार्मिंग के लिए एक बूस्टर के रूप में कार्य करता है।
- लावा का प्रवाह अक्सर कई मौतों का कारण बनता है।
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