सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी पत्र में अन्तर - sarkari aur ardh sarkari patra mein antar

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सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी पत्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

शासकीय पत्र लेखन की एक विशिष्ट और निर्धारित शैली है, जिसका हमेशा ध्यान रखा जाता है। इसके निम्नलिखित प्रमुख अंग हैं

सरनामा, पत्र संख्या, पत्र- प्रेषक का नाम, प्रेषिति का नाम, प्रेषक का कार्यालय स्थल और दिनांक, संक्षिप्त विषय संकेत, संदर्भ, संबोधन, पत्र का मूल विषय, पत्र का प्रारम्भिक अंश, विषय का स्पष्टीकरण, उपसंहार, हस्ताक्षर व पदनाम अर्द्ध सरकारी पत्र विभिन्न सरकारी अधिकारियों के बीच होता है। 

यह किसी भी अधिकारी के पास उसके व्यक्तिगत नाम से भेजा जाता है। इस पत्र का उद्देश्य अधिकारियों की व्यक्तिगत सम्मति जानना, जानकारी या सूचना पाना तथा विचार विमर्श का आदान प्रदान करना होता है। 

अर्द्ध-सरकारी पत्र उत्तम पुरुष में लिखा में जाता है। संबोधन में प्रिय लिखा जाता है। पत्र के अन्त में स्वनिर्देश विनम्र भाव को व्यक्त करता है। इसमें प्रेषित अधिकारी अपना हस्ताक्षर ही करता है। पद के नाम का उल्लेख नहीं किया जाता है।

सरकारी एवं अर्द्ध-सरकारी पत्र में अन्तर

(1) शासकीय अथवा सरकारी पत्र प्रायः विदेशी सरकारों, राज्य सरकारों, सम्बद्ध तथा मातहत कार्यालयों, सार्वजनिक निकायों आदि को लिखे जाते हैं, जबकि अर्द्धसरकारी पत्र प्राय: केन्द्र सरकार द्वारा अपने विभाग के अधिकारियों द्वारा किसी अन्य विभाग के व्यक्ति को व्यक्तिगत ध्यान किसी विशेष बिन्दुओं पर आकर्षित करने हेतु प्रेषित किये जाते हैं।

( 2 ) सरकारी पत्रों में औपचारिकता अधिक होती है, परन्तु अर्द्ध- सरकारी पत्रों में औपचारिकता के साथसाथ अनौपचारिकता भी होती है।

(3) शासकीय पत्र के सम्बोधन में महोदय' शब्द का प्रयोग होता है, परन्तु अर्द्ध शासकीय पत्र में प्रिय, प्रियवर के साथ नाम अथवा उपनाम का भी प्रयोग रहता है।

(4) सरकारी पत्र में 'मुझे निर्देश हुआ है' या 'मुझे आदेश हुआ है' पदावली का प्रयोग कलेवर के रूप में जुड़ा रहता है।

(5) शासकीय पत्र में प्रेषक अपने हस्ताक्षर एवं पद का उल्लेख करता है, परन्तु अर्द्ध- शासकीय पत्र में प्राय: केवल हस्ताक्षर ही किया जाता है।

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