भारत की प्रमुख नदियों के नाम बताइए - Major rivers of India

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नदी की प्रवाह प्रणाली क्षेत्र के धरातलीय बनावट पर निर्भर करती है। हमारे देश की अधिकतर नदियाँ हिमालय पर्वत से निकलती है। भारत की सभ्यता, संस्कृति और आर्थिक विकास में नदियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

प्राचीन काल से नदियाँ मानव जीवन और उसकी गतिविधियों का प्रमुख अंग रही है। विश्व की सभी महान सभ्यताओं का उदय नदियों की घाटियों में ही हुआ है।

भारत की प्रमुख नदियों के नाम बताइए

भारत की विश्व प्रसिद्ध सभ्यताएँ - मोहन जोदड़ो, हड़प्पा एवं वैदिक सभ्यता के विकास में गंगा, यमुना और सिंधु नदियों का महत्व योगदान रहा है। सिन्धु एवं इसकी सहायक नदियाँ झेलम, चिनाव, व्यास, रावी, सतलज आदि हिमालय से निकलकर भारत पाकिस्तान में बहती हुई अरब सागर में गिरती है।

हिमालय से निकलने वाली वे नदियाँ हैं जो बंगाल की खाडी में गिरती है। इन नदियों में गंगा और उसकी सहायक नदियाँ यमुना, चम्बल, सोन, घाघरा, गोमती, गंडक, ब्रम्हपुत्र और कोसी शामिल है। दक्षिण-पूर्व भारत की अधिकतर नदियां दामोदर, महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी भी बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।

भारत की प्रमुख नदियों के नाम बताइए

उत्पत्ति के आधार पर भारत के नदी तंत्र को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है।

  1. उत्तर भारत की नदियाँ
  2. दक्षिण भारत की नदियाँ

उत्तर भारत की नदियाँ

उत्तर भारत के प्रवाह तंत्र में हिमालय पर्वत श्रृंखला का सर्वाधिक महत्व है। यहाँ की सभी नदियों का उदगम स्थल हिमालय पर्वत है। उत्तर भारत की अधिकांश नदियाँ पूर्व की ओर बहती है इसलिए इनको पूर्ववर्ती अपवाह तंत्र भी कहते हैं। इन नदियों की एक विशेषता यह भी है कि यह सभी समुद्र में मिलने के पूर्व कई शाखाओं में विभक्त हो जाती है और डेल्टा बनाती है।

1. सिंधु नदी - सिन्धु नदी का उद्गम तिब्बत के पाँच हजार मीटर ऊँचे पठार में होता है। तिब्बत से निकलकर 3,880 कि.मी. की यात्रा करते हुए यह अरब सागर में जाकर मिलती है। यह नदी कैलाश पर्वत श्रेणी के सिंग्गी खाबाब झरने से निकलकर तिब्बत व लद्दाख से उत्तर-पश्चिम की दिशा में बहती है। इस नदी की कुल लंबाई 3,880 कि.मी. है। इसकी सहायक नदियाँ झेलम, चिनाव, रावी, सतलज एवं व्यास है।

2. झेलम नदी - इसका प्राचीन नाम वितस्ता था। झेलम नदी कश्मीर में शेषनाग झील से निकलकर उत्तर-पश्चिम दिशा में बहकर 115 किमी दूर वूलर झील में मिलती है। इसकी संपूर्ण लंबाई 400 कि.मी. है। इस नदी से कश्मीर में परिवहन तथा व्यापार में बड़ी सहायता मिलती है।

3. चिनाव नदी - चिनाब नदी भारत और पाकिस्तान से होकर बहने वाली एक प्रमुख नदी है, और पंजाब की पाँच मुख्य नदियों में से एक है। यह चंद्रा और भागा नदियों के मिलने से बनती है, जो भारत के हिमाचल प्रदेश में हिमालय से निकलती हैं। यह नदी भारत में जम्मू और कश्मीर से होकर पाकिस्तान के पंजाब में सिंधु नदी में मिलती है। भारत में इस नदी की कुल लंबाई 1,180 कि.मी. है।

4. रावी नदी - रावी नदी पंजाब की सबसे छोटी नदी है इसकी कुल लंबाई 725 किमी है। रावी नदी भारत और पाकिस्तान से होकर बहने वाली एक नदी है। यह पंजाब की पाँच नदियों में से एक है। 1960 की सिंधु जल संधि के तहत, रावी के साथ-साथ सतलुज और ब्यास नदियों का पानी भारत को आवंटित किया गया था। 

5. व्यास नदी - व्यास नदी हिमालय में स्थित रोहतांग के निकट व्यास कुंड से निकलती है। इसकी लंबाई 470 किमी है। व्यास नदी अपने उद्गम स्थल से 9 किलोमीटर दूर कोटी और लार्जी दर्रे से प्रवाहित होती हुई धौलाधार श्रेणियों को काटते हुए हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मण्डी और कांगड़ा जिलों में बहती हुई कपूरथाला के समीप सतलज नदी से मिल जाती है।

6. सतलज नदी - यह नदी कैलाश पर्वत के मानसरोवर झील के समीप राक्षसताल से निकली है। यह भारत के हिमाचल प्रदेश में प्रवेश कर सिप्ती नदी से मिलती है। रोपड़ के निकट यह शिवालिक श्रेणियों को पार कर आगे बढ़ती है। सतलज नदी में भाखड़ा नांगल बाँध बनाया गया है।

7. गंगा नदी - यह विश्व की सबसे पवित्र नदियों में से एक है इसका उद्गम हिमालय पर्वत के गंगोत्री नामक हिमनद से हुआ है। यह हिन्दुओं की पवित्र पावनी नदी है जहाँ भारतीय संस्कृति और सभ्यता का जन्म हुआ हैं। इसके प्रवाह क्षेत्र में पर्वतीय राज्य उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड तथा पश्चिम बंगाल आते हैं।

गंगा नदी का जन्म अलकनंदा और भागीरथी दोनों नदियों के मिलने से हुई है। भागीरथी को ही वास्तविक गंगा माना जाता है। यह आरंभ में भागीरथी केदारनाथ की चोटी के उत्तर में गौमुख से निकलकर बहती है और जान्हवी नदी इससे मिल जाती है।

गंगा नदी हरिद्वार से दक्षिण की ओर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। इसकी कुल लंबाई 2510 किलोमीटर है। भारत में इसकी लंबाई 2,071 किलोमीटर है इसका जल ग्रहण क्षेत्र 9.51 लाख वर्ग मीटर है। गंगा नदी का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है जो हुगली और मेघना नदियों के मध्य है जिसे सुन्दरवन का डेल्टा कहते हैं। गंगा की प्रमुख सहायक नदियाँ यह हैं।

8. यमुना नदी - यह गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। इसका उदगम स्थल यमुनोत्री हिमनदी है। यमुना नदी लघु हिमालय श्रेणी को काटते हुए प्रयाग के पास गंगा से निकलकर पवित्र संगम का निर्माण करती है। यमुना के तट पर दिल्ली, आगरा, मथुरा जैसे बड़े-बड़े नगर स्थित हैं। यमुना नदी की लंबाई 1,364 किमी है।

9. घाघरा नदी - इसे सम्पू नदी के नाम से भी जाना जाता है। यह नदी पर्वतीय क्षेत्र कोरियाला के मैदानी क्षेत्र में बहती है और तकलाकोट के उत्तर-पश्चिम में मांपचा युगु हिमनद से निकलकर छपरा में गंगा से मिल जाती है।

10. रामगंगा नदी - यह नदी हिमाचल श्रेणी के दक्षिणी भाग में नैनीताल के समीप से निकलकर कालागढ़ के मैदान में उतरकर कन्नौज में गंगा से मिल जाती है इसका अपवाह क्षेत्र 32,800 कि.मी. और लंबाई 600 किलोमीटर है।

11. सरयू नदी - यह कुमायू के उत्तरी - पूर्वी भाग में मिलान हिमनद से निकली है। पंचेश्वर, सरयू व रामगंगा नदियाँ इसमें मिलती हैं और यहाँ से यह सरयू या शारदा नदी के नाम से बहती हुई बहरामघाट में गंगा से मिल जाती है।

12. राप्ती नदी - राप्ती नदी नेपाल के पृष्ठ भाग से निकली है जहाँ से 640 कि.मी. की यात्रा करके यह बरहज के समीप घाघरा नदी से मिल जाती है यह नदी उत्तर प्रदेश के बहराइच, गोंडा, बस्ती और गोरखपुर जिलों में प्रवाहित होती है।

13. कोसी नदी - कोसी नदी का जन्म गोसाई धाम में अरुण नदी के रूप में हुआ है। यह शिवालिक श्रेणी को पार कर 720 कि.मी. बहकर गंगा से मिल जाती है। बहते समय यह बार-बार अपना मार्ग बदलती रहती है इसलिए इसके किनारे कृत्रिम तटबंध बनाए गए हैं। वर्षा ऋतु में इसका रूप विकराल हो जाता है जिससे आसपास के गाँव तहस-नहस हो जाते हैं इसलिए इसे बिहार का शोक भी कहते हैं।

14. चम्बल नदी - यह नदी मध्यप्रदेश के गऊ के पास 616 मीटर ऊँची जमाधन पहाड़ी से निकलकर उत्तर–पूर्व की ओर बहती हुई बूंदी, कोटा, धौलपुर जाती है । इटावीर से 38 कि.मी. दूर यह यमुना में मिल जाती है।

इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ काली सिंध, सिप्ता, बनास और पार्वती हैं। चम्बल नदी में अपरदन के कारण गहरे खड्डे व बीहड़ बन गए हैं जो डाकुओं की शरणस्थली है। यह नदी कोटा में भैसरोगढ़ के पास 18 मीटर ऊँचा जल प्रपात बनाती है। नदी की कुल लंबाई 965 कि.मी. है।

15. काली सिंध नदी - यह नदी राजस्थान के टांक जिले से निकलती है और 416 कि.मी. की दूरी तय कर जगमनपुर से उत्तर की ओर यह यमुना में मिल जाती है।

16. बेतवा नदी- बेतवा नदी मध्यप्रदेश के भोपाल के दक्षिण-पश्चिम से निकलकर उत्तरर - पूर्वी दिशा में बहते हुए भोपाल, ग्वालियर, झाँसी, ओरछा, जालौन होते हुए हमीरपुर में यमुना में मिल जाती है। इसके किनारे साँची, विदिशा जैसे नगर स्थित हैं। झाँसी से 23 कि.मी. दूर पश्चिम में इससे बेतवा नहर निकाली गई है। नदी की लंबाई 480 किलोमीटर है।

17. तमसा - तमसा नदी कैमूर पहाड़ी से मैहर के पास तमसा कुण्ड से निकली है । यह 265 कि.मी. लंबी है। सिरसा के पास यह गंगा नदी में मिल जाती है। तमसा नदी कई जलप्रपात बनाती है जिसमें 180 मीटर चौड़ा और 100 मीटर ऊँचा बिहार का प्रपात प्रसिद्ध है।

18. सोन नदी - सोन नदी अमरकंटक की पहाड़ियों से नर्मदानदी के उद्गम स्थल के पास से निकली है। सोन नदी विन्ध्य पर्वतमाला से गुजरते हुए कई जल प्रपात बनाती है। यह 780 कि.मी. लंबी है दानापुर से 16 कि.मी. ऊपर यह गंगा नदी से मिल जाती है। बनास, गोपाद, रिहन्द इसकी सहायक नदियाँ है। इस पर डेरी आसनसोन नामक रेल्वे का लंबा पुल है।

19. ब्रम्हपुत्र नदी - भारत की सबसे बड़ी नदी है। यह तिब्बत में कैलाश पर्वत की मानसरोवर झील से निकलकर सांपू नदी के नाम से बहती है। असम हिमालय में यह नामचा बरुआ पर्वत के पास दक्षिण की तरफ मुड़कर अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। असम घाटी से होते हुए यह बंगला देश में प्रवेश करती है जहाँ सुरमा नदी से मिलकर यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

ब्रम्हपुत्र नदी के तट पर गुवाहाटी और डिब्रुगढ़ जैसे बड़े नगर स्थित हैं। इस नदी में बड़ी भयंकर बाढ़ आती है जिससे इसके तटों पर स्थित शहरों को भारी क्षति पहुँचती है। ब्रम्हपुत्र नदी 2,580 कि.मी. लम्बी है इसमें से 1,346 कि.मी. की लंबाई तय करने के बाद यह भारत में प्रवेश करती है इसकी सहायक नदियाँ स्वर्ण सीरी, भाद्री सकोस, मानस घारला और तिस्ता है इसमें बंगाल की खाड़ी में डिब्रगढ़ तक जहाज चलते हैं।

दक्षिण भारत की नदियाँ

दक्षिण भारत की भूमि अत्यंत प्राचीन है। इसके उत्तरी भाग का ढाल पूर्व की ओर है इसलिए इसकी अधिकांश नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती है। अपनी वृद्धावस्था में पहुँचकर ये नदियाँ अपने आधार तल को प्राप्त कर चुकी हैं इसलिए इनकी घाटियाँ चौड़ी है।

वर्षाऋतु मे बाढ़ आने पर यह बहुत जल्दी भर जाती हैं। और ग्रीष्म ऋतु में जल्दी ही सूखकर पतली हो जाती है। इन नदियों का अध्ययन दो भागों में विभक्त कर किया जा सकता है।

1. महानदी - इसका प्राचीन नाम चित्रोत्पला था। इसका उद्गम छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में सिहावा पहाड़ी से हुआ है। महानदी अपने उद्गम स्थल से पूर्व की ओर 858 कि.मी. की लंबाई में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है और उपजाऊ डेल्टा का निर्माण करती है। इसकी सहायक नदियाँ शिवनाथ, जोंक, खारुन और हसदो नदी हैं। महानदी में ओड़िसा से सम्बलपुर के पास हीराकुंड बाँध बनाया गया है।

2. दामोदर नदी - दामोदर नदी छोटा नागपुर के पठार पर दोरी नामक स्थान से निकली है। गढ़ी, कोनार, बाराकर और जमुनियाँ इसकी सहायक नदी है। बाराकर से मिलने के बाद दामोदर नदी में एक विशाल रूप धारण कर 430 कि.मी. की दूरी तय कर हुगली नदी में मिलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरकर उपजाऊ डेल्टा बनाती है। इसकी विनाशकारी बाढ़ों के कारण इसे बंगाल का शोक भी कहते हैं किन्तु दामोदर घाटी परियोजना से इसके बाढ़ों पर अंकुश लगाया गया है।

3. गोदावरी नदी - यह दक्षिण भारत की सबसे लंबी और पवित्र नदी है। यह महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्रयम्बक नामक पहाड़ी से पश्चिमी घाट पर 1,067 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। पूर्वी घाट को पार कर यह विस्तृत डेल्टा बनाते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसकी लंबाई 1,465 किमी है इसकी सहायक नदियाँ वैनगंगा, पेनगंगा, वर्धा, इन्द्रावती, माजरा आदि है।

4. कृष्णा नदी - कृष्णा नदी महाबलेश्वर के पास पश्चिमी घाट निकलकर मध्य पठारी क्षेत्र को पार करते हुए पूर्वीघाट के पास दो धाराओं में बँटकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। यह 1,400 किमी लंबी है। इसकी सहायक नदियाँ तुंगभद्रा, कोयना, वर्ना, पंचगंगा, दूधगंगा, मालप्रभा और घाटप्रभा हैं।

5. कावेरी नदी - यह कुर्ग जिले की ब्रम्हगिरी पहाड़ी से निकलकर तमिलनाडु राज्य से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसकी सहायक नदियाँ हेमावती, लोक, पावनी, शियसा, सुवर्षवती और अमरावती नदी है।

6. स्वर्ण रेखा नदी - यह छोटा नागपुर के पठार में स्थित राँची से निकलकर 133 किमी की दूरी तयकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

7. ब्राम्हणी नदी - इस नदी का उद्गम राँची के पठार के दक्षिण में कोइल और सोख नदियों के संगम से हुआ है। 418 कि.मी. बहकर यह वैतरनी नदी से मिल जाती है।

8. उत्तरी पेन्नार नदी - यह कर्नाटक के नन्दी दुर्ग पहाड़ी से निकली है और 590 किमी बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। इसकी सहायक नदियाँ चित्रावती और पापाधानी है।

9. दक्षिण पेन्नार नदी - यह चेन्ना केशव पहाड़ी से निकलकर 400 किमी बहते हुए तमिलनाडु में सेण्टडेविड के पास बंगाल की खाड़ी में गिरती है।

10. नर्मदा नदी - नर्मदा नदी भारत की सबसे लंबी पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है और देश की पांचवीं सबसे लंबी नदी है, जो कुल 1,312 किलोमीटर की दूरी तक बहती है। सिंचाई, जल आपूर्ति और जीवन के अन्य पहलुओं के लिए इन राज्यों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण इसे मध्य प्रदेश और गुजरात की जीवन रेखा के रूप में भी जाना जाता है। नदी मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में अमरकंटक पठार से निकलती है।

नदी पश्चिम की ओर बहती है, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से गुज़रती है, और गुजरात में भरूच से लगभग 30 किलोमीटर पश्चिम में अरब सागर में खंभात की खाड़ी में गिरती है।

नर्मदा भारत की केवल दो प्रमुख नदियों में से एक है जो पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है, और यह मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है। यह सतपुड़ा और विंध्य पर्वतमाला के बीच एक दरार घाटी से होकर बहती है, और यह डेल्टा नहीं बल्कि मुहाना बनाती है, जैसा कि दरार घाटी नदियों की विशेषता है।

नदी अपनी यात्रा के दौरान कई सहायक नदियों से जुड़ती है। नदी का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, इसके किनारों पर कई मंदिर और पवित्र स्थल हैं।यह नदी मध्य भारत की पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

11. ताप्ती नदी - ताप्ती नदी, जिसे तापी के नाम से भी जाना जाता है। ताप्ती नदी भारत में नर्मदा नदी के बाद दूसरी सबसे लंबी पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है, जिसकी कुल लंबाई 724 किलोमीटर है। यह मध्य प्रदेश के मुलताई से निकलती है और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के भारतीय राज्यों से होकर पूर्व से पश्चिम दिशा में बहती है। नदी अंततः गुजरात में अरब सागर में खंभात की खाड़ी में गिरती है। ताप्ती नदी की 14 प्रमुख सहायक नदियाँ हैं, जिन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया है:

सहायक नदियाँ

  1. वाकी
  2. अनेर
  3. अरुणावती
  4. गोमई
  5. नेसु
  6. अमरावती
  7. बुरे
  8. पंजरा
  9. बोरी
  10. गिरना
  11. वाघुर
  12. पूर्णा
  13. मोना
  14. सिपना

ताप्ती उन क्षेत्रों में सिंचाई, जल आपूर्ति और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण नदी है, जहाँ से यह बहती है। यह सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, इसके मार्ग में कई मंदिर और शहर स्थित हैं।

नदी गुजरात के सूरत शहर से होकर बहती है, जहाँ इसे मगदल्ला और ONGC पुल पार करते हैं। ताप्ती नदी इस क्षेत्र के लिए एक आवश्यक संसाधन बनी हुई है, और उकाई बांध के निर्माण ने ऐसी विनाशकारी बाढ़ को रोकने में मदद की है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में कृषि, जलविद्युत शक्ति और पीने के पानी के लिए एक स्थिर जल आपूर्ति प्रदान की गई है।

12. लूनी नदी - लूनी नदी पश्चिमी भारतीय राज्यों राजस्थान और गुजरात में एक महत्वपूर्ण नदी है। इसका बेसिन क्षेत्र 37,363 वर्ग किमी है, जो राजस्थान के अजमेर, बाड़मेर, जालौर, जोधपुर, नागौर, पाली और सिरोही जिलों के कुछ हिस्सों के साथ-साथ उत्तरी गुजरात के बनासकांठा और पाटन जिलों को कवर करता है।

यह नदी पश्चिमी अरावली पर्वतमाला में लगभग 550 मीटर की ऊँचाई पर स्थित पुष्कर घाटी में अजमेर के पास से निकलती है। शुरू में सागरमती के नाम से जानी जाने वाली यह नदी राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र की पहाड़ियों और मैदानों से होकर दक्षिण-पश्चिम में बहती है। जैसे-जैसे यह दक्षिण-पश्चिम की ओर बढ़ती है, यह थार रेगिस्तान में प्रवेश करती है और अंत में कच्छ के रण में विलीन हो जाती है, जिसकी कुल दूरी 495 किमी है।

लूनी नदी की कई प्रमुख सहायक नदियाँ हैं, जिनमें बाईं ओर से सुकरी, मीथरी, बांडी, खारी, जवाई, गुहिया और सागी और दाईं ओर से जोजरी शामिल हैं। हालाँकि लूनी नदी शुरू में खारी नहीं होती है, लेकिन बालोतरा पहुँचने पर यह खारी हो जाती है क्योंकि आस-पास की मिट्टी में नमक की मात्रा बहुत ज़्यादा होती है। अपनी बढ़ती हुई लवणता के बावजूद, लूनी नदी इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत बनी हुई है, जो इसके माध्यम से बहने वाले शुष्क क्षेत्रों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करती है। कृषि के लिए नदी का महत्व, विशेष रूप से रेगिस्तानी क्षेत्रों में, इसे स्थानीय आजीविका के लिए एक आवश्यक संसाधन बनाता है।

13. माही नदी - माही नदी पश्चिमी भारत में पश्चिम की ओर बहने वाली एक महत्वपूर्ण नदी है, जो मध्य प्रदेश राज्य में पश्चिमी विंध्य पर्वतमाला से निकलती है। इसका सटीक स्रोत मध्य प्रदेश के धार जिले में मिंडा गाँव के पास है। नदी उत्तर-पश्चिम में राजस्थान में और फिर दक्षिण-पश्चिम में गुजरात में जाने से पहले मध्य प्रदेश से उत्तर की ओर बहती है। खंभात के पास एक विस्तृत मुहाने के माध्यम से अरब सागर में गिरने से पहले यह लगभग 360 मील (580 किमी) का कुल मार्ग तय करती है।

यह नदी ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रही है, जो गाद प्रदान करती है जिसने खंभात की खाड़ी को उथला करने और इसके एक बार समृद्ध बंदरगाहों को छोड़ने में योगदान दिया है। नदी का तल आसपास की भूमि की तुलना में काफी कम है, जिससे यह सिंचाई के लिए बहुत कम उपयोगी है। इसके बावजूद, नदी सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखती है, इसके किनारों पर कई मंदिर और पूजा स्थल स्थित हैं। इसकी विशालता के कारण इसे अक्सर महिसागर कहा जाता है, और गुजरात में नवगठित महिसागर जिला का नाम इस पवित्र नदी से लिया गया है।

माही नदी अपने मार्ग में दो बार कर्क रेखा को पार करती है। इसके पानी का उल्लेख प्राचीन अभिलेखों में भी किया गया है, प्राचीन यूनानियों ने इसे मैस के नाम से संदर्भित किया है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व और विरासत को रेखांकित करता है।

14. साबरमती नदी - साबरमती नदी भारत में पश्चिम की ओर बहने वाली एक प्रमुख नदी है, जो राजस्थान की अरावली पर्वतमाला से निकलती है। नदी की कुल लंबाई 371 किमी है, जिसमें से 48 किमी राजस्थान में है और शेष 323 किमी गुजरात से होकर बहती है।

नदी राजस्थान के उदयपुर जिले से शुरू होती है और दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है। राजस्थान में 48 किमी बहने के बाद, यह गुजरात में प्रवेश करती है, जहाँ इसकी कई सहायक नदियाँ मिलती हैं। विशेष रूप से, वाकल नदी घोनपंखरी गाँव के पास साबरमती में मिलती है, और बाद में, यह दाहिने किनारे पर सेई नदी से मिलती है। अपने मार्ग के साथ आगे, साबरमती हरनव नदी से मिलती है, जिसके बाद यह धरोई जलाशय में प्रवेश करती है।

धरोई बाँध से आगे, नदी एक अन्य महत्वपूर्ण सहायक नदी, हथमती नदी से मिलती है। साबरमती नदी गुजरात के प्रमुख शहरों में से एक अहमदाबाद से होकर बहती है और अपनी यात्रा जारी रखते हुए बाएं किनारे पर वात्रक नदी से मिलती है। अंततः साबरमती अरब सागर में खंभात की खाड़ी में गिरती है।

साबरमती नदी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, खासकर अहमदाबाद शहर में, जो महात्मा गांधी और साबरमती आश्रम से जुड़े होने के कारण जाना जाता है। यह उन क्षेत्रों में सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहाँ से यह बहती है।

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