संक्षिप्ति वस्तुतः मनुष्य की निरन्तर सहजता की ओर जाने की प्रकृति का परिचायक है। संक्षिप्ति का अर्थ शब्दों के संक्षिप्त रूप से है। ये शब्दों के वे संकेत या चिन्ह है जो बाद में शब्दों की तरह प्रयुक्त होते हैं । संक्षिप्ति का कोशगत अर्त अल्पाक्षर, शब्द, संक्षेप शब्द संकेत, शब्द संकेत, संकेत चिन्ह है। इसका प्रयोग संकेत - अक्षर के अर्थ में भी किया जाता है।
संक्षिप्ति अंग्रेजी शब्द एब्रीवियेशन’ का हिन्दी अनुवाद है। संक्षिप्ति शब्दों के संकेत या चिन्ह है, जो कालान्तर में अपने आप में शब्दों की तरह प्रयुक्त होते हैं । ये इतने सर्वमान्य प्रचलित, लुभावने और सुविधाजनक होते है कि लोगों द्वारा इनके शब्द प्रायः भुला दिये जाते हैं,
जैसे - समय के लिए अंग्रेजी में AM (प्रात:) तथा PM (शाम) इस प्रकार की संक्षिप्तियाँ बी. ए., एम. ए., भेल, द्रमुक, युजीसी, नाटो, सी.पी.एम., सी.पी.आई., सी.आई.ए., जी.पी.ओ., सी.जे., सी.आई, डी.टी.ए., डी.ए., टी.वी. आदि हैं। ध्यान रहे कि संक्षिप्ति में संक्षेप चिन्ह (.) धीरे-धीरे लुप्त हो जाता है और संक्षिप्ति अपने आप में एक स्वतन्त्र शब्द बन जाता है, जो अपने मूल शब्द के अर्थ को सम्पूर्णतः वहन और व्यक्त करता है।
संक्षिप्ति की विशेषताएँ लिखिए
आज ज्ञान-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सभ्यता के युग में समयाभाव के कारण मनुष्य अपने भावों एवं विचारों को कम-से-कम शब्दों में व्यक्त करना चाहता है। यही कारण है कि बड़े-बड़े शब्दों की जगह उनके संक्षिप्त रूप को समाज में रुचिपूर्वक आत्मसात् कर लिया गया है।
(1) भाषायी अभिव्यक्ति का सरल रूप है।
(2) स्वतन्त्र शब्द के रूप में प्रयुक्त होते हैं।
(3) संरचना व अर्थ में पूर्ण होते हैं ।
(4) मूल शब्द के अर्थ को धारण करते हैं ।
(5) शब्द प्रकरण का एक भाग है ।
(6) मूल शब्द के संकेतक एवं परिचायक हैं।
(7) भाषा में व्यवधान उत्पन्न नहीं करती वरन् उसे सरल बनाती है ।
(8) अत्यधिक लोकप्रिय एवं लोकसम्मत होती है।
(9) वैज्ञानिक व तकनीकी दृष्टि से उपयोगी है।
(10) अल्पाक्षर, शब्द संक्षेप, शब्द संकेत आदि इसके अन्य प्रचलित नाम हैं।
संक्षिप्ति के रूप
संक्षिप्ति को दो रूपों में विभाजित किया जा सकता है
- मौखिक संक्षिप्ति
- लिखित संक्षिप्ति
मौखिक संक्षिप्ति में संक्षिप्ति का जो रूप बोलचाल में रहता है, वह उसी रूप में लिखा जाता है, जैसे, द्रमुक, यू.जी.सी., जेपी, किन्तु लिखित संक्षिप्ति में जो लिखा जाता है वह वैसे पढ़ा नहीं जाता अपितु मूल शब्द ही पढ़ा या बोला जाता है। जैसे भोविप्रा - भोपाल विकास प्राधिकरण, वि. वि. - विश्वविद्यालय
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