प्राकृतिक संसाधन क्या है - Natural Resources in hindi

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हमे जीवित रहने के लिए कई वस्तुओ की आवश्यकता होती हैं। जिसका हम अपने अनुशार उपयोग करते हैं। जैसे पानी को पीने नहाने व अन्य कार्यों मे उपयोग करते हैं। इस प्रकार जल एक संसाधन हैं। आगे संसाधन के प्रकार और उसकी विशेषता के बारे मे चर्चा किया गया हैं।

प्राकृतिक संसाधन क्या है

प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं। जो पहले से प्रकृति में मौजूद हैं। इसमें वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोग, सौंदर्य मूल्य, वैज्ञानिक रुचि और सांस्कृतिक मूल्य जैसी मूल्यवान विशेषताओं के स्रोत शामिल होते हैं।

पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधन के कुछ उदाहरण में सूर्य का प्रकाश, वातावरण, जल, भूमि, सभी खनिजों के साथ सभी वनस्पति और पशु शामिल होते हैं। प्राकृतिक संसाधन हमारी प्राकृतिक विरासत का हिस्सा होते हैं या प्रकृति के भंडार में संरक्षित होते हैं।

प्राकृतिक संसाधनों को विभिन्न तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है। प्राकृतिक संसाधन सामग्री और घटक के आधार पर पर्यावरण के भीतर पाया जाता है।

प्राकृतिक संसाधन क्या है - Natural Resources in hindi

प्रत्येक मानव निर्मित वस्तुए प्राकृतिक संसाधनों से बना होता है। एक प्राकृतिक संसाधन एक अलग इकाई के रूप में मौजूद हो सकता है जैसे कि पानी, हवा, मछली आदि। कई संसाधन को प्राप्त करने के लिए वस्तुओं को संसोधित करना पड़ता है। जैसे कि धातु अयस्क, दुर्लभ तत्व, पेट्रोलियम और ऊर्जा के अधिकांश रूप।

प्राकृतिक संसाधन के प्रकार

होमो सेपियन्स पहली बार लगभग 200 हजार साल पहले पृथ्वी पर दिखाई दिए थे। और तब से, हम जीवित रहने के लिए आवश्यक चीजों के लिए प्रकृति माँ पर निर्भर हैं। 

मनुष्य को हवा, पानी, पौधों और जानवरों से भोजन, सूरज की रोशनी, खनिज, भूमि, मिट्टी और जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता होती है। इन सभी उपयोगी कच्चे माल को प्राकृतिक संसाधन कहा जाता है।

इन प्राकृतिक संसाधनों को वर्गीकृत करने के कई तरीके हैं। वे जैविक या अजैविक हो सकते हैं। संसाधनों के वर्गीकरण का एक अन्य तरीका मानव उपभोग के लिए उपलब्ध संसाधनों की मात्रा है। इसके माध्यम से संसाधनों को संपूर्ण और अटूट प्राकृतिक संसाधनों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

1. असीमित प्राकृतिक संसाधन

प्रकृति ने हमें हवा, पानी और धूप जैसे संसाधनों की असीमित आपूर्ति का आशीर्वाद दिया है। इन संसाधनों को अक्षय संसाधन कहा जाता है। इन्हें नवीकरणीय संसाधन भी कहा जाता है।

2. सीमित प्राकृतिक संसाधन

जैसे-जैसे मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है, हम आज 7.4 बिलियन की संख्या तक पहुंच गए हैं। स्वाभाविक रूप से, इसका मतलब है कि हम अधिक से अधिक प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं। 

अगर हम इस दर से आगे बढ़ते हैं, तो हम जल्द ही एक ऐसे दिन पर पहुंच जाएंगे, जब प्रकृति हमें पौधे और पेड़, जानवर, खनिज अयस्क, जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे संसाधन उपलब्ध नहीं करा पाएगी। इस प्रकार, ये संसाधन सीमित हैं। इन संसाधनों को अनवीकरणीय संसाधन भी कहा जाता है।

यदि इन संसाधनों के उपयोग की सावधानीपूर्वक नहीं किया गया, तो यह भविष्य मे समाप्त हो सकते हैं।। यही कारण है कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि कौन से संसाधन समाप्त हो सकते हैं। 

प्राकृतिक संसाधन का संरक्षण एवं प्रबंधन

प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्राकृतिक संसाधनों जैसे भूमि, पानी, मिट्टी, पौधों और जानवरों का प्रबंधन है। जिसमें इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है कि प्रबंधन वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए जीवन की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करता है।

प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन उस तरीके से संबंधित है जिसमें लोग और प्राकृतिक परस्पर क्रिया करते हैं। यह प्राकृतिक विरासत प्रबंधन, भूमि उपयोग, जल प्रबंधन, जैव-विविधता संरक्षण, और कृषि, खनन, पर्यटन, मत्स्य पालन और वानिकी जैसे उद्योगों की भविष्य की स्थिरता को एक साथ लाता है। 

लोग और उनकी आजीविका स्वास्थ्य और उत्पादकता पर निर्भर करती है। स्वास्थ्य और उत्पादकता को बनाए रखने में प्रकृति का प्रबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

प्राकृतिक संसाधन की विशेषता

सभी संसाधनों में कुछ बुनियादी विशेषताएं होती हैं। सभी संसाधन उपयोगी होते हैं। कुछ विशेष स्थिति में एक संसाधन दूसरे की तुलना में अधिक उपयोगी हो सकते हैं। लेकिन इन संसाधनों की कुछ बुनियादी विशेषताएं हैं।

प्राकृतिक संसाधन प्रकृति में पाई जाने वाली मूल्यवान चीजें हैं। यह अक्षय संसधान हो सकता है। जैसे हवा, धूप, लकड़ी या गैर-नवीकरणीय संसधान तेल, कोयला, सोना आदि।

संसाधन विकास को बड़वा देता हैं। उदाहरण के लिए, खदानों या तेल के कुओं का निर्माण जहा होता हैं। वह आवश्यक बुनियादी ढांचे में सुधार भी किया जाता हैं, जैसे किसड़कों का निर्माण आदि।

प्रौद्योगिकी ने प्राकृतिक संसाधनों के संचयन की क्षमता में वृद्धि की है। आर्थिक विकास ने प्राकृतिक संसाधनों की मांग में भारी वृद्धि की है और संसाधनों के लिए व्यापार और वितरण मार्ग भी प्रदान किए हैं।

प्राकृतिक संसाधन के नाम

जैविक संसाधन

  1. जनसंख्या
  2. वानिकी
  3. मछली
  4. कोयला
  5. तेल
  6. प्राकृतिक गैस

अजैविक संसाधन

  1. सोना
  2. तांबा
  3. मैंगनीज
  4. जस्ता
  5. लौह अयस्क
  6. क्रोमाइट
  7. लिथियम

प्राकृतिक संसाधन का वर्गीकरण

सभी प्राकृतिक जैव-अजैव तत्व जिनका मानव उपयोग करता है, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं। इस तरह की संसाधनों को सामान्यतः दो वर्गों में रखा जा सकता है 

  1. जैविक संसाधन
  2. अजैविक संसाधन

जैविक संसाधन - जैविक संसाधन जीवमंडल से प्राप्त होते हैं, जैसे कि जंगल और जानवर, और वे सामग्री जो उनसे प्राप्त की जा सकती हैं। कोयला और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन को भी इस श्रेणी में शामिल किया गया है क्योंकि वे सड़ने वाले कार्बनिक पदार्थों से बनते हैं।

उदाहरण - वनस्पति - फल, फूल, रेशे, गोंद, रॉल, पत्तियाँ, छालें, लकड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ आदि। जीव-जन्तु - दूध, ऊन, बीट, खाल, सींग, हड्डी, मांस, चर्बी आदि। नभ, थल, जल के सभी जीव-जन्तुओं से प्राप्त वस्तुएँ।

अजैविक संसाधन - अजैविक संसाधन वे हैं जो निर्जीव, अजैविक पदार्थों से प्राप्त होते हैं। अजैविक संसाधनों के उदाहरणों में भूमि, ताजा पानी, वायु, दुर्लभ-पृथ्वी तत्व और भारी धातुएं शामिल हैं, जैसे सोना, लोहा, तांबा, चांदी, आदि।

उदाहरण - खनिज, भूमि, मृदा, जल, वायु, सूर्य ताप, प्रकाश आदि।

इसके अतिरिक्त भी प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण किया जा सकता है, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित प्रकार हैं। 

प्रकृति एवं उपयोगिता के आधार पर -

  1. समाप्य संसाधन
  2. असमाप्य संसाधन

समाप्य संसाधन

वे प्राकृतिक संसाधन जो उपयोग के पश्चात् समाप्त हो जाते हैं, समाप्य संसाधन कहलाते हैं, साधारणतया खनिज संसाधन इसी श्रेणी में आते हैं, जैसेकोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, नमक आदि को जितना उपयोग में लाते हैं उतना सदा के लिए नष्ट हो जाता है। 

इनके विपरीत सोना, चाँदी, लौह अयस्क, ताँबा आदि ऐसे खनिज हैं, जिनकी मूल रासायनिक संरचना को जब तक नष्ट नहीं किया जाता, तब तक इनके बार-बार उपयोग किये जाने की सम्भावना बनी रहती है।

भारत में पाये जाने वाले प्रमुख समाप्य संसाधनों को पुनः दो वर्गों में बाँटा जाता है—(अ) धात्विक खनिज, तथा (ब) अधात्विक खनिज । धात्विक खनिज - लौह अयस्क, मैंगनीज, क्रोमाइट, सीसा, निकल, टंगस्टन, कोबाल्ट, सोना, चाँदी, ताँबा, ऐल्युमिनियम आदि हैं। 

धात्विक खनिजों का पुनः उपविभाजन किया जाता है (अ) लौहयुक्त धात्विक खनिज एवं (ब) अलौह युक्त धात्विक खनिज । जिन धात्विक खनिजों में लौह अंश पाया जाता है, उन्हें लौह युक्त धात्विक खनिज कहते हैं, जिनमें लौह अंश नहीं पाया जाता, उन्हें अलौह धात्विक खनिज कहते हैं । 

अधात्विक खनिज - अभ्रक, चूने का पत्थर, संगमरमर, जिप्सम, डोलोमाइट, पोटाश, नमक, कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम, थोरियम आदि हैं। भारत में इन खनिज निक्षेपों का वितरण बहुत असमान है। 

उत्तर भारत का मैदान खनिजों से पूर्णतः रिक्त है, जबकि दक्षिण भारत का पठार, विशेषत: छोटा नागपुर का पठार, (झारखंड एवं उड़ीसा) खनिजों के विशाल भण्डार हैं। इसलिए यह क्षेत्र “भारत का खनिज हृदय स्थल ” के नाम से जाना जाता है। 

छोटा नागपुर का पठार विश्व के प्रमुख खनिज क्षेत्रों में से एक है। इस खनिज क्षेत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि उद्योगों के मूल आधार खनिज लौह अयस्क एवं कोयला दोनों ही यहाँ एक-दूसरे के निकट पाये जाते हैं, जो औद्योगिक विकास के लिए वरदान है। 

इसके अतिरिक्त पूर्व में असम तथा पश्चिम में राजस्थान के कुछ भागों में भी खनिज पाये जाते हैं। इस प्रकार सारे प्रायद्वीप में उत्तरी मैदान को छोड़कर खनिजों का निक्षेप पाया जाता है।

असमाप्य संसाधन 

सौर्यिक ऊर्जा, वायु, जल, भूमि, मृदा, वनस्पतियाँ, कृषि उपजें, चारागाह, जीव-जन्तु आदि असमाप्य संसाधन की श्रेणी में आते हैं, क्योंकि ये उपयोग के पश्चात् समाप्त नहीं होते, इसलिए इन्हें असमाप्य संसाधन कहते हैं। इनमें से कुछ संसाधन ऐसे हैं, जिनका जीवन चक्र चलता रहता है। 

जल वाष्प-जल बनने की प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है इसलिए इसे चक्रीय संसाधन भी कहते हैं। कुछ संसाधनों का उपयोग कर, उसके बीज से उसे पुनः उसी अवस्था में कुछ ही समय में लाया जा सकता है, 

जैसे - वनस्पतियाँ, उपज, वन, जीव-जन्तु। ऐसे संसाधनों को 'नव्यकरणीय संसाधन' कहते हैं । इन सभी प्राकृतिक सम्पदाओं से मानव अन्योन्य क्रियाएँ कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

प्राकृतिक संसाधनों को वर्गीकृत करने के विभिन्न तरीके हैं। इनमें उत्पत्ति का स्रोत, विकास का चरण और उनकी नवीकरणीयता शामिल है।

विकास के चरण को ध्यान में रखते हुए, प्राकृतिक संसाधनों को निम्नलिखित चार तरीकों से संदर्भित किया जा सकता है।

संभावित संसाधन - संभावित संसाधन वे हैं जिनका भविष्य में उपयोग किया जा सकता है - उदाहरण के लिए, तलछटी चट्टानों में पेट्रोलियम, जो कि ड्रिल आउट और उपयोग में आने तक एक संभावित संसाधन बना रहता है

वास्तविक संसाधन - वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया गया है, मात्रा निर्धारित की गई है और योग्य हैं, और वर्तमान में विकास में उपयोग किए जाते हैं, जैसे लकड़ी प्रसंस्करण, और आमतौर पर प्रौद्योगिकी पर निर्भर हैं

आरक्षित संसाधन - वास्तविक संसाधन का वह भाग जिसे भविष्य में लाभप्रद रूप से विकसित किया जा सकता है

स्टॉक संसाधन - जिनका सर्वेक्षण किया गया है, लेकिन प्रौद्योगिकी की कमी के कारण उपयोग नहीं किया जा सकता है - उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन। 

प्राकृतिक संसाधन का महत्व

हमारी सभी सामग्री अंततः प्राकृतिक संसाधनों के अंतर्गत आती है। उदाहरण के लिए, कोयला, तेल, मिट्टी, जल, भूमि, खनिज, वन और इमारती लकड़ी और वायु आदि। 

पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों की भूमिका वास्तव में अनिवार्य है। यही कारण है कि हम सभी के लिए कुछ जवाबदेही होना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें अपने पर्यावरण की रक्षा और सम्मान करने की आवश्यकता है। क्योंकि प्रकृति हमे देती है हमसे वह कुछ मांगती नहीं हैं। हमे बस वातावरण को दूषित करने से बचना चाहिए। 

1. प्राकृतिक संसाधन पर्यावरण संतुलन बनाए रखने और जरूरतों को पूरी तरह से संतुष्ट करने में मदद करती है।

2. पौधों और जानवरों से औद्योगिक सामग्री और जैविक सामग्री की एक विस्तृत श्रृंखला, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उत्पादन और दवा के निर्माण में उपयोग की जाती है।

3 . किसी भी देश के विकास के लिए संसाधन महत्वपूर्ण होते हैं। उदाहरण के लिए, ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए, किसी को जीवाश्म ईंधन की आवश्यकता होती है। और औद्योगिक विकास के लिए हमें खनिज संसाधनों की आवश्यकता होती है।

4. प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग ने सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दिया है। इसके सदुपयोग से विकाश की दर तेजी से बढ़ती हैं। 

5. प्राकृतिक संसाधन निश्चित मात्रा में उपलब्ध हैं और वे गैर-नवीकरणीय हैं,

6. बढ़ती जनसंख्या के साथ प्राकृतिक संसाधन दुर्लभ होते जा रहे हैं, इसलिए इनका संरक्षण आवश्यक है। यह हमें और साथ ही हमारी भावी पीढ़ी को प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण उपयोग करने के लिए सशक्त बनाता है।

7. वे कृषि, व्यापार, आयात और निर्यात आदि को समृद्ध करके देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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