मानसून किसे कहते हैं - what is monsoon called in Hindi

मानसून मतलब बारिश का महीना भारत में बारिश जुलाई से सितंबर के बीच होती है। तपती गर्मी के बाद मानसून राहत और खुशियाँ लेकर आता हैं। इन महीनो में कई हिन्दू त्यौहार का आगाज होता है। चारो ओर हरियाली दिखाई देती हैं। लोगो को बारिश में भीगना काफी पसंद आता हैं। इनके अलावा इस मौसम में लोग झरना लोगों को आकर्षित करता है।

मानसून किसे कहते हैं

मानसून ऐसी हवाये होती है जो बारिश का कारण बनती है। अगर भारत की बात करे तो यह हवाएं अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के माध्यम से भारत में पहुँचती है। यह हवाएं अपने साथ बादल लाती हैं। जो तीन महीनों तक पुरे भारत में वर्षा करती हैं।

अधिकांश उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मानसून वर्षा का कारण बनती है। मानसून हवाएं हिन्द महासागर से होते हुए भारत, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका में बहती है। मानसून हवाएं हमेशा ठंडे क्षेत्र से गर्म क्षेत्रों की ओर बहती है। भारत में 16 जून के बाद मानसून दक्षिण भारत में प्रवेश करता है फिर धीरे धीरे पुरे भारत में फ़ैल जाता है। 

जब यह हवाएं हिमालय की विशाल शिखर से टकराती है तो उत्तर और पूर्वी भारत में अधिक वर्षा करती है। जिसके कारण इन इलाको में बाढ़ जैसी विपदा भी आ जाती है।

मानसून किसे कहते हैं - What is monsoon

दक्षिण पूर्व एशिया में दो प्रकार की मानसून पायी जाती है। ग्रीष्मकालीन मानसून और शीतकालीन मानसून यह भारत और इसके पडोसी देशो में जलवायु का निर्धारण करती हैं।

बारिश क्यों होती है

महासागरों, झीलों, नदियों और तालाबों से पानी सूर्य के प्रकाश के कारण गर्म हो जाता है और जल वाष्प में बदल जाता है, और ऊपर उठने लगता है। जैसे-जैसे जल वाष्प ऊपर उठता है, यह ठंडा होता जाता है और छोटी-छोटी पानी की बूंदों में संघनित होता है, जिससे बादल बनते हैं। ये बूंदें धूल के कणों से चिपक जाती हैं और एक साथ समूह बनाती हैं।

जब पर्याप्त पानी की बूंदें आपस में मिलकर बड़ी हो जाती हैं, तो वह भारी होकर बारिश के रूप में वापस जमीन पर गिरती हैं। तापमान के आधार पर वर्षा बर्फ या ओले के रूप में भी हो सकती है।

ग्रीष्मकालीन मानसून

ग्रीष्मकालीन मानसून में भारी वर्षा होती है। यह आमतौर पर अप्रैल और सितंबर के बीच आते है। जैसे ही सर्दी समाप्त होती है। दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर से गर्म और नम हवाएं भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार की ओर बहती है। ग्रीष्मकालीन मानसून इन क्षेत्रों में अधिक वर्षा का कारण बनती हैं। 

भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में लोग अधिकतर कृषि पर निर्भर है, और सिचाई के लिए पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर करते हैं। इसलिए ग्रीष्मकालीन मानसून इन क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण हो जाता हैं। हमारे देश में पानी का आभाव है। भूमिगत जल की आपूर्ति भी बहुत कम हैं। और लगातार वाटर लेवल कम होता जा रहा हैं। 

मानसून का प्रभाव

ग्रीष्मकालीन मानसून के पानी से नदी और बांध जल मग्न हो जाते है। यहाँ पर चावल और चाय कुछ ऐसी फसलें हैं जो इन्ही क्षेत्रों में अधिक होते है और पूरी तरह से मानसून पर निर्भर करती हैं। डेयरी फार्म, जो भारत को दुनिया में सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाने में मदद करते हैं। गायों को स्वस्थ और अच्छी तरह से खिलाने के लिए मानसून की बारिश अहम् भूमिका निभाती हैं।

भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में उद्योग भी ग्रीष्म मानसून पर निर्भर करते हैं। क्षेत्र में बिजली का एक बड़ा हिस्सा  जलविद्युत ऊर्जा संयंत्रों द्वारा उत्पादित किया जाता है, जो मानसून के दौरान एकत्र किए गए पानी से संचालित होते हैं। बिजली अस्पतालों, स्कूलों और व्यवसायों को ऊर्जा देती है जो इन क्षेत्रों की अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने में मदद करते हैं।

जब ग्रीष्मकालीन मानसून में देरी या वर्षा की कमी होती है, तो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। कम ही लोगो के पास पानी की व्यवस्था होती है। जिससे सरकारों को खाना आयात करना पड़ता है। बिजली अधिक महंगी हो जाती है। इसी कारण ग्रीष्मकालीन मानसून को भारत का सच्चा वित्त मंत्री कहा गया है।

मानसून बड़ा नुकसान भी कर सकता है। मुंबई जैसे शहरी क्षेत्रों के निवासियों को हर मानसून के दौरान लगभग आधा मीटर पानी के साथ सड़कों पर बाढ़ आने की आदत होती है। जब ग्रीष्मकालीन मानसून अपेक्षा से अधिक वर्षा लती है। तो मुंबई जैसे शहरों में पूरा मोहल्ला डूब सकता है। पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों में मिट्टी के खिसकने से सड़क दब जाते हैं और फसलों को भारी नुकसान होता हैं।

2005 में मानसून ने पश्चिमी भारत को तबाह कर दिया था। जैसे ही ग्रीष्मकालीन मानसून दक्षिण-पश्चिम से आया, इसने सबसे पहले गुजरात राज्य में प्रवेश किया। अधिक बारिश से यहाँ 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। फिर मॉनसून की बारिश ने महाराष्ट्र राज्य में दस्तक दी। महाराष्ट्र में बाढ़ से एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। 26 जुलाई, 2005 को महाराष्ट्र के मुंबई शहर में लगभग 39.1 इंच बारिश हुई थी।

शीतकालीन मानसून

हिंद महासागर का शीतकालीन मानसून जो अक्टूबर से अप्रैल तक रहता है। ग्रीष्मकाल मानसून की तुलना में कम वर्षा करती है। शुष्क शीत मानसून उत्तर पूर्व से चलने वाली हवाएँ मंगोलिया और उत्तर-पश्चिमी चीन के क्षेत्र से शुरू होती हैं।

दक्षिण पूर्व एशिया में ग्रीष्मकालीन मानसून की तुलना में शीतकालीन मानसून कम शक्तिशाली होते हैं। क्योंकि हिमालय पर्वत मानसून की अधिकांश हवा और नमी को तट तक पहुंचने से रोकते हैं। हिमालय अधिकांश ठंडी हवा को दक्षिणी भारत और श्रीलंका जैसे स्थानों तक पहुँचने नहीं देता है। शीतकालीन मानसून कभी-कभी सूखे होते हैं। अर्थात वर्षा बिलकुल नहीं होती है। 

हालांकि सभी शीतकालीन मानसून शुष्क नहीं होते हैं। दक्षिण पूर्व एशिया के पश्चिमी भाग के विपरीत, दक्षिण पूर्व एशिया के पूर्वी, प्रशांत तट पर सर्दियों में बारिश का मौसम होता है। शीतकालीन मानसून दक्षिण चीन सागर से इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे क्षेत्रों में अधिक वर्षा करती है।

अन्य मानसून

एशियाई-ऑस्ट्रेलियाई मानसून जिसका मुख्य कारण हिंद महासागर से चलने वाली हवाएं है। यह मानसून उत्तरी ऑस्ट्रेलिया से रूस के प्रशांत तट तक वर्षा करती है। दुनिया के अन्य हिस्सों में भी मानसूनी हवाएँ मौजूद हैं। जैसे की उत्तर अमेरिकी मानसून साल में आमतौर पर गर्मियों के बीच में एक बार आता है। 

कैलिफ़ोर्निया की खाड़ी से गर्म व नम हवा उत्तर-पूर्व की ओर चलती है। जबकि इधर मेक्सिको की खाड़ी से गर्म नम हवा उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने लगती है। ये दोनों हवाएँ मध्य मेक्सिको में सिएरा माद्रे ओशिडेंटल पहाड़ों पर टकराती हैं। और अमेरिका में  मानसूनी वर्षा का कारण बनती है।

उत्तर अमेरिकी मानसून फायर फाइटर के लिए एक प्राकृतिक सहायक होते है। एरिज़ोना में गर्मी का तापमान नियमित रूप से 100 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक तक पहुँच जाता है। जिसके कारण वह जंगल में आग लगना आम बात हो जाती है। और आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। इसी दौरान उत्तर अमेरिकी मानसून का आगमन आग पर काबू करने में मदद करती हैं। 

उत्तरी अमेरिकी मानसून भी इस क्षेत्र के अधिकांश रेगिस्तानी पारिस्थितिक तंत्रों के लिए प्राथमिक जल स्रोत है। हालांकि हिन्द महासागर में यह भारी बारिश लोगों और व्यवसायों के लिए दैनिक जीवन में समस्या उत्पन्न कर सकती है। 

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