यमुना नदी का उद्गम स्थल - yamuna nadi

Post a Comment

यमुना नदी गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदियों में से एक है। नदी उत्तराखंड से होते हुए हरियाणा दिल्ली और उत्तरप्रदेश में गंगा नदी में मिल जाती है। यमुना नदी की कुल लम्बाई 1376 किलोमीटर की है।

यमुना नदी का उद्गम स्थल

यमुना नदी गंगा की दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी है। उत्तराखंड हिमालय के दक्षिणी-पश्चिमी ढलान पर 6,387 मीटर की ऊंचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलते हुए। यह 1,376 किलोमीटर की कुल लंबाई की यात्रा करती है और इसमें 366,223 वर्ग किलोमीटर का ड्रेनेज सिस्टम है। यमुना त्रिवेणी संगम में गंगा के साथ विलीन हो जाता है।  पूरे गंगा बेसिन का 40.2% हिस्सा यमुना नदी का है। यहाँ हर 12 साल में कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।

यमुना की सहायक नदियाँ

टोंस नदी, यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो 6,315 मीटर ऊंचे  बंदरपुंछ पर्वत से निकलती है, और हिमाचल प्रदेश में एक बड़ा बेसिन है। यह देहरादून, उत्तराखंड के पास कालसी के नीचे यमुना से मिलती है।

हिंडन नदी, जो कि सहारनपुर जिले में, ऊपरी शिवालिक से निचली हिमालयी सीमा में निकलती है। यह पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर है और इसका जलग्रहण क्षेत्र 7,083 वर्ग किलोमीटर है, जो मुजफ्फरनगर जिले में दिल्ली के बाहर यमुना में शामिल होती है।

यमुना नदी किन राज्यों से होकर गुजरती है

यमुना नदी उत्तराखंड, हरियाणा और दिल्ली से गुजरते हुए उत्तर प्रदेश पहुँचती है। और विशाल गंगा में मिल जाती है। यमुना की सहायक नदीयो में टोंस, चंबल जैसी नदिया गंगा को विशाल बनती है।सिंध, बेतवा और केन भी इसकी सहायक नदी हैं।

गंगा के मैदान में यमुना और गंगा दोआब बनाने में मदद करता है। लगभग 57 मिलियन लोग यमुना के पानी पर निर्भर हैं। लगभग 10,000 क्यूबिक बिलियन लीटर का वार्षिक प्रवाह सिंचाई में 96 प्रतिशत जल का उपयोगकिया जाता है।

70 प्रतिशत से अधिक दिल्ली की जल आपूर्ति नदी से होता है। गंगा की तरह, यमुना हिंदू धर्म में अत्यधिक पूजनीय है और देवी यमुना के रूप में पूजी जाती है। हिंदू पौराणिक कथाओं में वह सूर्य की पुत्री और मृत्यु के देवता यम की बहन हैं। इसलिए उन्हें यमी के नाम से भी जाना जाता है। लोकप्रिय कथाओं के अनुसार, इसके पवित्र जल में स्नान करने से व्यक्ति मृत्यु की पीड़ा से मुक्त हो जाता है।

हथनी कुंड बैराज में इसके पानी को दो बड़ी नहरों में बाटा जाता है। पश्चिमी यमुना नहर हरियाणा की ओर और पूर्वी यमुना नहर उत्तर प्रदेश की ओर बहती है। यमुना नदी नोएडा के पास अत्यधिक प्रदूषित हिंडन नदी सेमिलती है।

यमुना का पानी हिमालय में यमुनोत्री से लेकर दिल्ली के वज़ीराबाद बैराज तक लगभग 375 किलोमीटर की लंबाई तक इसका पानी स्वच्छ होता है। इसके बाद वज़ीराबाद बैराज और ओखला बैराज के बीच 15 नालों के माध्यम से अपशिष्ट जल का निर्वहन नदी को प्रदूषित करता है।

नदी में प्रदूषण के तीन मुख्य स्रोत हैं - घरेलू और नगरपालिका से उत्त्पन्न कचड़े, कृषि और रास्ता बनाने के लिए वनों की कटाई से उत्पन्न मिट्टी का कटाव और उर्वरक, कीटनाशकों से रासायन का नदी में मिलने से यमुना नदी बहुत गन्दी  है।

यमुना नदी का इतिहास

यमुना नदी भारत की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। पिछली कई सदियों से नदी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। यह लाखों लोगों की आजीविका का साधन है। आध्यात्मिक प्रेरणा की खोज में कई लोग बड़ी आशा के साथ इसकी वंदना करते हैं। लेकिन वर्तमान में यह नदी अत्यधिक प्रदूषित है।

यमुना नदी उत्तराखंड में उत्तरकाशी के पर्वत श्रृंखला में 6387 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चंपासर झील से निकलती है। यह उत्तर भारत के गंगा के मैदानों में प्रवेश करने से पहले हिमालय में बर्फ से ढकी और जंगल की घाटियों की श्रृंखला के माध्यम से चलता है। 1376 किलोमीटर तक चलने के बाद आखिरकार यह नदी यूपी के इलाहाबाद में गंगा नदी में मिल जाती है।

गंगा नदी को भारत में पूजनीय मन जाता है। मथुरा और वृंदावन में यमुना नदी का पुराना नाता है। कहा जाता है की कृष्णा ने राधा के लिए यमुना नदी का एवं कर एक कुंड का निर्माण किया था जिसे राधा कुंड कहा जाता है। वासुदेव ने इसी नदी को पर कर कृष्णा को यशोदा  नन्द के पास ले गए थे। यमुना सूर्य  पुत्री के रूप  जाना जाता है।

यमुना नदी प्रदूषण को कैसे रोके

यमुना गंगा की दूसरी सबसे बड़ी सहायक नदी है और भारत की सबसे लंबी सहायक नदी है। उत्तराखंड यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलते हुए, यह 1,376 किलोमीटर की यात्रा करती है और इसमें 366,223 वर्ग किलोमीटर का ड्रेनेज सिस्टम है। जो पूरे गंगा बेसिन का 40.2% हैं।

यह त्रिवेणी संगम, प्रयागराज में गंगा के साथ विलीन हो जाती है, जो हर 12 साल में आयोजित होने वाला एक हिंदू त्योहार कुंभ मेला का स्थान है।

यह कई राज्यों को पार करती है: जिसमे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बाद में दिल्ली से गुजरते हुए, और टोंच, चंबल सहित अपनी सहायक नदियों से मिलते हुए गंगा में मिल जाती है।

यह गंगा के मैदान में अत्यधिक उपजाऊ जलोढ़ लती है और यमुना-गंगा दोआब क्षेत्र बनाने में मदद करता है। लगभग 57 मिलियन लोग यमुना के पानी पर निर्भर हैं, और नदी दिल्ली की 70 प्रतिशत से अधिक पानी की आपूर्ति इसी नदी से होती है।

पहले, यमुना का पानी नीले रंग का था, लेकिन आज यमुना को दुनिया की प्रदूषित नदियों में से एक माना जाता है। यमुना भारत की राजधानी नई दिल्ली में विशेष रूप से प्रदूषित है, जो नदी में अपने कचरे का लगभग 58% डालती है। सबसे ज्यादा प्रदूषण वजीराबाद से आता है, जहां से यमुना दिल्ली में प्रवेश करती है।

यमुना नदी प्रदूषण के कारण

घरेलू स्रोत - दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शहर में कम से कम 90% घरेलू प्रदूषित जल यमुना में प्रवाहित होता है।

प्रदूषित जल मुख्य रूप से घरेलू गतिविधियों से आता है इसलिए नदी में डिटर्जेंट, कपड़े धोने वाले रसायनों और फॉस्फेट यौगिकों की उच्च सामग्री की उपस्थिति होती है।

अन्य प्रमुख कारण यह है:

  • औद्योगिक भारी धातु प्रदूषण।
  • मूर्ति विसर्जन प्रदूषण बढ़ाने में सहायक।
  • प्लास्टिक प्रदूषण।
  • यमुना नदी प्रदूषण के उपाय

प्रदूषित पानी को साफ करने का सबसे अच्छा तरीका प्रदूषित पानी को साफ करना नहीं है बल्कि प्रदूषण को रोकना है। नदी में कचड़े और गन्दगी को रोकना बहुत जरुरी है। नहीं तो जितना भी सफाई अभियान चलाया जाये यमुना नदी कभी साफ  नहीं हो पायेगी। इसमें शहरो और कारखानों से आने वाले प्रदूषण नदी को सबसे अधिक प्रदूषित करती है।

Related Posts

Post a Comment