रहीम दास का जीवन परिचय - rahim das ke jivan parichay

रहीम का जन्म सन 17 दिसंबर 1556 तथा उसकी मृत्यु 1 अक्टूबर 1627 को हुआ था। रहीम दास मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक थे। रहीम जी अपने दोहे के प्रसिद्धि प्रदान की हैं। रहीम दास के पिता का नाम बैरम खान था।

रहीम दास का जीवन परिचय

रहीम का जन्म 17 दिसंबर 1556 को लाहौर में हुआ था। उसके पिता बैरम खाँ अकबर के संरक्षक और सलाहकार थे। उसकी माँ का नाम सुल्ताना बेगम थी। 31 जनवरी 1561 में रहीम के पिता बैरम खाँ की मृत्यु हो गई। जिसके बाद रहीम का पालन-पोषण अकबर ने किया। रहीम ने बाबा जंबूर की देख-रेख में गहन अध्ययन किया। शिक्षा समाप्त होने पर अकबर ने अपनी धाय की बेटी माहबानो से रहीम का विवाह करा दिया।

रहीम ने गुजरात, कुम्भलनेर, उदयपुर आदि युद्धों में विजय प्राप्त की। सन 1557 में अकबर ने रहीम को खान-ए-खाना की उपाधि से सम्मानित किया। रहीम का देहांत 71 वर्ष की आयु में सन 1627 में हुआ। रहीम को उनकी इच्छा के अनुसार दिल्ली में ही उनकी पत्नी के मकबरे के पास ही दफना गया। यह मज़ार आज भी दिल्ली में मौजूद हैं।

कबीर दास की भाषा शैली

रहीम ने अवधी और ब्रजभाषा में रचनाएं की है। रहीम के काव्य में शृंगार, शांत तथा हास्य रस की अधिकता हैं। दोहा, सोरठा, और कवित्त उनके प्रिय छंद हैं। रहीम दास जी की भाषा अत्यंत सरल है, उनके काव्य में भक्ति, नीति, प्रेम और श्रृंगार की प्रधानता होती है। उन्होंने सोरठा एवं छंदों का प्रयोग करते हुए काव्य की रचना की है। ब्रजभाषा में काव्य रचनाएं की है। 

उन्होंने ब्रज भाषा के अलावा अन्य भाषाओं का प्रयोग अपनी काव्य रचनाओं में किया है। उनकी अधिकतर काव्य मुक्तक शैली में हैं जो कि अत्यंत ही सरल है। रहीम एक भाषाविद् कवि और विद्वान थे। उन्होंने पुर्तगाली और ब्रज, संस्कृत, अरबी, फारसी में काव्य की रचना की हैं। रहीम जी ने बाबर की आत्मकथा बाबरनामा का तुर्की से फारसी में अनुवाद किया हैं।

प्रमुख रचनाएं - रहीम दोहावली, बरवै, नायिका भेद, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, नगर शोभा आदि।

रहिमन पानी रखिये बिन पानी सब सून,
पानी गए ना उबरे मोती मानुस चुन।

अर्थ - पानी की हर बूंद को संरक्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि सीप के खोल के अंदर बचाई गई एक बूंद पानी ही  मोती बनाती है। 

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