ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य - british pradhanmantri ki shaktiyan avn karya

ब्रिटेन के शासन में कैबिनेट ही वास्तविक शासक है, परन्तु उसमें भी प्रधानमन्त्री का महत्त्वपूर्ण स्थान है। ब्रिटेन के प्रशासन में प्रधानमन्त्री प्रमुख स्थिति रखता है। वह प्रशासन की धुरी है। जॉन मार्ले के शब्दों में प्रधानमन्त्री कैबिनेट रूपी मेहराब की आधारशिला है। 

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियां एवं कार्य

कैबिनेट के निर्माण में प्रधानमन्त्री ही केन्द्रीय शक्ति है। वह न केवल मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। किसी भी मन्त्री को त्यागपत्र देने के लिए विवश कर सकता है और स्वयं अपना वरन्  त्यागपत्र देकर कैबिनेट को ही नष्ट कर सकता है।

प्रधानमंत्री की नियुक्ति - प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राजा द्वारा होती है, परन्तु राजा द्वारा नियुक्ति केवल औपचारिकता है। संवैधानिक परम्पराओं के अनुसार राजा प्रधानमन्त्री की नियुक्ति में स्वतन्त्र नहीं है। परम्पराओं के अनुसार सामान्य निर्वाचनों के समाप्त होने पर कॉमन सभा में जिस राजनीतिक दल का बहुमत होता है, उसके नेता को ही राजा द्वारा मन्त्रिमण्डल बनाने के लिए आमन्त्रित करता है।

ब्रिटेन में एक परम्परा यह विकसित हुई कि प्रधानमन्त्री कॉमन सभा में से ही नियुक्त हो। जैनिंग्स ने कॉमन सभा में से प्रधानमन्त्री की नियुक्ति की परम्परा को उचित ठहराते हुए लिखा है प्रधानमन्त्री की अंगुलियाँ संसद की नब्ज पर रहनी चाहिए।

निम्नलिखित परिस्थितियों में राजा, प्रधानमन्त्री की नियुक्ति में अपने स्वविवेक का प्रयोग कर सकता है। 

  1. जब कॉमन सभा में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो।
  2. ऐसा भी हो सकता है जब कॉमन सभा में बहुमत दल का नेता स्पष्ट न हो।
  3. जब देश में किसी कारणवश मिश्रित सरकार बनाया जाना आवश्यक हो।

प्रधानमंत्री की शक्तियां और उत्तरदायित्व

1937 के मिनिस्टर्स ऑफ दी क्राउन एक्ट द्वारा प्रधानमन्त्री के पद को कानूनी मान्यता मिल गयी है, फिर भी प्रधानमन्त्री की शक्तियाँ और उसकी मर्यादा दोनों ही अभिसमयों पर आधारित है। ग्लैडस्टोन और डिजरायली ने प्रधानमंत्री पद का गौरव बढ़ाया है, ब्रिटिश प्रधानमन्त्री अमेरिकन राष्ट्रपति के समान शक्तिशाली होता है।

प्रधानमन्त्री जिसे संसद का बहुमत प्राप्त है। ऐसे कार्य कर सकता है, जिन्हें जर्मनी का शासक और अमेरिका का राष्ट्रपति भी नहीं कर सकता है। प्रधानमन्त्री को इतनी विस्तृत शक्तियाँ प्राप्त है कि संसार के किसी अन्य संवैधानिक शासक को प्राप्त नहीं है। 

वह उन कार्यों को कर सकता है। जिन्हें कोई भी राष्ट्रपति नहीं कर सकता। वह वचन दे सकता है कि अमुक प्रकार की सन्धि कर ली जायेगी और स्वीकृत हो जायेगी, अमुक विधि संसद द्वारा पारित हो जायेगी और अमुक धनराशि संसद द्वारा स्वीकृत कर ली जायेगी।

ब्रिटिश प्रधानमन्त्री की शक्तियों व उत्तरदायित्वों का वर्णन इस प्रकार है -

1. प्रधानमन्त्री कैबिनेट की आधारशिला - प्रधानमन्त्री कैबिनेट का अध्यक्ष होता है। ब्रिटेन की कैबिनेट राज्य रूपी जहाज को चलने वाला पहिया है, तो प्रधानमन्त्री उस पहिये को चलाता है। मुनरो कहता है। कोई व्यक्ति यह नहीं जानता और न जानने का प्रयत्न करता है कि मन्त्रीगण कहाँ रहते हैं।

प्रधानमन्त्री ही अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है। मन्त्रियों को नियुक्त करते समय उसे अनेक बातों को ध्यान में रखना होता है। कैबिनेट के निर्माण में न तो संसद और न ही दलीय कार्यपालिका का उसके ऊपर दबाव रहता है। वह अपने दल के प्रमुख सदस्य को भी सरकार से बाहर रख सकता है। दूसरी ओर वह संसद के बाहर से भी मन्त्री नियुक्त कर सकता है।

    प्रधानमन्त्री ही अपने साथियों के बीच विभागों का वितरण करता है। इसीलिए विभागों का वितरण करते समय उसे अपने साथियों की रुचि का ध्यान रखना चाहिए, फिर भी विभागों के वितरण में उसकी इच्छा सर्वोपरि होता है। 
      प्रधानमंत्री मन्त्रिमण्डल में जब चाहे तब और जैसे चाहे वैसे परिवर्तन कर सकता है। यदि कोई मन्त्री प्रधानमन्त्री के निर्णय को नहीं मानता तो न केवल उसी संसद के काल में वरन सदैव के लिए मन्त्री बनना उसके लिए कठिन ही होता है।
        प्रधानमन्त्री, अन्य मन्त्रियों को पद से हटा सकता है। किसी मन्त्री से असन्तुष्ट होने पर वह त्यागपत्र माँग सकता है।कैबिनेट का अध्यक्ष होने के नाते प्रधानमन्त्री कैबिनेट की बैठकों का सभापति भी होता है। केवल सभापतित्व ही नहीं, वह यह भी निर्णय करता है कि कैबिनेट की बैठक कब हो, किन प्रस्तावों पर विचार होगा, बैठक के लिए कार्य-सूची भी तैयार कराता है।
          प्रधानमन्त्री पर विदेश विभाग नहीं होता, फिर भी इस विभाग पर उसका बहुत प्रभाव रहता है। देश की विदेश नीति के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण घोषणा प्रधानमन्त्री ही करता है। कैबिनेट में अथवा विभिन्न विभागों के मन्त्रियों के बीच जब किसी प्रश्न पर कोई मतभेद हो जाता है, तो उसे प्रधानमन्त्री ही दूर करता है ।
            प्रधानमन्त्री का पद अविभागीय होता है, इसलिए समस्त कैबिनेट का निरीक्षण व निर्देशन प्रधानमन्त्री का ही कार्य है। वे अन्य मन्त्रियों को उनके विभागों के सम्बन्ध में परामर्श देता है। प्रधानमन्त्री वस्तुतः सरकार के व्यापार का प्रधान होता है। कोई भी मन्त्री अपनी योजना के सम्बन्ध में प्रधानमन्त्री से पूर्व परामर्श आवश्यक रूप से लेता है।
              प्रधानमन्त्री का राष्ट्रीय कोष पर भी पूर्ण नियन्त्रण रहता है। बजट यद्यपि वित्तमन्त्री तैयार करता है, फिर भी अन्तिम रूप से प्रधानमन्त्री ही बजट के लिए उत्तरदायी होता है। प्रधानमन्त्री कैबिनेट सचिवालय पर भी नियन्त्रण रखता है। शासन की सभी महत्त्वपूर्ण नियुक्तियाँ उसके परामर्श पर होती हैं।
                प्रधानमन्त्री का एक कार्य यह भी है कि वह कैबिनेट में एकता व सुदृढ़ता बनाये रखे। प्रधानमन्त्री एक अन्तरंग कैबिनेट का निर्माण भी करता है, जिसमें इसके विश्वसनीय साथी होते हैं। प्रायः सभी मुख्य और महत्त्वपूर्ण मामलों पर निर्णय यही कैबिनेट करती है। 

                2. प्रधानमन्त्री राजा का प्रधान सलाहकार  - प्रधानमन्त्री राजा का सलाहकार भी है। प्रधानमन्त्री राजा और मन्त्रियों के बीच वार्ता की कड़ी है। वह कैबिनेट के निर्णयों को राजा तक और राजा के सन्देश मन्त्रियों तक पहुँचाता है। प्रधानमन्त्री का यह भी कार्य है कि वह राजा या रानी को सभी महत्त्वपूर्ण राजकीय प्रपत्र भेजे, क्योंकि राजा को उस प्रत्येक कार्य से परिचित होने का अधिकार है, जिसके लिए उसके मन्त्री उत्तरदायी हैं।

                प्रधानमन्त्री की सलाह पर ही राजा कॉमन सभा को भंग कर सकता है। प्रधानमन्त्री राजा को न केवल यूनाइटेड किंगडम के मामलों में वरन् ब्रिटिश उपनिवेशों व राष्ट्रमण्डलीय देशों के मामलों में भी परामर्श देता है। इसमें राजा की विदेश यात्रा भी सम्मिलित हैं। 

                प्रधानमन्त्री बाल्डविन तो राजा को उनके व्यक्तिगत मामलों में भी परामर्श देते थे, उन्होंने राजा एडवर्ड अष्टम को श्रीमती सिम्पसन से विवाह न करने का परामर्श दिया था। प्रधानमन्त्री इस विषय को कैबिनेट के सम्मुख उसी समय ले गये थे, जबकि उनके और राजा के बीच इस विषय पर मतभेद गम्भीर हो गया था।

                3. प्रधानमन्त्री कॉमन सभा का नेता - प्रधानमन्त्री कॉमन सभा का नेता है। यद्यपि आज शासन का कार्य बहुत अधिक बढ़ जाने के कारण प्रधानमन्त्री अपने किसी वरिष्ठ साथी को कॉमन सभा का नेता मनोनीत कर देता है। 

                फिर भी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए कॉमन सभा प्रधानमन्त्री की ओर ही देखती है। प्रधानमन्त्री के इस क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण कार्य इस प्रकार हैं। 

                • प्रधानमन्त्री ही कॉमन सभा का कार्यक्रम निश्चित करता है।
                • प्रधानमन्त्री ही संसदीय एजेंडा निश्चित करता है।
                • प्रधानमन्त्री संसद के अधिवेशन का समय निश्चित करता है।
                • प्रधानमन्त्री सदन में महत्त्वपूर्ण नीतियों की घोषणा करता है।
                • रक्षा विभाग,विदेश और गृह विभाग जैसे महत्त्वपूर्ण मामलों पर वह विवाद प्रारम्भ करता है।

                4. प्रधानमन्त्री दल का नेता -  प्रधानमन्त्री कॉमन सभा में बहुमत दल का नेता होता है, इसी नाते वह प्रधानमन्त्री नियुक्त होता है। वह दल पर नियन्त्रण रखता है तथा दल में अनुशासन रखता है। दल की बैठकों में महत्त्वपूर्ण निर्णय उसी के परामर्श से होते हैं। प्रधानमन्त्री के तीन कर्त्तव्य होते हैं - अपने राजा के प्रति, देश के प्रति तथा अपने दल के प्रति यह निश्चित करना कठिन है कि इनमें प्राथमिकता का क्या क्रम होगा।

                5. विदेशी शक्तियाँ - सभी अन्तर्राष्ट्रीय सन्धियाँ व समझौते उसी के द्वारा किये जाते हैं। वह किसी देश को वचन दे सकता है कि अमुक सन्धि कर ली जायेगी और उसे कॉमन सभा से स्वीकृत करा लिया जायेगा। अनेक अवसरों पर प्रधानमन्त्री अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेता है, लॉर्ड बीकन्स फील ने बर्लिन सम्मेलन में लॉर्ड जार्ज ने 'पेरिस शान्ति सम्मेलन' में, चैम्बरलेन ने म्यूनिख सम्मेलन में भाग लिया था। जिसके फलस्वरूप म्यूनिख संधि हुआ था।

                6. प्रधानमन्त्री की संकटकालीन शक्तियाँ - युद्ध के दौरान प्रधानमन्त्री की शक्तियाँ बहुत बढ़ जाती हैं। वह युद्धकाल में ब्रिटेन की आशाओं का केन्द्र बिन्दु बन जाता है। युद्ध संचालन में वह युद्ध-नीति निर्धारित करने में कॉमन सभा से व् कैबिनेट से भी स्वतन्त्र हो जाता है।

                लॉर्ड जार्ज ने युद्ध के दौरान स्वेच्छा से 'इम्पीरियल बार कान्फ्रेंस का अधिवेशन बुलाया और कैबिनेट की सहमति लिये बिना कॉमन सभा में इसकी घोषणा की। चर्चिल ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बिना कैबिनेट की सहमति लिये रूस को प्रत्येक सहायता देने का वचन दिया था।

                7. संरक्षण और उपाधियाँ  - प्रधानमन्त्री उपाधियाँ तथा पदवियाँ भी प्रदान करता है। यद्यपि यह कार्य राजा की ओर से होता है, परन्तु निर्णय प्रधानमन्त्री का ही होता है। समस्त महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियाँ प्रधानमन्त्री के ही द्वारा होती हैं। जैसे - राजदूत, औपनिवेशक राज्यों के गवर्नर-जनरल, न्यायाधीश, बिशप तथा सार्वजनिक सेनाओं के अन्य महत्त्वपूर्ण अधिकारी।

                8. प्रधानमन्त्री की विविध शक्तियाँ  - प्रधानमन्त्री ब्रिटिश जनता का नेता है। जनता न केवल उसका सम्मान करती है और भाषणों को सुनने के लिए उत्सुक रहती है, वरन् ब्रिटेन के सामान्य निर्वाचनों में प्रधानमन्त्री मुख्य हस्ती होता है। ब्रिटेन का सामान्य निर्वाचन वास्तव में वैकल्पिक प्रधानमन्त्रियों में से एक के लिए लोक निर्णय ही होता है। एक सामान्य निर्वाचन मुख्यः एक प्रधानमन्त्री का निर्वाचन बन गया है। निर्दलीय मतदाता जो निर्वाचन का निर्णय करते हैं। वे न किसी दल का समर्थन करते हैं और न किसी नीति का, वे तो एक नेता का ही समर्थन करते हैं।

                प्रधानमन्त्री की स्थिति 

                स्पष्ट है कि प्रधानमन्त्री की शक्तियाँ अत्यधिक विस्तृत हैं। विस्तृत ही नहीं, उसकी शक्तियाँ वास्तविक हैं। वह ब्रिटेन का राजनीतिक शासक है। राजा का मुख्य परामर्शदाता होने के नाते उसकी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमन्त्री ही करता है। कॉमन सभा में अपना बहुमत होने के समय तक वह न केवल इच्छानुसार विधि-निर्माण व संविधान में संशोधन करा सकता है, वरन् दूसरे देशों से समझौते कर सकता है। और सन्धि युद्ध की घोषणा कर सकता है।

                संसार में शायद ही अन्य किसी पद को उतने अधिकार हों, जितने ब्रिटिश प्रधानमन्त्री को प्राप्त हैं। उसकी शक्तियाँ एक अनियन्त्रित शासक सी दिखाई देती है। जिसके कारण सरकार के स्थान पर प्रधानमन्त्री को ही सरकार कहा जाने लगा है, युद्ध काल में मन्त्रिमण्डलीय शासन प्रधानमन्त्री के शासन में बदल रहा है।

                जैनिंग्स महोदय के अनुसार प्रधानमन्त्री तारों में चन्द्रमा नहीं वह तो वास्तव में सूर्य है, जिसके चारों ओर ग्रह चक्कर लगाते रहते हैं। निःसन्देह ब्रिटिश प्रधानमन्त्री ऐसी शक्ति का प्रयोग करता है, जिस पर दूसरे राज्यों में राजनीतिक नेताओं को ईर्ष्या हो सकती है।

                अतः जब तक वह प्रधानमन्त्री रहता है, उसका कोई साथी उससे मुकाबला करने का साहस नहीं करेगा। इसलिए वह समानों में प्रथम कैसे कहा जा सकता है। सामान्यतः तो जो प्रधानमन्त्री अपने कार्य ठीक प्रकार से करता है और जो अपने दल में लोकप्रियता कायम रखता है, वह उस कैबिनेट में दृढ़ स्थिति रखता है।

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