प्रकृति में कोई भी जीव अकेला जीवित नहीं रह सकता है। वह एक जैविक समुदाय के रूप में रहता है इस समुदाय के समस्त जीव-जंतुओं पेड़ पौधे पर्यावरण के बिना जैविक तथा अजैविक घटकों से क्रियात्मक रूप से संबंधित रहते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं
पारिस्थितिक तंत्र में प्रत्येक कारक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे पर निर्भर होते है। उदाहरण के लिए, एक पारिस्थितिकी तंत्र के तापमान में बदलाव वहां कौन से पौधे उगेंगे उसे प्रभावित करते हैं। भोजन और आश्रय के लिए पौधों पर निर्भर रहने वाले जानवरों को परिवर्तनों के अनुकूल होना होगा। जैसे मौसम के अनुसार ढलना होगा यह प्रवास करना होगा।
पारिस्थितिक तंत्र बहुत बड़े या बहुत छोटे हो सकते है। जैसे ज्वार के तालाब छोटे पारिस्थितिक तंत्र का उदाहरण हैं। पृथ्वी की सतह जुड़े हुए पारिस्थितिक तंत्र की एक श्रृंखला है। पारिस्थितिक तंत्र अक्सर एक बड़े बायोम में जुड़े होते हैं। बायोम भूमि, समुद्र या वायुमंडल के बड़े हिस्से होते हैं।
उदाहरण के लिए, वन, तालाब, चट्टान और टुंड्रा सभी प्रकार के बायोम हैं। वे आम तौर पर उन पौधों और जानवरों के प्रकार के आधार पर व्यवस्थित होते हैं जो उनमें रहते हैं। प्रत्येक जंगल, प्रत्येक तालाब, प्रत्येक चट्टान, या टुंड्रा के प्रत्येक खंड में आपको कई अलग-अलग पारिस्थितिक तंत्र मिलेंगे।
पारिस्थितिक तंत्र शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम टेंसली नामक वैज्ञानिक ने सन 1935 में किया था टेंसिले के अनुसार प्रकृति में उपस्थित सजीवों एवं निर्जीव की परस्पर क्रियाओं के परिणाम स्वरूप बनने वाला तंत्र पारिस्थितिक तंत्र कहलाता है।
पारिस्थितिक तंत्र बहुत छोटा हो सकता है जिसे तश्तरी में थोड़ा सा जलिया मृदा का एक छोटा सा टुकड़ा अथवा एक महासागर जितना विशाल हो सकता है। यहां तक की सारी पृथ्वी एक पारिस्थितिक तंत्र मानी जा सकती है।
पारिस्थितिक तंत्र के प्रकार
पारिस्थितिक तंत्र मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
- प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र
- कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र
प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र वे तंत्र होते हैं जिसका निर्माण प्रकृति के द्वारा होता है जैसे वन का पारिस्थितिक तंत्र घास के मैदान का पारिस्थितिक तंत्र मरुस्थल का पारिस्थितिक तंत्र।
कृत्रिम पारिस्थितिकी तंत्र वे पारिस्थितिक तंत्र होते हैं जिसका निर्माण मनुष्य द्वारा किया हो उदाहरण खेत का पारिस्थितिक तंत्र मछली घर का पारिस्थितिक तंत्र आदि।
पारिस्थितिक तंत्र के घटक
पारिस्थितिक तंत्र के 2 मुख्य भाग होते हैं जीवित जीवधारी तथा निर्जीव वातावरण। समस्त जीवधारी परिस्थितिक तंत्र का जैविक घटक तथा निर्जीव वातावरण इसका अजैविक घटक होता है।
A . अजैविक घटक
ओडम 1971 के किसी पारिस्थितिक तंत्र के अजैविक घटकों को तीन भागों में बांटा है।
- अकार्बनिक पोषक
- कार्बनिक योगिक
- जलवायु या भौतिक कारक
1. अकार्बनिक पोषक
इनमें जल कैलशियम पोटैशियम मैग्निशियम जैसे खनिज फास्फोरस नाइट्रोजन सल्फर जैसे लग्न तथा ऑक्सीजन कार्बन डाइऑक्साइड नाइट्रोजन जैसे-जैसे शामिल है यह सब हरे पौधे के पोषक तत्व अथवा कच्ची सामग्री है।
2. कार्बनिक यौगिक
इसमें मृत पौधों व जंतुओं से उत्पन्न प्रोटीन शर्करा रिपीट जैसे कार्बनिक यौगिक और इनके अपघटन से उत्पन्न माध्यमिक या अंतिम उत्पाद जैसे यूरिया तथा ह्यूमस सम्मिलित है।
3. लवायु कारक या भौतिक कारक
वातावरण के भौतिक भाग में जलवायु कारक उदाहरण तथा वायु नमी तथा प्रकाश आते हैं सौर ऊर्जा मुख्य भौतिक घटक है।
B जैविक घटक
सभी जीवो को पोषण वृद्धि तथा जनन के लिए खाद पदार्थों की आवश्यकता होती है खाद पदार्थों से जीवन के लिए ऊर्जा मिलती है पारिस्थितिक तंत्र के जैव घटक में प्रवाहित होने वाली ऊर्जा का स्रोत सूर्य है विभिन्न पोषण विधियों के आधार पर जैविक घटक को निम्न प्रकारों से विभक्त किया गया है।
1. उत्पादक या स्वपोषी
यह प्रकाश संश्लेषण पौधे हैं जिसमें कुछ प्रकार संश्लेषी जीवाणु भी सम्मिलित है। इनमें हरा वर्णक पर्णहरिम होता है यह सूर्य ऊर्जा के सहायता से अकार्बनिक पोषक तत्वों से अपने कार्बनिक खाद पदार्थ स्वयं बना लेते हैं इस प्रक्रम में आणविक ऑक्सीजन जो जंतुओं को जीवित रखने के लिए अनिवार्य है विमुक्त हो जाती है तथा जो कार्बनिक पदार्थ बनते हैं उनमें सूर्य की ऊर्जा संचित रहती है प्रकाश संश्लेषि पौधों को उत्पादक कहते हैं।
2. उपभोक्ता या परपोषी
इनमें कौन हरीम नहीं होता है यह अपना आहार हरे पौधों से लेते हैं इन्हें उपभोक्ता कहते हैं इनमें जंतु कवक तथा जीवाणु सम्मिलित हैं इनको निम्नलिखित पोषण विधियों में विभक्त किया जाता है।
(A) शाकाहारी
ऐसे जंतु तथा परजीवी पौधों को अपना खाद पदार्थ सीधी में प्रकाश संश्लेषण पौधों से प्राप्त करते हैं इन्हें शाकाहारी या प्राथमिक उपभोक्ता कहते हैं उदाहरण के लिए टिड्डे तिलिया मधुमक्खियां तोता खरगोश बकरी गाय हिरन आते आते इस संवर्ग में आते हैं।
(B) मांसाहारी
यह ऐसे जंतु है जो शाकाहारी जंतु को खाते हैं इन्हें द्वितीयक उपभोक्ता भी कहते हैं उदाहरण ब्रिंग व झिंगुर छोटी मछलियां मेंढक छिपकली सांप तथा छोटे पक्षी जैसे चिड़िया कौवा कठफोड़वा वा मैना आदि।
(C) सर्वोच्च मांसाहारी
यह ऐसे जंतु हैं जिन को दूसरे जंतु मारकर नहीं खाते इन्हें तृतीयक उपभोक्ता कहते हैं उदाहरण शार्क मछलियां मगरमच्छ उल्लू चील तथा बाजा आदि।
3. अपघटक
यह वह जीव है जो विभिन्न कार्बनिक पदार्थों को उनके अवयवों में घटित करते हैं इस प्रकार भोजन जो ऐसे प्राथमिक रूप में उत्पादकों ने संचित किया या अन्य उपभोक्ताओं ने प्रयोग किया वातावरण में वापस लौट आने का कार्य अपघटक ही करते हैं। ऐसे जियो के प्रमुख उदाहरण मृतोपजीवी कवक तथा जीवाणु इत्यादि हैं।
यह पारिस्थितिक तंत्र की क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं हरे पौधे भूमि से कई खनिज वाला मान लेते हैं जो उनकी वृद्धि तथा परिवर्धन के लिए अनिवार्य होते हैं कैल्शियम पोटेशियम लोहा फास्फोरस तथा नाइट्रोजन जैसे खनिज जंतुओं के लिए भी आवश्यक होते हैं और यह इन्हें हरे पौधों से लेते हैं।
पौधे और जंतु पैदा होते हैं वृद्धि व जनन करते हैं और अंत में मर जाते हैं उनके शरीर में आवश्यक खनिज अवस्था में विद्यमान रहते हैं यदि किसी कारण व मृदा में लौटना सके तो इनका परिणाम पारिस्थितिक तंत्र के लिए अनर्थ कार्य सिद्ध होगा।
स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र
स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र जीवों का एक भूमि-आधारित समुदाय है और किसी क्षेत्र में जैविक और अजैविक घटकों की परस्पर क्रिया है। स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र के उदाहरणों में टुंड्रा, टैगा, समशीतोष्ण पर्णपाती वन, उष्णकटिबंधीय वर्षावन, घास के मैदान और रेगिस्तान शामिल हैं। किसी विशेष स्थान पर पाए जाने वाले स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र का प्रकार तापमान सीमा, प्राप्त वर्षा की औसत मात्रा, मिट्टी के प्रकार और इसे प्राप्त होने वाले प्रकाश की मात्रा पर निर्भर करता है।
इन संसाधनों का उपयोग स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में छात्रों की जिज्ञासा को जगाने के लिए करें और यह पता लगाएं कि विभिन्न अजैविक और जैविक कारक किसी विशेष स्थान पर पाए जाने वाले पौधों और जानवरों को कैसे निर्धारित करते हैं।
वन का पारिस्थितिक तंत्र
वन का पारिस्थितिक तंत्र स्वयं में परिपूर्ण एवं स्वतंत्र नियामक पारिस्थितिक तंत्र होता है वन का पारिस्थितिक तंत्र दो प्रमुख घटकों से मिलकर बना होता है
(A) अजैविक घटक
एक वन के पारिस्थितिक तंत्र में दो प्रकार के जैविक घटक होते हैं एक अकार्बनिक जैविक घटक दूसरा कार्बनिक
वन में उपस्थित हरे पौधे इन अकार्बनिक एवं कार्बनिक पदार्थों का उपयोग करके प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा अपने भोजन का संश्लेषण करते हैं ।
(B) जैविक घटक
इसके अंतर्गत में ना प्रकार के जीव धारियों पेड़ पौधे सम्मिलित किए गए हैं
- उत्पादक
- उपभोक्ता
- अपघटक
1. उत्पादक
वनों में पाए जाने वाले समस्त हरे पौधे जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा पूर्ण हरीम के सहायता से सौर ऊर्जा जल एवं CO2 का उपयोग करके अपना भोजन स्वयं बनाते हैं जिन्हें उत्पादक कहते हैं क्योंकि 1 के प्रकार के होते हैं अतः प्रत्येक प्रकार के वन में अलग-अलग पौधे पाए जाते हैं वनों में पाए जाने वाले सामान्य पौधे सैगोन, साल, पलाश, देवदार, पाइनस आदि हैं।
2. उपभोक्ता
उनके अंतर्गत वनों के ऐसे जीवधारी सम्मिलित किए जाते हैं जो अपने पोषण हेतु वन्यजीवों या पेड़ पौधों पर आश्रित होते हैं वनों में तीन प्रकार के उपभोक्ता पाए जाते हैं।
प्राथमिक उपभोक्ता हाथी नीलगाय लोमड़ी बंदर गिलहरी हिरण एवं शाकाहारी पक्षी वन के प्रमुख प्राथमिक उपभोक्ता हैं यह भोजन हेतु पेड़ पौधों पर आश्रित होते हैं।
द्वितीयक उपभोक्ता इनके अंतर्गत वनों में उपस्थित ऐसे जीव जंतु आते हैं जो कि अपने पोषण के लिए प्राथमिक उपभोक्ताओं पर निर्भर होते हैं तथा शिकार करके उनके मांस को खाकर अपना पोषण करते हैं उदाहरण गिरगिट छिपकली सांप कौवा सियार भेड़िया नेवला आदि।
तृतीयक उपभोक्ता इनके अंदर गधे से जंतुओं को सम्मिलित किया गया है जो अपने भोजन हेतु द्वितीयक उपभोक्ता ऊपर आश्रित होते हैं इनका शिकार करके अपना भरण-पोषण करते हैं इन्हें सर्वोच्च मांसाहारी जंतु भी कहते हैं उदाहरण बाघ शेर चीता आदि।
3. अपघटक
इन के अंतर्गत ऑन सूक्ष्म जीवों को सम्मिलित किया गया है जो उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के मृत्युंजय गाड़ी शारीरिक पदार्थों एवं शरीर का गठन करके उन्हें अकार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित करके पुनः मृदा में वापस मिला देते हैं इन्हें अपघटक कहते हैं उदाहरण के लिए जीवाणु व कवक।
घास के मैदान का पारिस्थितिक तंत्र
घास के मैदान का पारिस्थितिक तंत्र अन्य पारिस्थितिक तंत्र से भिन्न है यह घास स्थल ऐसे क्षेत्रों में अधिकता में पाए जाते हैं जहां पर औसत वर्षा 25 से 75 सेंटीमीटर तक होती है, इन हार स्थलों में लंबी लंबी घास एवं झाड़ियों की अधिकता होती है।
जबकि वृक्षों का दूर-दूर तक अभाव होता है अफ्रीका में सवाना घास मैदान ऑस्ट्रेलिया अर्जेंटीना संयुक्त राष्ट्र अमेरिका साइबेरिया दक्षिण रूस आदि देशों में बड़े-बड़े घास के मैदान पाए जाते हैं। घास के मैदानों की मिट्टी फेमस युक्त होती है जिसके कारण इस की उपजाऊ शक्ति अधिक होती है भारतवर्ष के संपूर्ण भाग के लगभग 8% भाग में घास के मैदान उपस्थित हैं।
घास के मैदान के पारिस्थितिक तंत्र के प्रमुख संचालनात्मक एवं क्रियात्मक घटक
एक प्राकृतिक घास के मैदान के पारिस्थितिक तंत्र में प्रमुख संचालन आत्मा के क्रियात्मक घटक निम्नलिखित हैं।
- अजैविक घटक
- जैविक घटक
1. अजैविक घटक घास के मैदानों में भी दो प्रकार के अजैविक घटक पाए जाते हैं।
a.अकार्बनिक घटक उदाहरण जलवायु प्रकाश वर्षा के लिए तत्व जैसे जैसे CO2 n2 O2 आदि।
b. कार्बनी घटक उदाहरण प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट अमीनो अम्ल वसा लिपिड्स आदि ये सभी घटक पौधों और जंतुओं के काम आते हैं।
2. जैविक घटक इन के अंतर्गत निम्न प्रकार के अधिकारी एवं पेड़ पौधे सम्मिलित किए गए हैं।
a. उत्पादक इसके के अंतर्गत घास के मैदान में उपस्थित समस्त प्रकार की हरि ओम शाकीय पौधे झाड़ियां व वृक्ष आते हैं। जो कि सूर्य की सहायता से अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा बनाने में सक्षम होते हैं उदाहरण दूब घास, स्पोरोबोल्स डिजोटेरिया।
b. उपभोक्ता इसके अंतर्गत घास के मैदान में उपस्थित उन सभी जीवो को सम्मिलित किया गया है जो कि अपने भोजन हेतु अन्य जीवो एवं पेड़ पौधे पर आश्रित होते हैं घास के मैदान के उपभोक्ता निम्न प्रकार के होते हैं।
प्राथमिक उपभोक्ता घास के मैदान में पाए जाने वाले सभी उपभोक्ता को ही शाकाहारी कहते हैं तथा अपने भोजन हेतु उत्पादों पर निर्भर होते हैं प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं।
द्वितीय उपभोक्ता इनके अंतर्गत घास के मैदान में उपस्थित हुए सभी मांसाहारी जंतु औरतें हैं जो शाकाहारी जंतु का शिकार करते हैं तथा उनका मांस खाते हैं उदाहरण के लिए सांप भेड़िया लकड़बग्घा कौवा लोमड़ी आदि।
तृतीयक उपभोक्ता इसके अंतर्गत पूर्ण भुगतान को सम्मिलित किया गया है जोकि द्वितीय उपभोक्ताओं का शिकार करते हैं इन्हें सर्वोच्च मांसाहारी भी कहते हैं उदाहरण के लिए मोर बाज चील आदि।
3. उपघटक घास के मैदान में बहुत से जीवाणु का वक्त पाए जाते हैं जो कि वहां उपस्थित सभी पदार्थों एवं उपभोक्ताओं के मृत शरीर एवं उनके द्वारा उत्सर्जित पदार्थों का उद्घाटन करते हैं इसे अपघटक कहा जाता है।
मरुस्थल का पारिस्थितिक तंत्र
पृथ्वी के ऐसे स्थान जहां पर औसत वार्षिक वर्षा 25 सेंटीमीटर से कम होती है उन्हें मरुस्थल के अंतर्गत रखा जाता है क्योंकि ऐसे स्थानों का तापमान अधिक होता है तथा यहां पानी की कमी होती है अतः मरुस्थलीय स्थानों पर पेड़ पौधे एवं जंतुओं की संख्या कम होती है।
उदाहरण के लिए, सहारा रेगिस्तान में शुष्क जलवायु और गर्म मौसम पाया जाता है। सहारा के भीतर खजूर के पेड़, मीठे पानी के मगरमच्छ जैसे जानवर रहते हैं। इन पारिस्थितिक तंत्रों में सांप या बिच्छू जैसे जीव लंबे समय तक रेत के टीलों में जीवित रह सकते हैं। सहारा में एक समुद्री वातावरण भी शामिल है।
समान बायोम में पूरी तरह से अलग पारिस्थितिक तंत्र हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, सहारा रेगिस्तान का बायोम मंगोलिया और चीन में गोबी रेगिस्तान के बायोम से बहुत अलग है। गोबी एक ठंडा रेगिस्तान है, जहां लगातार बर्फबारी और ठंड का तापमान रहता है।
सहारा के विपरीत, गोबी में चट्टान पर आधारित पारिस्थितिकी तंत्र पाया जाता हैं। कुछ घासें ठंडी, शुष्क जलवायु में उगने में सक्षम होती हैं। नतीजतन, इन गोबी पारिस्थितिक तंत्रों में चरने वाले जानवर हैं जैसे कि गज़ेल्स और यहां तक कि ताखी जंगली घोड़े की एक लुप्तप्राय प्रजाति हैं।
एक मरुस्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में निम्नलिखित इन घटक होते हैं।
जैविक घटक
उत्पादक इनके अंतर्गत घनी झाड़ियां कुछ प्रकार की घास तथा कुछ हरे पौधे जैसे नागफनी बबूल कटीले पौधे आदि पाए जाते हैं।
उपभोक्ता मरुस्थलीय पारिस्थितिक तंत्र में तीन प्रकार के उपभोक्ता पाए जाते हैं।
प्राथमिक उपभोक्ता हरे पौधों को खाने वाले जंतु जैसे ऊंट भेड़ बकरी गधा एवं शाकाहारी पक्षी आदि।
द्वितीयक उपभोक्ता मांसाहारी जंतु जैसे सांप लकड़बग्घा भेड़िया सियार आदि।
तृतीयक उपभोक्ता इनके अंतर्गत उन सभी को सम्मिलित किया जाता है जो उपरोक्त दोनों प्रकार के वक्ताओं का भक्षण करते हैं उदाहरण गिद्ध बाज चील।
अपघटक क्योंकि मरुस्थल में वनस्पतियों की कमी होती है। अतः आप यहां पर अब घटकों की संख्या कम होती है यहां पर ऐसे जीवाणु यम कवक अब घटकों के रूप में पाए जाते हैं जिनमें उच्च ताप को सहने की क्षमता होती है।
जल का पारिस्थितिक तंत्र
जलीय पारिस्थितिकी तंत्र एक जल-आधारित वातावरण है, जिसमें जीवित जीव पर्यावरण की भौतिक और रासायनिक दोनों विशेषताओं के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। ये जीवित प्राणी जिनका भोजन, आश्रय, प्रजनन और अन्य आवश्यक गतिविधियाँ जल-आधारित वातावरण में निर्भर करती हैं, जलीय जीव कहलाते हैं।
सबसे आम जलीय जलीय पारिस्थितिकी तंत्र निम्नलिखित हैं - झीलें, महासागर, तालाब, नदियाँ आदि हैं।
जलीय पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार
सामान्य तौर पर, दो प्रकार के जलीय पारिस्थितिक तंत्र होते हैं समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र। समुद्री और मीठे पानी के पारिस्थितिक तंत्र दोनों को आगे विभिन्न जलीय पारिस्थितिक तंत्रों में विभाजित किया गया है।
तालाब झील का पारिस्थितिक तंत्र
एक तालाब झील अपने आप में पूर्ण एवं एक स्वतः नियामक पारिस्थितिक तंत्र होता है यह पारिस्थितिक तंत्र दोनों आवश्यक घटको अजैविक घटक एवं जैविक घटक उत्पादक उपभोक्ता एवं अब घटक से मिलकर बना होता है।
अजैविक घटक तालाब के पारिस्थितिक तंत्र में दो प्रकार के अजैविक घटक पाए जाते हैं।
अकार्बनिक घटक उदाहरण जल कार्बन डाइऑक्साइड ऑक्सीजन कैल्शियम नाइट्रोजन एवं फास्फोरस के यौगिक। कार्बनिक घटक उदाहरण - एमिनो अम्ल
जैविक घटक तालाब झील में निम्नलिखित जैविक घटक होते हैं
उत्पादक तलाब में कई प्रकार के उत्पादक पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो कि अपना भोजन स्वयं बनाते हैं।
उदाहरण
- तैरने वाले सूक्ष्म पौधे वॉलवॉक्स अनाबिका आदि।
- जलमग्न पौधे जैसे वेलिसनेरिया।
- स्वतंत्रप्लावी पादप सिंघाड़ा विस्टीरिया आदि।
- बड़े पत्ते वाले पाउडर कमल कुमुदिनी आदि।
उपभोक्ता यह तालाब के जंतु समूह को प्रदर्शित करते हैं इन्हें शाकाहारी या प्राथमिक उपभोक्ता मांसाहारी यह द्वितीय उपभोक्ता तथा तृतीय उपभोक्ता में विभक्त किया जा सकता है।
प्राथमिक उपभोक्ता यह पौधों या उनके अवशेषों का सेवन करते हैं। प्राणी पल्लव आख्या सूक्ष्मा भोक्ता डीजल की लहरों के साथ-साथ सतह पर तैरते हैं उदाहरण युगलीना और कोलेप्स।
द्वितीयक उपभोक्ता यह पानी में पाए जाने वाले छोटे जीव है जो प्राणी रिंकू का भक्षण करते हैं उदाहरण कीट छोटी मछलियां बिटक।
तृतीयक उपभोक्ता इन के अंतर्गत कुछ विशेष बड़ी मछलियां आती है। ये द्वितीयक उपभोक्ताओं को खाती है। उदाहरण - गेम फिश।
उपघातक - तालाब के ताल पर पेड़-पौधे व् जलीय जिव के अवशेष को अपघटित करने वाले जीव होते है जैसे - मृतजीवी कवक और बैक्टीरियाआदि।
समुद्र का पारिस्थितिक तंत्र
यह विशेष पारिस्थितिकी तंत्र सबसे बड़ा जलीय पारिस्थितिकी तंत्र है और पृथ्वी की कुल सतह के 70% से अधिक को कवर करता है। यह पारिस्थितिकी तंत्र लवणता की दृष्टि से अपेक्षाकृत अधिक संकेंद्रित है।
खारे पानी के पारिस्थितिक तंत्र, जिन्हें समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के रूप में भी जाना जाता है, जलीय पारिस्थितिक तंत्र हैं जिनके पानी में महत्वपूर्ण मात्रा में घुले हुए लवण होते हैं।
वे दुनिया भर में विविध भौगोलिक स्थानों में पाए जाते हैं। फाइटोप्लांकटन और जेलिफ़िश से लेकर समुद्री शैवाल और रेत तक पाए जाते हैं। अलग-अलग खारे पानी के पारिस्थितिक तंत्र की विशिष्ट विशेषताएं काफी भिन्न होती हैं।
बहरहाल, जलीय जीवों का शरीर खारे पानी के साथ अच्छी तरह से समायोजित होते है, और उन्हें मीठे पानी में जीवित रहना चुनौतीपूर्ण लग सकता है।
उच्च जैव विविधता
खारे पानी का पारिस्थितिकी तंत्र ग्रह पर जीवित चीजों का सबसे विविध भंडार है। वे पृथ्वी की सभी वर्तमान ज्ञात प्रजातियों में से लगभग आधे का समर्थन करते हैं, संभवतः एक लाख से अधिक की खोज की जानी बाकी है। उन प्रजातियों के अलावा, जो अपना स्थायी घर बनाती हैं, खारे पानी के पारिस्थितिक तंत्र अस्थायी रूप से भूमि-आधारित जानवरों की मेजबानी भी करते हैं, जैसे कि मौसमी रूप से प्रवास करने वाले जलपक्षी।
मीठे पानी का पारिस्थितिकी तंत्र
यह जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पृथ्वी की सतह के 1% से भी कम को कवर करता है। इसमें तालाबों और झीलों जैसे जल निकाय शामिल हैं और इसमें तैरते वाले पौधों, शैवाल और अकशेरुकी दोनों का घर है। सैलामैंडर, मेंढक, पानी के सांप और घड़ियाल आमतौर पर मीठे पानी का पारिस्थितिकी तंत्र में पाए जाते हैं।
नदि का पारिस्थितिकी तंत्र
ये एक दिशा में बहने वाले बहते पानी धारा होती हैं। धाराएँ और नदियाँ हर जगह पाई जा सकती हैं। बर्फ़ के पिघलने या झीलें इसका निर्माण केंद होती हैं। आमतौर पर नदिया महासागर में मिल जाती हैं। मुहाने तक की यात्रा के दौरान नदी अपना लक्षण बदल देते हैं। स्रोत पर तापमान मुहाने की तुलना में ठंडा होता है। नदी के पानी में ऑक्सीजन का स्तर अधिक होता है, और मीठे पानी की मछली जैसे ट्राउट और हेटरोट्रॉफ़ वहां पाए जा सकते हैं। नदियों में जीवो की विविध प्रजातियां पायी जाती है - कई जलीय हरे पौधे और शैवाल नदी में देखे जा सकते हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा
कोई भी चीज जो पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बदलने का प्रयास करती है, संभावित रूप से उस पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और अस्तित्व के लिए खतरा है। इनमें से कुछ खतरे अत्यधिक चिंताजनक नहीं हैं क्योंकि प्राकृतिक परिस्थितियों को बहाल करने पर उन्हें स्वाभाविक रूप से हल किया जा सकता है। अन्य कारक पारिस्थितिक तंत्र को नष्ट कर सकते हैं और इसके सभी या कुछ जीवन को विलुप्त कर सकते हैं।
प्रदुषण
जल, भूमि और वायु प्रदूषण सभी मिलकर पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रदूषण प्राकृतिक या मानव-जनित हो सकता है, लेकिन चाहे वे संभावित रूप से विनाशकारी रसायनों को जीवित चीजों के वातावरण में छोड़ देने से होता हैं। यदि यह प्रदूषक एक झील में चला जाये तो वहाँ के पारिस्थितिक संतुलन को नस्ट कर सकती है और ऑक्सीजन की कमी के कारण दम घुटने के कारण मछलियों की मृत्यु हो सकती है।
वनो की कटाई
लॉगिंग, खनन, खेती और निर्माण जैसी आर्थिक गतिविधियों में अक्सर प्राकृतिक वनस्पति कवर वाले स्थानों को साफ करना शामिल होता है। बहुत बार, पारिस्थितिकी तंत्र के एक कारक के साथ छेड़छाड़ का उस पर एक गहरा प्रभाव पड़ सकता है और उस पारिस्थितिकी तंत्र के सभी कारकों को प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए, लकड़ी के लिए जंगल के एक टुकड़े को साफ करने से मिट्टी की ऊपरी परतें सूरज की गर्मी के संपर्क में आ सकती हैं, जिससे क्षरण हो सकता है। यह बहुत सारे जानवरों और कीड़ों का कारण बन सकता है जो पेड़ से छाया और नमी पर निर्भर होते हैं सभी नस्ट हो जायेंगे।
पराबैंगनी विकिरण
जीवित चीजों में सूर्य की किरणें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यूवी किरणें तीन मुख्य तरंग दैर्ध्य में आती हैं: यूवीए, यूवीबी और यूवीसी, और उनके अलग-अलग गुण होते हैं। यूवीए की तरंग दैर्ध्य लंबी होती है और यह हर समय पृथ्वी की सतह पर पहुंचती है। यह जीवित चीजों के लिए विटामिन डी उत्पन्न करने में मदद करता है। यूवीबी और यूवीसी अधिक विनाशकारी हैं और जानवरों में डीएनए और सेल क्षति का कारण बन सकते हैं।
ओजोन परत के नेस्तोने से यूवीबी और यूवीसी सतह पर पहुंच सकती है और इससे होने वाले नुकसान से बहुत सारी प्रजातियां नष्ट हो सकती हैं, और मनुष्यों सहित पारिस्थितिक तंत्र के सदस्यों को प्रभावित कर सकती हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र के लाभ
मानव समाज प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र से कई आवश्यक सामान प्राप्त करता है, जिसमें समुद्री भोजन, खेल जानवर, चारा, ईंधन की लकड़ी, लकड़ी और दवा उत्पाद हैं। ये सामान अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र मौलिक जीवन-समर्थन सेवाएं प्रदान करते हैं। जिसके बिना मानव सभ्यता का विकास रुक जाएगा। इनमें हवा और पानी का शुद्धिकरण, शामिल हैं। और कचरे का अपघटन, जलवायु का विनियमन, मिट्टी की उर्वरता का पुनर्जनन, और उत्पादन और रखरखाव जैव विविधता द्वारा ही संभव हैं। जिससे हमारे कृषि, फार्मास्युटिकल और औद्योगिक उद्यमों के प्रमुख तत्व प्राप्त होते हैं।
प्रावधान
पारिस्थितिक तंत्र सभी खाद्य पदार्थों का स्रोत भी है, सभी ऊर्जा का भंडार, फाइबर, आनुवंशिक संसाधन, दवाएं, ताजे पानी और खनिज। मानव जिन सभी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है, उनका स्रोत पारिस्थितिक तंत्र है।
विनियमन
एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का कार्य यह सुनिश्चित करता है कि जलवायु में संतुलन और विनियमन हो, ताजे पानी, मिट्टी, चट्टानों और वातावरण में नियमन हो। वे जानवरों और पौधों की बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए कार्य करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि जैव विविधता संरक्षित है।
सहायक
पारिस्थितिक तंत्र में सभी सदस्य एक दूसरे के लिए सहायक होते हैं। जीवित सदस्य दूसरों के लिए भोजन के रूप में कार्य करते हैं, और उनकी उपज और पोषक तत्वों के रूप में कार्य करते हैं। यह मिट्टी के पोषक चक्र, कार्बन और ऑक्सीजन चक्र और जल चक्र को संभव बनाता है और जीवित चीजों के लिए भी प्रजनन जारी रखता है।
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