प्रागैतिहासिक काल किसे कहते हैं

प्रागितिहास, जिसे हम पूर्व-साहित्यिक या लेखन-पूर्व इतिहास भी कहते हैं, मानव सभ्यता की वह प्रारंभिक अवस्था है, जब मनुष्यों ने अभी तक लेखन प्रणाली का विकास नहीं किया था। यह काल लगभग 3.3 मिलियन वर्ष पहले से आरंभ होता है, जब हमारे पूर्वजों ने पत्थर के औजारों का उपयोग करना शुरू किया था। यह समय वैज्ञानिक दृष्टि से 'पाषाण युग' के रूप में जाना जाता है। प्रागितिहास की समाप्ति लेखन प्रणालियों के विकास और उनके व्यापक उपयोग से मानी जाती है, जो लगभग 5,000 वर्ष पहले प्रारंभ हुआ था।

प्रागैतिहासिक काल किसे कहते हैं

हालाँकि, यह कहना उचित नहीं होगा कि लेखन के अभाव में मनुष्यों के पास संप्रेषण (संवाद) के कोई साधन नहीं थे। प्रागैतिहासिक मानव प्रतीकों, चित्रों, संकेतों और गुफा चित्रों के माध्यम से अपनी बातों को प्रकट करता था। विश्वभर में गुफाओं की दीवारों पर बने चित्रों और प्रतीकों से यह सिद्ध होता है कि मानव ने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को अभिव्यक्त करने के लिए अनेक रचनात्मक तरीकों का उपयोग किया। फ्रांस की लास्को गुफाओं और भारत की भीमबेटका की चित्रकारी इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

सबसे प्रारंभिक लेखन प्रणालियाँ, जैसे कि मेसोपोटामिया की सुमेरियन 'क्यूनिफॉर्म' लिपि और मिस्र की 'हायरोग्लिफिक' लिपि लगभग 3,000 ईसा पूर्व में विकसित हुईं। इन लिपियों के माध्यम से प्रशासन, व्यापार, धार्मिक कार्यों और ऐतिहासिक घटनाओं को रिकॉर्ड किया जाने लगा। हालांकि, इन प्रणालियों का प्रयोग शुरू में केवल कुछ विशेष वर्गों—जैसे पुरोहित, शासक वर्ग या व्यापारी—द्वारा ही किया जाता था।

लेखन प्रणालियों को सार्वभौमिक रूप से अपनाने में सदियाँ लग गईं। विश्व के विभिन्न भागों में लेखन की शुरुआत और उसका प्रसार अलग-अलग समय पर हुआ। भारत में सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500 ईसा पूर्व) की लिपि अभी तक पूरी तरह पढ़ी नहीं जा सकी है, जिससे यह काल भी प्रागैतिहास और इतिहास के बीच की एक कड़ी के रूप में देखा जाता है। चीन, मेसोअमेरिका और अन्य क्षेत्रों में भी स्वतंत्र रूप से लेखन प्रणालियाँ विकसित हुईं।

19वीं शताब्दी तक लेखन का प्रसार अधिकांश संस्कृतियों और समाजों में हो चुका था। शिक्षा और मुद्रण तकनीक के विकास ने लेखन को जनसामान्य तक पहुँचाया। इसी कारण प्रागितिहास का अंत सभी स्थानों पर एकसमान नहीं माना जाता—जहाँ लेखन पहले आया, वहाँ प्रागितिहास जल्दी समाप्त हुआ, और जहाँ देर से पहुँचा, वहाँ यह युग लंबा चला।

इस प्रकार, प्रागितिहास मानव जाति के विकास की वह महत्वपूर्ण यात्रा है, जिसमें उसने संचार, रचना, समाज और संस्कृति की नींव रखी। यह कालचक्र न केवल हमारे पूर्वजों की रचनात्मकता और जिज्ञासा को दर्शाता है, बल्कि आज की सभ्यता की नींव भी है।

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