कार्यालयीन हिन्दी के स्वरूप और विकास को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए
कार्यालयों में कार्यप्रणाली की एक निश्चित प्रक्रिया एवं भाषा होती है। कार्यालयों में किसी पत्र को भेजने के पहले उस पत्र की विषय-वस्तु के साथ एक संक्षिप्त आलेख तैयार कर लिया जाता है।
कार्यालय के उच्च अधिकारी द्वारा अनुमोदित आलेख को पत्र के रूप में दूसरे कार्यालय में भेजा जाता है। आलेख तैयार करने के लिए लेखन की सृजनात्मक कला में प्रवीण होना आवश्यक है। यह लगातार अभ्यास से धीरे-धीरे कार्यालयीन भाषा से परिचित होकर समस्त प्रकार के पत्र व्यवहार में प्रवीणता प्राप्त की जा सकती है।
आलेख में औपचारिकता के साथ हृदय-पक्ष के रूप में पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है। दो स्वतंत्र संस्थाओं या निकायों द्वारा प्रेषित पत्र व्यवहार की भाषा ही कार्यालयीन भाषा कहलाती है।
कार्यालय में भेजे जाने वाले पत्रों की रूपरेखा या मसौदा तैयार करना होता है । प्रारूप एवं आलेख शब्द का प्रयोग अंग्रेजी के ड्राफ्टिंग का सामान्य अर्थ है। कभी-कभी संस्था के महत्वपूर्ण गोपनीय एवं उन्हीं से संबंधित आलेख को उच्च अधिकारी स्वयं तैयार कर लेते हैं।
जहाँ तक कार्यालयीन हिन्दी के स्वरूप एवं विकास का सवाल है, तकनीक के विकास के साथ-साथ इसके स्वरूप में एवं प्रवृत्ति में भी परिवर्तन आया है। परम्परागत स्वरूप इसका विलुप्त होते जा रहा है। मेल, व्हाट्सअप, ट्विटर आदि का भी उपयोग होने के कारण परम्परागत प्रारूप को नजरअंदाज किया जाने लगा है।
आने वाले समय में इसके स्वरूप में और ज्यादा परिवर्तन देखने को मिलेगा। परिपत्र, ज्ञापन, आदेश, अधिसूचना, अनुस्मारक, प्रतिवेदन, पृष्ठांकन, आदि सरकारी या कार्यालयीन पत्रों का रूप तकनीक की आवश्यकता के अनुरूप निश्चिततौर पर बदलेगा।
Post a Comment
Post a Comment