राष्ट्रभाषा - कोई भी देश 'राष्ट्र' की संज्ञा नहीं प्राप्त कर सकता। यदि उसकी अपनी राष्ट्रभाषा नहीं हो। किसी राष्ट्र के अधिकांश लोगों द्वारा व्यवहार की जाने वाली भाषा राष्ट्रभाषा कहलाती है। एक देश अथवा राष्ट्र के विभिन्न प्रान्तों के लोग भिन्न भाषा बोलते हैं।
अतः उनसे सम्पर्क साधने के लिए राष्ट्रभाषा का ही आश्रय लिया जाता है। इस आधार पर राष्ट्रभाषा, सम्पर्कभाषा बन जाती है। राष्ट्रभाषा - सम्पूर्ण राष्ट्र में प्रचलित होती है। उसे बोलने या समझने वाले राष्ट्र के सभी प्रान्तों में रहते हैं।
डॉ. द्वारिका प्रसाद सक्सेना ने लिखा है- जो भाषा किसी राष्ट्र के भिन्न-भिन्न भाषा-भाषियों के पारस्परिक विचार-विनिमय का साधन बनती हुई सम्पूर्ण राष्ट्र में भावात्मक एकता का सूत्रधार बनती है। उसे राष्ट्रभाषा कहते हैं।
यह राष्ट्र का प्रतीक होती है। उसी को विदेशी राष्ट्रों में सम्मान दिया जाता है। इसमें सम्पूर्ण राष्ट्र की अन्तरात्मा विद्यमान रहती है।
अंग्रेजों के शासन के कारण अंग्रेजी अघोषित रूप में यहाँ राष्ट्रभाषा बन गई थी । अमेरिका एवं आस्ट्रेलिया में अंग्रेजों का शासन रहा। इन दोनों देशों की राष्ट्रभाषा अंग्रेजी है। राष्ट्रभाषा अपने ही देश की भाषा हो - ऐसी जरूरी नहीं माना जाता।
हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा संवैधानिक रूप में घोषित तो कर दी गई है। परन्तु अंग्रेजी अभी भी साथ-साथ चल रही है।
स्वतंत्रता के पश्चात् केवल 15 वर्षों के लिए अंग्रेजी को हिन्दी की सहभाषा के रूप में मान्यता दी गई थी परन्तु दक्षिण भारत के हिन्दी विरोध के कारण अनिश्चित काल तक मान्यता मिल गई है।