विंध्य पर्वतमाला जिसे विंध्याचल के नाम से भी जाना जाता है। विंध्य पर्वतमाला ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं में विंध्य को पवित्र माना जाता है। रामायण और महाभारत जैसे कई प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।
विंध्य पर्वत कहा है
पश्चिम और मध्य भारत में स्थित एक पर्वत श्रृंखलाओं का एक समूह है। यह पर्वत भारत की पश्चिम दिशा में फैली हुई है और यह पर्वत प्राकृतिक रूप से भारत को उत्तरी और दक्षिण भाग में विभाजित करती है। पर्वतमाला नर्मदा नदी के उत्तर में फैली हुई है।
विंध्य पर्वतमाला मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में फैली हुई है। सबसे ऊँची चोटी समुद्र तल से लगभग 3,586 फीट है। पश्चिम में गुजरात से लगभग 675 मील तक फैली यह पर्वतमाला मध्य प्रदेश से होते हुए उत्तर प्रदेश के वाराणसी तक फैली हुई है।
विंध्याचल पर्वत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में फैला हुआ है।
इस पर्वतमाला को दो भागों में विभाजित किया गया है -
कैमूर पर्वतमाला
कैमूर रेंज भारत के पूर्वी भाग में एक लंबी, संकरी पहाड़ी श्रृंखला है, जो बिहार से झारखंड होते हुए उत्तर प्रदेश तक फैली हुई है। यह पर्वत श्रृंखला लगभग 483 किलोमीटर तक फैली हुई है। इस पर्वत की औसत ऊँचाई लगभग 300 से 900 मीटर है।
यह क्षेत्र प्राचीन गुफाओं और शैलचित्रों के लिए जाना जाता है, जो प्रारंभिक मानव निवास को दर्शाते हैं। यह पर्वत माला घने जंगलों से ढकी हुई है, जिसमें बाघ, तेंदुए और विभिन्न पक्षी प्रजातियों सहित विभिन्न प्रकार की वनस्पति और जीव पाए जाते हैं।
मैकल श्रेणी
मैकल पर्वतमाला मध्य भारत में स्थित एक पर्वत श्रृंखला है, जो विंध्य पर्वतमाला का एक हिस्सा है। यह मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में फैली हुई है।
मैकल पर्वतमाला की औसत ऊँचाई 600 से 900 मीटर तक है। यह पर्वतमाला कई नदियों का स्रोत है, जिनमें नर्मदा और सोन शामिल हैं, जो मध्य भारत की प्रमुख नदियों में से हैं।
मैकल रेंज घने जंगलों से आच्छादित है, जिसमें मुख्य रूप से साल और सागौन के पेड़ हैं। यह कान्हा राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है, जो भारत के सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव अभ्यारण्यों में से एक है।
विंध्याचल पर्वत से कौन सी नदी निकलती है
विंध्याचल पर्वत से कई नदियाँ निकलती हैं, जिनमें से कुछ नर्मदा, सोन, टोंस, काली सिंध, पार्वती, चंबल, बेतवा, केन, तमसा, परवन, नेवज हैं। विंध्याचल से निकलने वाली अधिकतक नदियाँ गंगा और यमुना नदी की सहायक नदियाँ हैं।
नर्मदा नदी - जिसे नर्बदा के नाम से भी जाना जाता है, भारत की 5वीं सबसे लंबी नदी है और पश्चिम की ओर बहने वाली सबसे लंबी नदी है। यह मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है और इसे मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा कहा जाता है। यह नदी मध्य प्रदेश के अमरकंटक पठार से निकलती है और अरब सागर में मिलने से पहले मध्य प्रदेश और गुजरात से होकर बहती हैं। यह कुल 1,312 किलोमीटर का रास्ता तय करती है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच पारंपरिक सीमा भी बनाती है।
सोन - मध्य भारत में स्थित एक बारहमासी नदी है। यह छत्तीसगढ़ के पेंड्रा में अमरकंटक पहाड़ी से निकलती है और बिहार में जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। यमुना नदी के बाद सोन नदी गंगा की दूसरी सबसे बड़ी दक्षिणी सहायक नदी है। सोन नदी पर बना भारत का सबसे पुराना नदी पुल कोइलवर पुल आरा को पटना से जोड़ता है। सोन नदी पूरे देश में अपनी रेत के लिए प्रसिद्ध है।
टोंस - यमुना नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। टोंस नदी बंदरपंच पर्वत से निकलती है, जो 20,722 फीट ऊंचा है। यह एक प्रमुख हिमालयी नदी है। जो यमुना से भी अधिक पानी वहन करती है। टोंस उत्तराखंड के देहरादून के पास कालसी के नीचे यमुना से मिलती है।
काली सिंध - चंबल नदी की प्रमुख सहायक नदियों में से एक है। यह मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों से होकर बहती है। काली सिंध नदी मध्य प्रदेश में स्थित विंध्य पर्वतमाला से निकलती है। नदी की कई छोटी सहायक नदियाँ हैं जो इसके मार्ग में मिलती हैं। काली सिंध नदी अंततः चंबल नदी में विलीन हो जाती है, जो यमुना नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
पार्वती - मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों से होकर बहती है। यह चंबल नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है। पार्वती नदी मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में विंध्य पर्वतमाला से निकलती है। यह नदी उत्तर दिशा में बहती है, जो मध्य प्रदेश और राजस्थान के विभिन्न जिलों से होकर गुज़रती है। पार्वती नदी अंततः चंबल नदी में मिल जाती है, जो यमुना नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है।
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