हमारी मातृभाषा क्या है

भारत न केवल सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह भाषाई विविधता के मामले में भी विश्व में विशिष्ट स्थान रखता है। हमारा देश एक ऐसा बहुभाषी राष्ट्र है जहाँ सैकड़ों भाषाएँ और हजारों बोलियाँ बोली जाती हैं। भारत को किसी एक “मातृभाषा” से परिभाषित करना संभव नहीं है, क्योंकि यहाँ की भाषाई विविधता उसकी आत्मा और पहचान का प्रतीक है।

हमारी मातृभाषा क्या है

भारत के संविधान में हिंदी को केंद्र सरकार की राजभाषा के रूप में मान्यता दी गई है। इसके साथ ही, अंग्रेज़ी को भी सरकारी कार्यों और संचार के लिए सहायक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। यह द्वैभाषिक व्यवस्था देश के प्रशासन, न्याय और उच्च शिक्षा में एक सेतु का कार्य करती है, खासकर जब विभिन्न भाषाओं के लोग आपस में संवाद करते हैं।

हालाँकि, हिंदी व्यापक रूप से देश के उत्तरी और मध्य भागों में बोली जाती है, लेकिन भारत की भाषाई विविधता केवल हिंदी तक सीमित नहीं है। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को आधिकारिक मान्यता दी गई है, जिनमें शामिल हैं:
हिंदी, बंगाली, तेलुगु, मराठी, तमिल, उर्दू, गुजराती, मलयालम, कन्नड़, उड़िया, पंजाबी, असमिया, मैथिली, कश्मीरी, नेपाली, संथाली, सिंधी, डोगरी, मणिपुरी, बोडो, कोंकणी और संताली।

इन भाषाओं के अलावा, भारत में 300 से अधिक भाषाएँ और 2,000 से अधिक बोलियाँ प्रचलन में हैं। हर राज्य की अपनी एक या अधिक राज्य-स्तरीय आधिकारिक भाषाएँ हो सकती हैं, जो वहाँ की संस्कृति, इतिहास और पहचान से जुड़ी होती हैं। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु में तमिल, महाराष्ट्र में मराठी, पश्चिम बंगाल में बंगाली, और केरल में मलयालम को प्रमुखता दी जाती है।

भारत के हर कोने में भाषा का स्वरूप अलग है। उत्तर भारत में जहाँ हिंदी की विभिन्न उपबोलियाँ—जैसे भोजपुरी, अवधी, ब्रजभाषा—बोली जाती हैं, वहीं दक्षिण भारत में द्रविड़ भाषाओं—जैसे तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम—का वर्चस्व है। पूर्वोत्तर भारत में अनेक आदिवासी और क्षेत्रीय भाषाएँ प्रचलित हैं, जिनमें बोडो, मिज़ो, खासी, और गारो जैसी भाषाएँ शामिल हैं।

भारत की भाषाएँ न केवल संचार का माध्यम हैं, बल्कि ये साहित्य, संगीत, लोककला, परंपराओं और धार्मिक विचारों की वाहक भी हैं। हर भाषा अपने भीतर एक सम्पूर्ण संस्कृति को समेटे हुए होती है।

भाषा की यह विविधता भारत को एक जीवंत लोकतंत्र बनाती है जहाँ हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा में शिक्षा, अभिव्यक्ति और संस्कृति के संरक्षण का अधिकार प्राप्त है। भारतीय संविधान भी इस विविधता को सम्मान देता है और इसके संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

इस प्रकार, भारत की भाषाई समृद्धि न केवल उसकी पहचान है, बल्कि उसकी सबसे बड़ी ताकत भी है, जो "एकता में अनेकता" की भावना को सजीव बनाती है।

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