सूनामी भूकंप या ज्वालामुखी के विस्फोट से उत्पन्न हुई विशाल लहर है। जिसे भूकंपीय समुद्री लहरों के रूप में भी जाना जाता है। यह समुद्र में सैकड़ों मील की दूरी, एक घंटे में तय कर सकती है और 100 फीट से अधिक ऊंची हो सकती है।
जिस स्थान पर सुनामी उत्पन्न होती है, वहाँ से इसकी लहरें सभी दिशाओं में फ़ैल जाती हैं। यह लहरें एक से अधिक हो सकती हैं और अगली लहर पहले वाली लहर से बड़ी होती जाती है। यही कारण है कि छोटी सूनामी कुछ मील दूर जाने पर एक विशाल सुनामी में बदल जाती है।
अधिकतर सूनामी खतरनाक होती हैं। समुद्र तल से उत्पन्न भूकंप अक्सर सूनामी का कारण बनती हैं। यदि कोई बड़ा भूकंप तट के करीब होता है, तो यह सुनामी कुछ मिनटों में समुद्र तट पर पहुंच जाती है। यदि वे क्षेत्र समुद्र तल से 25 फीट से कम और तटरेखा के एक मील के भीतर हैं, तो वे अधिक खतरनाक होती हैं।
26 दिसंबर 2004 को 9.1 मेगावॉट की तीव्रता वाला एक बड़ा भूकंप इंडोनेशिया के उत्तरी क्षेत्र में उत्पन्न हुआ था। जिसे सुमात्रा-अंडमान भूकंप के नाम में जाना जाता है। इसका निर्माण बर्मा प्लेट और भारतीय प्लेट के टकराने से हुआ था।
इस सुनामी में 30 मीटर की ऊंची लहरे आयी थी, जिसने हिंद महासागर के आसपास के तटों को तबाह कर दिया था। इस सुनामी में 14 देशों के लगभग 227,898 लोग मारे गएऔर दर्जनों लोग घायल हो गए थे। यह इतिहास में सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक था। इस सुनामी ने इंडोनेशिया, श्रीलंका और भारत के तटीय प्रांतों को अधिक हानि पहुचायी थी।
सुनामी के प्रकार
सामान्य रूप से सुनामी दो प्रकार की होती है - स्थानीय सुनामी और सुदूर क्षेत्र या दूर की सुनामी।
1. स्थानीय सुनामी - प्रशांत महासागर, दक्षिण चीन सागर, सुलु सागर और सेलेब्स सागर में आने वाले सूनामी स्थानीय सुनामी होता हैं जो स्थानीय भूकंपों से उत्पन्न होते हैं। स्थानीय सूनामी आमतौर पर भूकंप और भूस्खलन के कारण होता हैं जो कुछ सौ किलोमीटर के भीतर ही सीमित होती हैं। यह 2 से 5 मिनट में तटरेखा तक पहुंच सकता है।
2. दूर की सुनामी - सुदूर क्षेत्र या दूर की सूनामी को तट पर पहुंचने के लिए 1 से 24 घंटे की यात्रा करनी पड़ती है। ये सुनामी मुख्य रूप से प्रशांत महासागर की सीमा से लगे देशों जैसे चिली, यूएसए और जापान आती हैं। PTWC और NWPTAC जैसे एजेंसियां प्रशांत क्षेत्र के सुनामी पर बारीकी से निगरानी रखती हैं।
सुनामी के कारण
1. भूकंप - समुद्र तल में आने वाले भूकंप सूनामी का सबसे आम कारण हैं। भूकंप पृथ्वी की पपड़ी के अचानक बदलाव के कारण होता है, जो भूकंपीय तरंगों का कारण बनता है। जब यह तरंगे पानी से टकराते हैं तो इसे परिणाम स्वरूप विशाल और तेज़ लहरें उत्पन्न होती हैं जो कभी-कभी 800 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक हो जाती हैं। आमतौर पर, सुनामी रिक्टर पैमाने पर 7.5 से अधिक तीव्रता वाले भूकंपों के कारण होती है।
2. भूस्खलन - जिसे पनडुब्बी भूस्खलन भी कहा जाता है, सूनामी का एक अन्य सामान्य कारण है। जब गुरुत्वाकर्षण या अधिक ढलान के कारण समुद्र के तल में चट्टानें खिसक जाती हैं। जिसके कारण भूस्खलन सूनामी उत्पन्न होती हैं।
ज्वालामुखी विस्फोट के कारण अक्सर मजबूत भूकंपीय तरंगे उत्पन्न होती हैं जिसके कारण सूनामी आ सकती है। इतिहास में दर्ज सबसे शक्तिशाली सूनामी 1883 में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण आई थी।
3. ज्वालामुखी - ज्वालामुखी न केवल भूकंपीय तरंगें उत्पन्न करके सूनामी लाती हैं, बल्कि समुद्र में बहने वाला लावा भी सूनामी को गति प्रदान करता है। जब तेज़ गति वाला मलबा ऊपर से समुद्र में गिरता है, तो यह तेज़ लहरें पैदा कर सकता है, और सुनामी ला सकता है।
4. उल्कापिंड - उल्कापिंड का टकराना एक दुर्लभ घटना हैं। लेकिन सुनामी का संभावित कारण बन सकता है। हालांकि किसी उल्कापिंड के कारण दर्ज इतिहास में कोई सुनामी उत्पन्न नहीं हुई है।
सुनामी के प्रभाव
भले ही सूनामी बहुत कम आती है, और अधिकांश छोटे होते हैं, लेकिन इसके प्रभाव कई दिनों तक होता हैं। यह तटीय स्थानों पर रहने वाले समुदायों के लिए एक बड़ा खतरा हैं।
सूनामी मानव स्वास्थ्य, संपत्ति और संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण खतरा हैं। इसका प्रभाव लंबे समय तक रहता हैं, और इसके प्रभाव को समुद्र तट से बहुत दूर भी महसूस किया जा सकता हैं। सूनामी आमतौर पर नजदीकी तट को सबसे गंभीर क्षति पहुचाती है। लेकिन बड़ी सूनामी दूर के तटों तक भी पहुँच सकती है, जिससे व्यापक क्षति हो सकती है। हिंद महासागर मे आए 2004 की सूनामी ने दक्षिणपूर्वी एशिया और पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका के 17 देशों को प्रभावित किया था।
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