सिक्किम पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य है। इसकी सीमा उत्तर पूर्व मे चीन, पूर्व में भूटान, पश्चिम में नेपाल और दक्षिण में पश्चिम बंगाल से लगती है। सिक्किम भारत का दूसरा सबसे छोटा राज्य है। सिक्किम अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है। सिक्किम मे स्थित कंचनजंगा भारत की सबसे ऊंची चोटी है।
सिक्किम भारत का राज्य कब बना
सिक्किम 16 मई, 1975 को भारत का एक राज्य बना। इससे पहले, सिक्किम 1947 के बाद भारत के अधीन एक राजशाही और संरक्षित राज्य था। 1975 में, एक जनमत संग्रह के बाद, जिसमें सिक्किम के अधिकांश लोगों ने राजशाही को समाप्त करने के लिए मतदान किया, यह आधिकारिक तौर पर भारत का 22वाँ राज्य बन गया।
सिक्किम की राजधानी गंगटोक हैं। यह पूर्वी सिक्किम जिले का मुख्यालय है। गंगटोक 1,650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शहर में भूटिया, लेप्चा और भारतीय गोरखा जैसी विभिन्न जातियां रहती हैं।
हिमालय की ऊंची चोटी में बसा गंगटोक सिक्किम के पर्यटन उद्योग का केंद्र है। 1840 में एन्ची मठ के निर्माण के बाद गंगटोक एक लोकप्रिय बौद्ध तीर्थ स्थल बन गया हैं। 1894 में राजधानी को गंगटोक में स्थानांतरित किया था। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में गंगटोक तिब्बत और कोलकाता में हो रहे व्यापार का मुख्य पड़ाव था।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
सिक्किम 17वीं शताब्दी से एक राजशाही रहा है, जिस पर नामग्याल राजवंश का शासन था। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान, ब्रिटिश भारत और चीन के बीच एक संधि के बाद, सिक्किम 1890 में ब्रिटिश राज के तहत एक संरक्षित राज्य बन गया। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, सिक्किम ने अपनी विशेष स्थिति को बनाए रखने और तुरंत भारतीय संघ में शामिल नहीं होने का विकल्प चुना। इसके बजाय, यह 1950 में एक औपचारिक समझौते के माध्यम से भारत के अधीन एक संरक्षित राज्य बन गया। भारत सिक्किम के बाहरी मामलों, रक्षा और संचार को संभालेगा, जबकि आंतरिक प्रशासन चोग्याल (राजा) के नियंत्रण में रहेगा।
लोकतंत्र की मांग
समय के साथ, सिक्किम के लोगों में राजनीतिक असंतोष बढ़ता गया। आबादी, जिसमें जातीय नेपाली, लेप्चा और भूटिया शामिल थे, ने लोकतांत्रिक सुधारों की मांग शुरू कर दी। चोग्याल के शासन को सामंती और निरंकुश माना जाता था, और 1960 और 70 के दशक में विपक्षी आंदोलनों को बल मिला। भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों और अंततः एकीकरण के लिए समर्थन भी बढ़ रहा था, खासकर बहुसंख्यक नेपाली भाषी आबादी के बीच।
1973 में निर्णायक बिंदु तब आया, जब चुनावों में धांधली के आरोपों के कारण राजशाही के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। इन विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व सिक्किम राष्ट्रीय कांग्रेस ने किया, जिसने राजशाही के अंत और पूर्ण लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग की। भारत सरकार ने मध्यस्थता करने के लिए हस्तक्षेप किया, और चोग्याल, भारत सरकार और सिक्किमी राजनीतिक दलों के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के कारण प्रशासनिक सुधार हुए, जिसमें भारत द्वारा नामित एक मुख्य कार्यकारी की नियुक्ति भी शामिल थी।
जनमत संग्रह
सुधारों के बावजूद, राजशाही और लोकतंत्र समर्थक समूहों के बीच तनाव जारी रहा। अप्रैल 1975 में, सिक्किम विधानसभा ने राजशाही को समाप्त करने और भारत के साथ पूर्ण एकीकरण का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। 14 अप्रैल, 1975 को एक जनमत संग्रह हुआ, जिसमें 97% से अधिक मतदाताओं ने भारत के साथ विलय और चोग्याल के शासन के अंत का समर्थन किया।
जनमत संग्रह के बाद, भारतीय संसद ने जल्दी से 36वाँ संविधान संशोधन पारित किया, जिसने औपचारिक रूप से सिक्किम को भारत का एक राज्य बना दिया। 16 मई, 1975 को, सिक्किम आधिकारिक तौर पर भारतीय संघ का 22वाँ राज्य बन गया। राजशाही को समाप्त कर दिया गया, और भारतीय संविधान के अनुरूप लोकतांत्रिक संस्थाएँ स्थापित की गईं।
सामरिक महत्व
सिक्किम का एकीकरण भारत के लिए महत्वपूर्ण सामरिक महत्व रखता था, खासकर इसलिए क्योंकि यह संवेदनशील भारत-चीन सीमा के पास स्थित है। पिछले कुछ वर्षों में सिक्किम एक शांतिपूर्ण और प्रगतिशील राज्य के रूप में तब्दील हो गया है, जो अपने पर्यावरण प्रयासों, जैविक खेती, पर्यटन और उच्च साक्षरता दर के लिए जाना जाता है। आज सिक्किम इस बात का अनूठा उदाहरण है कि कैसे ऐतिहासिक राज्यों को लोकतांत्रिक भारत में शांतिपूर्ण तरीके से एकीकृत किया गया, जो देश की विविधता और एकता को दर्शाता है।