सहारा मरुस्थल दुनिया का सबसे बड़ा गर्म रेगिस्तान है। यह अंटार्कटिका और आर्कटिक के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान है। सहारा पृथ्वी पर सबसे कठोर वातावरण में से एक है, जो 3.6 मिलियन वर्ग मील को कवर करता है। यह लगभग संयुक्त राज्य अमेरिका जीतना बड़ा हैं। रेगिस्तान का नाम अरबी शब्द aḥrā से आया है, जिसका अर्थ गर्म भूमि होता है।
सहारा मरुस्थल कहाँ है
उत्तरी अफ्रीका में स्थित, सहारा रेगिस्तान महाद्वीप के एक बड़े हिस्से को कवर करता है। रेगिस्तान का क्षेत्रफल लगभग 92 लाख वर्ग किलोमीटर है। यह अटलांटिक महासागर से लाल सागर तक फैला हुआ है। जिसकी लंबाई 5600 किलोमीटर और चौड़ाई 1300 किलोमीटर है। सहारा मरुस्थल क्षेत्रफल के आधार पर भारत से दो गुना अधिक बड़ा है।
सहारा मरुस्थल की सीमा पश्चिम में अटलांटिक महासागर, पूर्व में लाल सागर, उत्तर में भूमध्य सागर और दक्षिण में साहेल सवाना से लगती है। यह विशाल रेगिस्तान 11 देशों में फैला है। जिसमें अल्जीरिया, चाड, मिस्र, लीबिया, माली, मॉरिटानिया, मोरक्को, नाइजर, पश्चिमी सहारा, सूडान और ट्यूनीशिया देश आते हैं।
सहारा रेगिस्तान में विभिन्न प्रकार की विशेषताएं पायी जाती हैं। जिसमें रेत के टील सबसे प्रसिद्ध है, जिन्हें अक्सर फिल्मों में दर्शाया जाता है। टीले लगभग 600 फीट ऊंचे हो सकते हैं, लेकिन वे पूरे रेगिस्तान के लगभग 15 प्रतिशत हिस्से को ही कवर करते हैं।
अन्य स्थलिय विशेषताओं में पहाड़, पठार, रेत और बजरी से ढके मैदान, नमक के क्षेत्र, बेसिन और अवसाद शामिल हैं। चाड में एक ज्वालामुखी पर्वत हैं जिसे एमी कौसी कहा जाता हैं। यह पर्वत सहारा का सबसे ऊंचा स्थान है और मिस्र में स्थित कतरा डिप्रेशन सबसे गहरा स्थान है।
हालाँकि पूरे क्षेत्र में पानी की कमी है, सहारा में दो स्थायी नदियाँ नील और नाइजर हैं। यहाँ कम से कम 20 मौसमी झीलें हैं। जो यहाँ के लोगो और जीव जंतुओं के लिए पानी का प्राथमिक स्रोत हैं। जल प्रबंधन अधिकारियों को एक बार डर था कि सहारा में झील और तालाब अधिक प्रयोग के कारण जल्द ही सूख जाएंगे लेकिन यह आज भी जल से परिपूर्ण हैं।
वनस्पति और जीव
सहारा मरुस्थल में कठोर शुष्क परिस्थिति होने बावजूद यह कई पौधे और जानवर का घर हैं। विश्व वन्यजीव कोष के अनुसार, सहारा में पौधों की लगभग 500 प्रजातियां, 70 स्तनधारी प्रजातियां, 90 एवियन प्रजातियां और 100 सरीसृप प्रजातियां पायी जाती हैं। इसके आलावा मकड़ियों, बिच्छुओं और अन्य छोटे आर्थ्रोपोड भी यहाँ रहते हैं।
ऊंट सहारा के सबसे प्रतिष्ठित जानवरों में से एक हैं। जो सहारा मरुस्थल का बड़े स्तनधारी जीवो में से एक हैं। ऊंटों को लगभग 3000 साल पहले पालतू बनाया गया था। जिसका इस्तेमाल इन रेगिस्तानी इलाको में परिवहन के लिए किया जाता है।
ऊंट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है। यह जीव गर्म वातावरण के लिए अनुकूल हैं। ऊंट की पीठ पर वसा को जमा करने वाले कूबड़ होते हैं, जिसका उपयोग ऊँट भोजन न मिलने पर ऊर्जा के रूप में करता है। ऊंट बिना पानी के एक सप्ताह से अधिक और बिना भोजन के महीनों तक जीवित रह सकता हैं।
सहारा में और कई वन्य जीव रहते हैं जिसमें गज़ेल, मृग, चीता, कैराकल, रेगिस्तानी लोमड़ी और जंगली कुत्ते शामिल हैं। यहाँ कई रेंगने वाले जीवों की प्रजातियां पायी जाती हैं, जिनमें सांपों और छिपकलियों की कई प्रजातियां शामिल हैं। इसके अलावा बीटल, बिच्छू और कई प्रकार की चींटियां यहाँ पायी जाती है।
कई पौधों की प्रजातियों ने इस शुष्क परिस्थितियों के अनुकूलित अपने आप को ढाल लिया है। यहाँ पाए जाने वाले पेड़ पौधे पानी की जरुरत को पूरा करने के लिए अपने जड़ को भूमिगत जल तक फैलाते हैं।
इस रेगिस्तान में सबसे अधिक शुष्क क्षेत्र होने के कारण बहुत कम पेड़ पौधे पाए जाते है, लेकिन नील घाटी क्षेत्र में जैतून के पेड़, खजूर और विभिन्न झाड़ियों सहित विभिन्न पेड़-पौधे की प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
सहारा मरुस्थल की जलवायु
एक अध्ययन के अनुसार सहारा मरुस्थल प्रत्येक 20 हजार वर्षों में शुष्क दुर्गम रेगिस्तान से हरे-भरे मैदान में बदल जाता है। मरुस्थल और मैदान का परिवर्तन चक्र पृथ्वी की धुरी के झुकाव में मामूली बदलाव के अनुरूप होता है, जो मानसून की गतिविधि को प्रभावित करता है। पृथ्वी की धुरी लगभग 23.5 डिग्री के बजाय 24.5 डिग्री झुका होगा तब इस क्षेत्र को अधिक धूप मिलती होगी, जिससे मानसून की बारिश में वृद्धि हुई और सहारा में हरे भरे मैदान परिवर्तित हो गया।
पुरातत्वविदों ने प्रागैतिहासिक गुफा और पुरातत्व अवशेषों की खोज की है, जो इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि कभी यह क्षेत्र हरे भरे मैदान रहा होगा। मिट्टी के बर्तनों के टुकड़ों से पता चलता है कि लगभग 7,000 साल पहले यहाँ नरम मिट्टी पाया जाता था।
लेकिन पिछले 2000 वर्षों से सहारा की जलवायु काफी स्थिर रही है। उत्तरपूर्वी हवाएँ रेगिस्तान के ऊपर की हवा को सुखा देती हैं और गर्म हवाएँ भूमध्य रेखा की ओर ले जाती हैं। ये हवाएं धूल भरी आंधी का कारण बन सकती हैं।
सहारा में वर्षा शून्य से लेकर लगभग 3 इंच प्रति वर्ष बारिश होती है, कुछ स्थानों पर एक समय में कई वर्षों तक वर्षा नहीं होती है। कभी-कभी अधिक ऊंचाई पर बर्फ गिरती है। गर्मी के दिनों में दिन का तापमान अक्सर 100 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक हो जाता है।
2018 के एक अध्ययन के अनुसार 1920 के बाद से सहारा रेगिस्तान का क्षेत्रफल में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन इसके मुख्य कारण है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए सहारा मरुस्थल पर बड़े पैमाने में पवन ऊर्जा और सौर ऊर्जा स्थापित करना है।
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