व्याकरणिक कोटि का अर्थ क्या है - vyakarnik koti

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व्याकरण उस विधा अथवा शास्त्र का नाम है जिसके द्वारा हम किसी भाषा के शुद्ध बोलने, लिखने तथा पढ़ने का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। 

देवेन्द्र नाथ शर्मा ने व्याकरणिक कोटियों को परिभाषित करते हुए लिखा है कि व्याकरणिक कोटियों का उद्देश्य भाषा में अभिव्यंजना संबंधी सूक्ष्मता और निश्चयात्मकता लाना है। 

व्याकरण का उद्देश्य ही भाषा को व्यवस्थित करना है। व्याकरण भाषा संबंधी शास्त्र है। किसी भी भाषा के स्वर व्यंजनों का सही उच्चारण कर वाक्यादि विन्यास का ज्ञान व्याकरण ही कराता है। हिन्दी भाषा का भी अपना विशिष्ट व्याकरण एवं उसकी कोटियाँ हैं। जो निम्नानुसार हैं

1. विकारी 

संज्ञा -                           

  1. व्यक्ति वाचक
  2. जाति वाचक
  3. भाव वाचक 
  4. समूह वाचक
  5. धातु वाचक

सर्वनाम - 

  1. पुरुष वाचक
  2. निश्चय वाचक
  3. अनिश्चय वाचक
  4. सम्बन्ध वाचक
  5. सम्बन्ध वाचक
  6. प्रश्न वाचक

विशेषण - 

  1. सार्वनामिक
  2. गुण वाचक
  3. संख्या वाचक
  4. परिमाण वाचक
  5. गणना वाचक

क्रिया -

  1. सकर्मक
  2. अकर्मक
  3. प्रेरणार्थक 

 2. अविकारी

  1. क्रिया विशेषण
  2. संबंध बोधक
  3. समुच्चय बोधक
  4. विस्मयादि बोधक।

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