पठार जिन्हें ऊँचे सपाट भू-भाग के रूप में जाना जाता है, यह पृथ्वी की सतह पर स्थित एक महत्वपूर्ण स्थलरूप हैं। ऊबड़-खाबड़ पहाड़ों व विशाल मैदानों के विपरीत, पठारों में एक अनोखा आकर्षण होता है। जो प्राकृतिक सुंदरता, भूवैज्ञानिक महत्व और पारिस्थितिक विविधता का एक मनोरम मिश्रण है।
पठार किसे कहते हैं
पठार भूमि के ऊंचे समतल क्षेत्र को कहते हैं। जो आस-पास के मैदान से ऊंचा होता हैं। जिनके एक या अधिक किनारों पर तीव्र ढलान होती है। पठार की विशेषता ऊँची समतल सतह हैं, जो पर्वत श्रृंखलाओं के बीच अधिक पाया जाता हैं।
पठारों का आकार कुछ किलोमीटर से लेकर हजारों किलोमीटर तक हो सकता है। अधिकतर पठार का निर्माण टेक्टोनिक प्लेट के परिवर्तन, ज्वालामुखी विस्फोट और धरातलीय क्रियाओं से होता हैं। सम्पूर्ण धरातल के 33 प्रतिशत भाग पर पठार पाया जाता हैं।
पठार कितने प्रकार के होते है
पठार के निम्नलिखित प्रकार होते हैं -
1. टेक्टोनिक पठार - इनका निर्माण टेक्टोनिक प्लेटों की गति और टकराव के कारण होता है। जब दो प्लेटें टकराती हैं, तो वे भूमि के कुछ हिस्सों को ऊपर धकेलती हैं, जिससे ऊंचे पठार का निर्माण होता हैं। पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका में कोलोराडो पठार और भारत के उत्तर में स्थित तिब्बत का पठार टेक्टोनिक पठार के उदाहरण है।
2. ज्वालामुखी पठार - ज्वालामुख के फटने से इस प्रकार के पठार का निर्मित होता हैं। बार-बार होने वाले ज्वालामुखी विस्फोटों से निकलने वाला लावा समय के साथ पुरे क्षेत्र में फैल जाता हैं और ऊंची सपाट सतह का निर्माण करता है। दक्कन का पठार ज्वालामुख पठार का एक अच्छा उदाहरण है।
3. अपरदनात्मक पठार - इस प्रकार के पठार का निर्माण कटाव की क्रमिक प्रक्रिया से होता हैं, जो नदियों और ग्लेशियरों की गतिविधियों के कारण होता है। आस-पास के क्षेत्रों की तुलना में भूमि का कटाव अधिक तेजी से होता है, जिसके परिणामस्वरूप सपाट और ऊँची सतह का निर्माण होता है। भारत का गढ़वाल पठार इसका एक अच्छा उदाहरण हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में कोलंबिया का पठार भी इस तरह का पठार है।
4. विच्छेदित पठार - इस तरह के पठारों को का निर्माण नदियों और नालों के कटाव के कारण होता है। जिसके परिणामस्वरूप गहरी घाटियों और ऊंचे पठारों का निर्माण होता है। भारत में असम का पठार विच्छेदित पठार का एक अच्छा उदाहरण है।
पठार का महत्व
पठारों का पारिस्थितिक और मानवीय महत्व होता है। अधिकतर पठारी क्षेत्रों में मूल्यवान संसाधन पाया जाता हैं। इतिहास में कई सभ्यताएँ अपनी रक्षा और उपजाऊ भूमि की विशेषताओं के कारण पठारों पर विकसित हुई हैं।
पठारी क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में खनिज भंडार पाया जाता हैं। जैसे अफ़्रीका के पठार सोने खदान के लिए प्रसिद्ध है। भारत में छोटानागपुर का पठार लोहा, कोयला और मैंगनीज के विशाल भंडार के लिए जाना जाता है। पठारी क्षेत्रों में झरने पाए जाते हैं। जो प्रकृति प्रेमी को अपने और आकर्षित करते हैं। इसके अलावा दर्शनीय स्थल भी बड़े पैमाने पर पठारी क्षेत्रों में स्थित होते हैं।
विश्व के प्रमुख पठार
पठार शब्द का उपयोग ऐसे क्षेत्रों के लिए किया जाता हैं जिसके कम से कम एक तरफ बहुत ढलान हो या आस पास की सतह से काफी ऊँचा हो और ऊपरी सतह समतल हो। पठार का महत्वपूर्ण विशेषता ऊपरी भाग का समतल होना होता है। विश्व के प्रमुख पठारों की सूची नीचे दी गई है।
तिब्बत का पठार - एशिया में स्थित एक विशाल ऊंचा पठार है। यह पठार तिब्बत, किंघई, सिचुआन, झिंजियांग, भूटान, लद्दाख और लाहौल क्षेत्र में फैला हुआ हैं। यह उत्तर से दक्षिण तक लगभग 1,000 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम तक 2,500 किलोमीटर तक फैला है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे बड़ा पठार है, जिसका क्षेत्रफल 2,500,000 वर्ग किलोमीटर है। इस पठार की औसत ऊंचाई 4,500 मीटर हैं। तिब्बत का पठार दुनिया की दो सबसे ऊंची चोटियों, माउंट एवरेस्ट और K2 पर्वत से घिरा है।
तिब्बत का पठार एक शुष्क मैदानी पठार है जो पर्वत श्रृंखलाओं और बड़ी खारे झीलों से घिरा हुआ है। इस क्षेत्र में वार्षिक वर्षा लगभग 100 से 300 मिलीमीटर तक होती है। क्षेत्र के दक्षिणी और पूर्वी किनारों पर घास के मैदान हैं। जहाँ खानाबदोश चरवाहों की आबादी पायी जाती हैं। साल के छह महीने यहाँ ठंढ पड़ती है।
मंगोलिया का पठार - मध्य एशियाई पठार का हिस्सा है जिसका क्षेत्रफल लगभग 3,200,000 वर्ग किलोमीटर है। यह पूर्व में ग्रेटर हिंगगन पर्वत, दक्षिण में यिन पर्वत, पश्चिम में अल्ताई पर्वत और उत्तर में सायन पर्वत से घिरा है। पठार में गोबी रेगिस्तान के साथ-साथ शुष्क मैदानी क्षेत्र भी शामिल हैं। इस पठार की ऊंचाई लगभग 1,000 से 1,500 मीटर है।
यह पठार चीन और रूस के कुछ हिस्सों के साथ-साथ पूरे मंगोलिया में फैला हुआ है। भीतरी मंगोलिया और झिंजियांग में डज़ुंगेरियन बेसिन के कुछ हिस्से पठार के चीनी हिस्से को घेरते हैं।
अरब का पठार - पश्चिम एशिया में एक प्रायद्वीप है, जो अरब प्लेट पर अफ्रीका के उत्तर-पूर्व में स्थित है । यह 32,37,500 वर्ग किमी में फैला हुआ हैं। अरब प्रायद्वीप दुनिया का सबसे बड़ा प्रायद्वीप है।
भौगोलिक रूप से अरब का पठार बहरीन, कुवैत , ओमान , कतर , सऊदी अरब , संयुक्त अरब अमीरात, यमन, इराक और जॉर्डन तक फैला हुआ हैं। इस क्षेत्र में सबसे बड़ा सऊदी अरब है।
अरबियन पठार का निर्माण 56 से 23 मिलियन वर्ष पहले लाल सागर के दरार के परिणामस्वरूप हुआ था। इसकी सीमा पश्चिम में लाल सागर, उत्तर-पूर्व में फारस की खाड़ी, ओमान की खाड़ी और उत्तर में मेसोपोटामिया और दक्षिण-पूर्व में अरब सागर व हिंद महासागर से लगती हैं। यह क्षेत्र तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार के कारण विश्व विख्यात है।
इस क्षेत्र को चार अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया गया हैं:
- केंद्रीय पठार - नज्द और अल-यामामा
- दक्षिण अरब - यमन , हद्रामौत और ओमान
- अल-बहरीन - पूर्वी अरब या अल-हस्सा
- हेजाज - पश्चिमी तट के लिए तिहामा
अनातोलिया का पठार - तुर्की के अधिकांश क्षेत्रों में फैला हुआ है। पठार की ऊंचाई 600 मीटर से लेकर 1,200 मीटर तक है। तुर्की की राजधानी अंकारा इस पठार के उत्तर-पश्चिमी भाग में बसा हुआ है। अनातोलिया के पठार को देश का हृदय स्थल माना जाता है। पठार पर दो सबसे बड़े बेसिन कोन्या ओवसी और तुज़ गोलू स्थित हैं।
यह पठार शुष्क है तथा काली और रेगिस्तानी मिट्टी का मिश्रण है। यहां गर्मियां अनातोलिया के बाकी हिस्सों की तुलना में अधिक गर्म और शुष्क होती हैं, लेकिन सर्दियों में भी अधिक ठंडी होती हैं, यहाँ अक्सर भारी बर्फबारी पड़ती है। पठार ज्यादातर स्टेपी से ढका हुआ है, जिसमें छोटी घास, झाड़ियाँ और छोटे पेड़ पाए जाते हैं।
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