राहुल सांकृत्यायन जी की साहित्यिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -
(1) राहुल जी के साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता मनोरंजकता है। राहुल जी आरंभ से ही रोचकता के समर्थक रहे थे। यह विशेषता उनकी साहित्यि में ही नहीं अपितु गंभीर विषयों में भी दिखाई देती है।
(2) उनके साहित्य में सर्वत्र प्रभावोत्पादकता विद्यमान रही है। किसी भी कृति को देखा जाये तो यह विशेषता सुंदर रूप में आई है।
(3) राहुल जी ने अपने साहित्य में विविध शैली का प्रयोग किया है। कहीं उनकी शैली बौद्धिकता का आधार लिए हुए हमारे सामने आती है, तो कहीं वे साहित्यिक व्यक्तित्व के रूप में अपनी रसज्ञता प्रकट करते हैं।
(4) राहुल जी के साहित्य की एक अन्य विशेषता उनकी खोजपूर्ण शैली है। हिन्दी साहित्य में राहुल जी पहले व्यक्ति थे जिन्होंने खोजपूर्ण शैली का सूत्रपात किया।
(5) राहुल जी भाषा के प्रकाण्ड विद्वान थे। अतः उनके साहित्य में सामान्यतः संस्कृतनिष्ठ परंतु सरल और परिष्कृत भाषा का प्रयोग हुआ है। कहीं-कहीं उन्होंने मुहावरों और कहावतों का प्रयोग भी किया है, जिससे उनकी भाषा में जीवन्तता आ गई है।
(6) आपकी यात्रा साहित्य एवं निबंधों की भाषा सहज, सरल, स्वाभाविक एवं व्यावहारिक है।
(7) राहुल जी ने समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों, कुपरम्पराओं तथा पाखण्डों पर तीव्र व्यंग्य किया है। इस आधार पर उनके साहित्य की महत्वपूर्ण विशेषता उनकी व्यंग्यात्मक शैली है।
(8) राहुल जी के दार्शनिक ग्रंथों एवं निबंधों में चिंतन एवं विचारात्मकता परिलक्षित होता है। इनकी ये रचनाएँ चिंतन प्रधान ।
संक्षेप में कहा जा सकता है कि राहुल जी को साहित्य में प्रभावोत्पादकता, मनोरंजकता, व्यंग्य, सरलता, सरसता, भावगाम्भीर्य आदि विशेषताओं के दर्शन मिलते हैं।
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