अर्थशास्त्र में मुद्रा प्रसार से आशय उस स्थिति से है जिसमें वस्तुओं के मूल्य बढ़ते हैं, तथा मुद्रा का मूल्य गिरता है। किसी भी कारण से उत्पादन में कमी या प्रचलन में मुद्रा की वृद्धि से मुद्रा मांग के बीच असंतुलन की स्थिति मुद्रा स्फीति है।
पदार्थ मुद्रा किसे कहते हैं
यदि मुद्रा धातु की बनी होती है, तो उसे पदार्थ मुद्रा या धातु मुद्रा कहते हैं। इसका अंकित मूल्य एवं यथार्थ मूल्य बराबर होता है।
परिवर्तनशील मुद्रा क्या है
जब किसी देश में पत्र मुद्रा इस प्रकार जारी की जाती है। कि उनको जनता किसी भी समय स्वर्ण अथवा रजत में परिवर्तित कर सकती हैं। तब इस प्रकार के पत्र मुद्रा को परिवर्तनशील मुद्रा कहते हैं। इस प्रकार की गारंटी दिए जाने पर जनता का विश्वास पत्र मुद्रा में बना रहता है। तथा केवल आवश्यकता पड़ने पर ही पत्र मुद्रा को बहुमूल्य धातु में परिवर्तित की जाती है।
मुद्रा का चलन कैसे शुरू हुआ
प्राचीन काल से ही सिक्के का इस्तेमाल होता आया है। लेकिन उस समय मुद्रा सोने या चांदी के होते थे। जिसकी आवश्यकता लेन-देन से महसूस हुयी। भारत में मुद्रा 1994 में छापा गया था। जो की एक रूपए का था।