जीवमंडल परिभाषा क्या है - jeev mandal kya hai

जीवमंडल वह क्षेत्र है जहाँ जीवन पाया जाता है। इसमें सभी जीव-जंतु, पौधे और छोटे-छोटे जीव शामिल होते हैं। यह पृथ्वी का वह हिस्सा है जिसमें वायुमंडल, जलमंडल और जमीन शामिल हैं। क्योंकि इन सभी में जीवन होता है, इसलिए ये सब जीवमंडल के भाग होते हैं।

  • जीवमंडल पृथ्वी का वह हिस्सा है जहाँ जीवन (Living beings) संभव है।
  • इसमें थल, जल, और वायु सभी आते हैं, जहाँ पर जीव-जंतु, पौधे और सूक्ष्म जीव रहते हैं।

जीवमंडल की परिभाषा

जीवमंडल पृथ्वी की सतह की अपेक्षाकृत पतली परत है, जो वायुमंडल में कुछ किलोमीटर ऊपर से लेकर समुद्र की गहराइयों तक फैली होती है। यह एक वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र (Global Ecosystem) है, जो जीवित जीवों (जैसे पौधे, जानवर, बैक्टीरिया) और अजैविक घटकों (जैसे जल, वायु, मिट्टी) से मिलकर बना होता है, जिनसे जीव ऊर्जा और पोषक तत्व प्राप्त करते हैं।

संरचना

जीवमंडल पृथ्वी की वह परत है जहाँ जीवन संभव है। यह परत समुद्र तल से लगभग 10 किलोमीटर ऊपर और समुद्र की गहराई में लगभग 9 किलोमीटर नीचे तक फैली हुई है। जैवमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल के साथ मिलकर पृथ्वी की पारिस्थितिक संरचना को पूर्ण करता है। यह सभी पारिस्थितिक तंत्रों का योग है।

विशेषता

जीवमंडल अद्वितीय है क्योंकि अभी तक ब्रह्मांड में जीवन का कोई अन्य प्रमाण नहीं मिला है। पृथ्वी पर जीवन सूर्य की ऊर्जा पर निर्भर करता है। सूर्य के प्रकाश के माध्यम से पौधे, कुछ बैक्टीरिया और प्रोटिस्ट प्रकाश-संश्लेषण करते हैं और ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं। अन्य जीव जैसे जानवर, कवक, परजीवी पौधे आदि प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस प्रक्रिया पर निर्भर करते हैं।

जीवमंडल में कौन-कौन आते हैं?

  • मानव
  • जानवर
  • पेड़-पौधे
  • सूक्ष्मजीव – जैसे बैक्टीरिया, फंगस आदि

जीवमंडल को प्रभावित करने वाले कारक

जीवमंडल और हमारे जीवन को कई कारक प्रभावित करते हैं। जैसे:

  • पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी – यदि पृथ्वी सूर्य के अधिक निकट होती तो बहुत गर्म होती और यदि अधिक दूर होती तो अत्यधिक ठंडी।
  • पृथ्वी का झुकाव – यह मौसम और जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारण है, जो जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनाता है।

विकास

जीवमंडल लगभग 3.5 अरब वर्षों से अस्तित्व में है। प्रारंभिक जीवनरूप जैसे प्रोकैरियोट्स (बैक्टीरिया और आर्किया) बिना ऑक्सीजन के जीवित रहते थे। कुछ बैक्टीरिया ने एक विशेष रासायनिक प्रक्रिया विकसित की जिससे उन्होंने प्रकाश-संश्लेषण करना प्रारंभ किया और ऑक्सीजन का निर्माण होने लगा।

समय के साथ वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ा और जटिल जीवनरूपों का विकास हुआ। पौधों और प्रकाश-संश्लेषक जीवों की संख्या बढ़ी, पशु इन पौधों का उपभोग करने लगे। बैक्टीरिया ने मृत पौधों और जानवरों को विघटित करने में योगदान दिया, जिससे मिट्टी और महासागर में पोषक तत्व बने। यही पोषक तत्व पुनः पौधों द्वारा अवशोषित किए जाते हैं, जिससे यह एक स्वावलंबी और संतुलित प्रणाली बन गई है।

संरक्षण

मनुष्य जीवमंडल में ऊर्जा प्रवाह बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परंतु जब वे जंगलों की कटाई करते हैं या जीवाश्म ईंधनों का अत्यधिक प्रयोग करते हैं, तो वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा घटती है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है। जीवमंडल का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम प्रकृति और अन्य जीवों के साथ किस प्रकार संतुलन बनाए रखते हैं।

1970 के दशक में, संयुक्त राष्ट्र ने मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम (Man and Biosphere Program) की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सतत विकास को बढ़ावा देना था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत जीवमंडल रिज़र्व स्थापित किए गए, जिनका उद्देश्य मानव और प्रकृति के बीच संतुलित संबंध बनाना है।

वर्तमान में, विश्वभर में 563 जीवमंडल रिज़र्व हैं। पहला जीवमंडल रिज़र्व यांग्बी, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में स्थापित किया गया था। यह क्षेत्र कांगो नदी बेसिन में स्थित है, जहाँ 32,000 से अधिक पेड़ की प्रजातियाँ पाई जाती हैं और जंगली हाथियों का संरक्षण किया जाता है। यहाँ कृषि, शिकार और खनन जैसी गतिविधियाँ भी होती हैं।

भारत सरकार ने अब तक देश में 18 जीवमंडल संरक्षित क्षेत्र स्थापित किए हैं, जिनका उद्देश्य जैव विविधता और वन्यजीवों का संरक्षण करना है।

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