अधिकांश प्राचीन सभ्यताएं नदी के किनारे इसलिए विकसित हुई हैं क्योंकि नदी के आसपास सिंचाई के लिए पानी, उपजाऊ भूमि, पालतू जानवरों के लिए चारा और यातायात की सुविधा आसानी से उपलब्ध होती थी।
लगभग 6000 से 8000 साल पहले नील नदी के आसपास प्राचीन मिस्र सभ्यता, सिंधु नदी के किनारे सिंधु घाटी सभ्यता, टिगरिस नदी के किनारे मेसोपोटामिया और पिली नदी के पास चीनी सभ्यता का विकास हुआ हैं।
आज भी अधिकांश मानव बस्तियां नदियों के किनार बसा हुआ हैं। नदी के आसपास उपजाऊ मिट्टी और सिंचाई के लिए पानी आसानी से उपलब्ध होती हैं। प्राचीन सभ्यताओं का नदियों के किनारे पर विकसित होने का मुख्य कारण निम्नलिखित हैं -
1. जल की उपलब्धता - जल जीवन के लिए आवश्यक है। नदियां पीने का पानी, सिंचाई के लिए जल, और अन्य जरूरतों के लिए जल प्रदान करती थीं।
2. उपजाऊ भूमि - नदियों के किनारे की भूमि अधिक उपजाऊ होती है क्योंकि बाढ़ के दौरान नदियां गाद लेकर आती हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है। उपजाऊ भूमि का अर्थ है फसल की अधिक पैदावार हैं।
3. यातायात और व्यापार - नदियां प्राचीन समय में परिवहन और व्यापार के प्रमुख साधन रहा हैं। नदियों के माध्यम से लोग एक जगह से दूसरी जगह आसानी से यात्रा कर सकते थे और वस्तुओं का आदान-प्रदान कर सकते थे।
4. रक्षा और प्राकृतिक सीमा - नदियां अक्सर एक प्राकृतिक सीमा के रूप में काम करती थीं, जिससे बाहरी आक्रमणों से सुरक्षा मिलती थी। बस्तियां नदियों के किनारे पर बसने से सुरक्षित महसूस करती थीं।
5. संस्कृति और धर्म - नदियां प्राचीन सभ्यताओं में धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती थीं। उदाहरण के लिए, गंगा, नील, यांग्त्ज़ी आदि नदियों को पवित्र माना गया हैं।
6. प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता - नदियों के आसपास लकड़ी, पेड़-पौधे, और मिट्टी जैसे संसाधन आसानी से उपलब्ध थे, जिनका उपयोग निर्माण और दैनिक जीवन में किया जाता था।
मेसोपोटामिया सभ्यता
मेसोपोटामिया की सभ्यता को मानव इतिहास की सबसे प्रारंभिक और उन्नत सभ्यताओं में से एक माना जाता है। यह सभ्यता लगभग 4000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व तक फलती-फूलती रही है। मेसोपोटामिया का अर्थ है "नदियों के बीच की भूमि हैं। यह टिगरिस और यूफ्रेट्स नदियों के बीच विकसित हुआ था। यह क्षेत्र वर्तमान में इराक, सीरिया, ईरान, और तुर्की में आता है।
- यह सभ्यता शहरी जीवन का पहला बड़ा उदाहरण है।
- यह नगर सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध ढंग से बनाए गए थे।
- दुनिया की पहली लिखित लिपि क्यूनिफॉर्म का विकास यहीं हुआ था।
- सूर्य और चंद्रमा की स्थिति का अध्ययन कर कैलेंडर बनाया गया था।
मेसोपोटामिया की सभ्यता का विकास आज के इराक और कुवैत में टाइग्रिस और यूफ्रेट्स नदियों के तट पर हुआ था। कुछ प्रमुख मेसोपोटामिया सभ्यताओं में सुमेरियन, असीरियन, अक्कादियन और बेबीलोनियन सभ्यताएं शामिल हैं। साक्ष्य इन समाजों में प्रौद्योगिकी, साहित्य, कानून, दर्शन, धर्म और वास्तुकला के व्यापक उपयोग को दर्शाता है।
चीनी सभ्यता
चीनी सभ्यता, विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। इसका विकास लगभग 2000 ईसा पूर्व हुआ था। यह पीली नदी और यांग्त्ज़ी नदी के किनारे विकसित हुई। इसे पीली नदी की सभ्यता भी कहा जाता है। कांस्य युग के समय इसकी संस्कृति का विकास अपने चरम पर था।
सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता (3300-1300 ईसा पूर्व), जिसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है, एक प्राचीन और उन्नत सभ्यता थी जो आधुनिक उत्तर-पूर्व अफगानिस्तान, पाकिस्तान, और उत्तर-पश्चिम भारत तक फैली हुई थी। यह सभ्यता अपने समय की सबसे उन्नत शहरी संस्कृतियों में से एक मानी जाती है।
- स्थान: सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई।
- प्रमुख स्थल: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, धोलावीरा, लोथल, और कालीबंगन।
उन्नति और नवाचार:
- मानकीकृत वजन और माप का विकास।
- मुहरों पर नक्काशी और चित्रलिपि का उपयोग।
- तांबा, कांसा, सीसा और टिन के साथ धातु विज्ञान में कुशलता।
शहरी योजना:
- सुव्यवस्थित सड़कें और घर।
- उन्नत जल निकासी और जल आपूर्ति प्रणाली।
- विशाल स्नानागार जैसी संरचनाएं।
सभ्यता का अंत
- जलवायु परिवर्तन और नदियों के मार्ग बदलने के कारण लोग पलायन कर गए।
- सभ्यता का पतन धीरे-धीरे 1500 ईसा पूर्व तक हो गया।
खोज और महत्त्व
- 1856 में रेलवे निर्माण के दौरान, लाहौर और कराची के बीच श्रमिकों ने प्राचीन ईंटें खोजीं।
- अज्ञात रूप से इन ईंटों का उपयोग सड़क निर्माण में किया गया।
- बाद में यह खोज सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमाणों के रूप में पहचानी गई।
- सिंधु घाटी सभ्यता ने मानव इतिहास में नगर नियोजन और तकनीकी उन्नति की मिसाल पेश की।
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