जीव उन सभी प्राणियों को कहा जाता है जो कोशिकाओं से बने होते हैं, वृद्धि करते हैं, प्रजनन करते हैं, ऊर्जा का उपभोग करते हैं। वे अपने परिवेश के अनुसार परिवर्तित होते हैं। इस शब्द का उपयोग आमतौर पर जानवरों के लिए किया जाता है। जीवों को आहार के आधार पर तीन भागों में बांटा गया हैं।
- शाकाहारी - ऐसे जीव जो केवल पौधे खाते हैं।
- मांसाहारी - जो केवल मांस खाते हैं।
- सर्वाहारी - जो पौधों और मांस दोनों को खाते हैं।
वे जानवर जो केवल घास, पत्ते, फल खाते है, उसे शाकाहारी जीव कहते हैं, और केवल मांस खाने वाले जानवर को मांसाहारी जाता है। जबकि घास और मांस दोनों खाने वाले जीवों को सर्वाहारी कहा जाता है। संतुलित पारिस्थितिक तंत्र के लिए सभी प्रकार के जीवों की उपस्थिति आवश्यक होती है, क्योंकि प्रत्येक जीव अपनी विशेष भूमिका निभाता है और पर्यावरण को स्थिर बनाए रखने में योगदान करता है।
शाकाहारी जीव किसे कहते है
जीव-जंतुओं को उनके भोजन के आधार पर कई श्रेणियों में बांटा जाता है। उनमें से एक महत्वपूर्ण वर्ग शाकाहारी जीवों का है। ये जीव केवल पौधों, घास, फल, फूल, पत्तियां और बीजों का सेवन करते हैं। ये न केवल पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने में मदद करते हैं, बल्कि खाद्य श्रृंखला में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
शाकाहारी जीव पूरी तरह से पौधों पर निर्भर होते हैं। इनका आकार छोटे कीड़ों से लेकर विशाल हाथियों तक हो सकता है। इन सभी जीवों का एक निश्चित आहार होता है, जो उन्हें खाद्य श्रृंखला में जोड़ता है। ये जीव मुख्य रूप से हर्बिवोर (Herbivores) कहलाते हैं।
शाकाहरी जीव के उदाहरण इस प्रकार हैं।
हाथी | जिराफ़ | घोड़ा |
गाय | हिरण | खरगोश |
कंगारू | ज़ेबरा | भेड़ |
बकरी | गैंडा | भैंस |
ऊँट | गधा | बंदर |
दरियाई घोड़ा |
शाकाहारी जीवों को उनके आकार के आधार पर विभिन्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। यहाँ आकार के आधार पर शाकाहारी जीवों के प्रमुख प्रकार दिए गए हैं।
- छोटे आकार के शाकाहारी - ये जीव छोटे और हल्के होते हैं, उन्हें अक्सर शिकारियों से बचने के लिए तेज़ी से भाग पड़ता हैं। उदाहरण: खरगोश, गिलहरी, चूहे, कैवी, हेजहॉग आदि।
- मध्यम आकार के शाकाहारी - ये जीव आकार में छोटे और बड़े जीवों के बीच होते हैं और अक्सर झुंड में रहते हैं। उदाहरण: हिरण, भेड़, बकरी, कंगारू, मृग आदि।
- बड़े आकार के शाकाहारी - ये जीव आकार में बड़े होते हैं और यह जंगल या घास के मैदानों में पाए जाते हैं। उदाहरण: घोड़ा, गाय, भैंस, गेंडा, हाथी, जिराफ, दरियाई घोड़ा आदि।
- सूक्ष्मजीवी - ये अत्यंत छोटे जीव होते हैं, जो पत्तियों, फफूंद, और शैवाल जैसे सूक्ष्म पौधों को खाते हैं। उदाहरण: दीमक, कुछ प्रकार के कीट, घोंघे, लार्वा आदि।
पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने के लिए शाकाहारी जीवों का होना आवश्यक है। वे न केवल मांसाहारी जीवों के लिए भोजन का स्रोत होते हैं, बल्कि पर्यावरण के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शाकाहारी जीव वनस्पतियों पर निर्भर होते हैं, जो न केवल उन्हें पोषण प्रदान करती हैं, बल्कि ऑक्सीजन और पर्यावरण को संतुलित रखती हैं।
वनों के नष्ट होने से शाकाहारी जीवों की संख्या में कमी आ रही है, जिससे संपूर्ण खाद्य श्रृंखला प्रभावित होती है। शाकाहारी जीवों की संख्या में गिरावट का सीधा असर मांसाहारी जीवों पर पड़ता है। इसलिए, पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित बनाए रखने के लिए वनों का संरक्षण और शाकाहारी जीवों के प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा आवश्यक है।
शाकाहारी जीव के प्रकार
शाकाहारी जीवों को उनके भोजन के आधार पर कई श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
-
पत्ते खाने वाले - वे जीव जो मुख्य रूप से पत्तियों का सेवन करते हैं, जैसे कि हाथी, कोआला और स्लॉथ।
-
फलभक्षी - वे जीव जो मुख्य रूप से फलों का सेवन करते हैं, जैसे कि बंदर और चमगादड़।
-
अन्नभक्षी - वे जीव जो बीजों और अनाज का सेवन करते हैं, जैसे कि कबूतर और तोता।
-
अमृतभक्षी - वे जीव जो फूलों के रस का सेवन करते हैं, जैसे कि तितलियां और मधुमक्खी।
शाकाहारी जीवों का पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान
-
पर्यावरण संतुलन बनाए रखना: शाकाहारी जीव घास, झाड़ियों और पेड़ों को नियंत्रित रखते हैं, जिससे जंगल और घास के मैदानों का संतुलन बना रहता है।
-
बीजों का प्रसार: कई शाकाहारी जीव फलों और बीजों का उपभोग करके उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक फैलाते हैं, जिससे पौधों के क्षेत्र में विस्तार होता है।
-
खाद्य श्रृंखला का हिस्सा: शाकाहारी जीव मांसाहारी जीवों के लिए भोजन का स्रोत होते हैं, जिससे खाद्य श्रृंखला में संतुलन बना रहता है।
-
मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि: जब ये जीव भोजन ग्रहण करते हैं और अपशिष्ट पदार्थ छोड़ते हैं, तो यह प्राकृतिक खाद के रूप में कार्य करता है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है।