कुल ब्याज व शुद्ध ब्याज में अन्तर
कुल ब्याज | शुद्ध ब्याज |
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मूलधन के अलावा देय धन कुल ब्याज कहलाता है। | सरकारी ऋण-पत्रों एवं उधार दर में लगायी गयी राशि पर प्राप्त ब्याज शुद्ध ब्याज कहलाता है। |
कुल ब्याज की दर प्रचलन में रहती है। यह एक व्यावहारिक ब्याज दर होती है। | शुद्ध ब्याज की दर मात्र सैद्धान्तिक है। व्यवहार में इसका कोई महत्व नहीं है। |
कुल ब्याज में शुद्ध ब्याज भी सम्मिलित रहता है। | शुद्ध ब्याज कुल ब्याज का एक अंग मात्र है। |
कुल ब्याज की दरों में भिन्नताएँ पायी जाती हैं। | शुद्ध ब्याज की प्रायः सभी दरें समान रहती हैं। |
कुल ब्याज का क्षेत्र व्यापक होता है। | शुद्ध ब्याज का क्षेत्र सीमित होता है। |
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