वह भूमि जो पेड़ों, झाड़ियों और अन्य वनस्पतियों से आच्छादित होता है। उसे वन कहा जाता हैं। वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करके ऑक्सीजन छोड़ता हैं। यह वातावरण के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता हैं साथ ही वन्य जीवों को रहने का स्थान प्रदान करता हैं।
आरक्षित वन किसे कहते हैं
भारत में आरक्षित वन और संरक्षित वन ऐसे वन हैं जिन्हें कानूनी सुरक्षा दी गई है। राष्ट्रीय उद्यानों या वन्यजीव अभयारण्यों के विपरीत, आरक्षित और संरक्षित वन राज्य सरकारों द्वारा घोषित किए जाते हैं। आरक्षित वनों में, शिकार और पशु चराने पर प्रतिबंध होता है। संरक्षित वनों में ऐसी गतिविधियों को आस-पास के समुदायों के लिए अनुमति दी जा सकती है जो अपनी आजीविका के लिए जंगल पर निर्भर हैं।
आरक्षित वन का उद्देश्य जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षण प्रदान करना है। इन वनों को किसी भी मानवीय गतिविधियों से दूर रखा जाता है जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान न हो।
आरक्षित वनों का देख रेख वन विभाग द्वारा किया जाता है। वन विभाग आरक्षित वनों और उनके संसाधनों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है। भारत में आरक्षित वनों के उदाहरणों में केरल में अट्टापडी आरक्षित वन और तमिलनाडु में पलानी हिल्स वन संरक्षण क्षेत्र शामिल हैं।
भारत में आरक्षित वनों का प्रतिशत
2021 तक भारत में आरक्षित वनों का प्रतिशत लगभग 4.95% है। इंडिया स्टेट ऑफ़ फ़ॉरेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल वन आरक्षित क्षेत्र 712,249 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 21.67% है।
भारत सरकार वन संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए विभिन्न पहल कर रही है और नीतियों को लागू कर रही है। इन प्रयासों में राष्ट्रीय वन नीति, 1988 और वन संरक्षण अधिनियम, 1980 शामिल हैं, जिनका उद्देश्य वनों और वन्यजीवों की रक्षा करना और स्थायी वन प्रबंधन को समर्थन करना है।
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