काव्य को पद्य भी कहा जाता है, यह साहित्य का एक रूप है जो भाषा के सौंदर्य और लयबद्ध गुणों का उपयोग करता है। इसमे कहानी को लयबद्ध और कलात्मक रूप में व्यक्त किया जाता हैं। काव्य का इतिहास सदियों पुराना हैं।
काव्य की परिभाषा क्या है
आचार्य विश्वनाथ के अनुसार, रसात्मकं वाक्यं काव्यम् अर्थात रसात्मक वाक्य को काव्य कहते हैं।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार, जो उक्ति हृदय में कोई भाव जाग्रत कर दे या उसे प्रस्तुत वस्तु या तथ्य की मार्मिक भावना में लीन कर दे वह काव्य है।
पंडित राज जगन्नाथ के अनुसार, रमणीयार्थ प्रतिपादकः शब्दः काव्यम्” अर्थात् रमणीय अर्थ का प्रतिपादन करने वाले शब्द को काव्य कहते हैं।
महाकाव्य एवं खंडकाव्य में अंतर स्पष्ट कीजिए
महाकाव्य और खण्डकाव्य में अन्तर –
महाकाव्य | खण्डकाव्य |
---|---|
महाकाव्य में जीवन का सम्पूर्ण चित्रण होता है। | जबकि खण्डकाव्य में जीवन के किसी एक पक्ष का चित्रण होता है। |
महाकाव्य का उद्देश्य महान् होता है। | किन्तु खण्डकाव्य के लिए महान् उद्देश्य का होना अनिवार्य नहीं है। |
महाकाव्य प्राय: आकार में बड़ा होता है और उसकी शैली उदात्त होती है। | किन्तु खण्डकाव्य आकार में छोटा होता है। |
महाकाव्य में इतिहास, पुराण, प्रसिद्ध कथा वस्तु होती है, जिसमें नायक का सम्पूर्ण जीवन वर्णित होता है। | खण्डकाव्य में किसी घटना या जीवन के एक अंश का वर्णन होता है। |
महाकाव्य में कम-से-कम आठ सर्ग होते हैं। | खण्डकाव्य इतना विस्तृत नहीं होता है। |
महाकाव्य के नाम बताइए
महाकाव्य और उनके रचयिता के नाम निम्नलिखित हैं -
- रामचरित मानस - तुलसीदास
- साकेत - मैथिलीशरण गुप्त
- पद्मावत - मलिक मुहम्मद जायसी
- कामायनी - जयशंकर प्रसाद
- प्रिय प्रवास - अयोध्यासिंह उपाध्याय (हरिऔध)
- लोकायतन - सुमित्रानन्दन पंत
- कुरुक्षेत्र - रामधारी सिंह दिनकर
- पृथ्वीराज रासो - चन्दबरदायी
खंडकाव्य के नाम लिखिए
खण्डकाव्य के नाम और उनके रचयिता निम्नलिखित है -
- पंचवटी, जयद्रथ वध - मैथिलीशरण गुप्त
- रश्मि-रंथी - रामधारी सिंह दिनकर
- सुदामा चरित - नरोत्तम दास
- पार्वती मंगल - तुलसीदास
- कदम-कदम बढ़ाए जा - गोपाल प्रसाद व्यास
- हल्दी घाटी का युद्ध - श्याम नारायण पाण्डे
- पथिक - रामनरेश त्रिपाठी
- महा प्रस्थान - नरेश मेहता
- भस्मासुर - नागार्जुन
चम्पू काव्य किसे कहते हैं
जिसमें गद्य और पद्य मिश्रित रूप से प्रयोग किए जाते हैं, उसे चम्पू काव्य कहते हैं। इसका प्रचलन संस्कृत साहित्य में अधिक हैं। हिन्दी में कम है। हिन्दी का प्रसिद्ध चम्पू काव्य है - मैथिलीशरण गुप्त रचित सिद्धराज हैं।
काव्य के लक्षण - काव्य में अनेक रस, छन्द और अलंकारों का समावेश समयानुसार होता है। काव्य में प्रकृति चित्रण, सौन्दर्य वर्णन, यात्रा वर्णन, नगर वर्णन आदि का समावेश होता है।
खण्डकाव्य के लक्षण - खण्डकाव्य में जीवन की किसी एक घटना या मार्मिक अंश का पूर्णता के साथ चित्रण होता है। इसमें घटना के माध्यम से किसी महान् आदर्श की अभिव्यक्ति होती है। इसका नायक प्रसिद्ध होता है। सम्पूर्ण रचना एक ही छन्द में होती है। इसका प्रधान रस शृंगार, शांत या वीर होता हैं।
महाकाव्य के लक्षण - इसमें आठ या अधिक सर्ग होने चाहिए। इसमें अनेक छन्दों का प्रयोग होना चाहिए। प्रधान रस शृंगार, वीर या शांत होना चाहिए। अन्य रसों का प्रवेश समयानुसार होना चाहिए। यात्रा वर्णन, नगर वर्णन, प्रकृति चित्रण होना चाहिए। प्रारम्भ में देवी-देवताओं की प्रार्थना होती है। प्रत्येक सर्ग के प्रारम्भ में और अंत में नवीन छन्द योजना होनी चाहिए।
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