Showing posts with the label Hindi Grammar

पर्यायवाची शब्द किसे कहते है - paryayvachi shabd in hindi

वे शब्द होते है जिसका अर्थ सामान या एक जैसे होते है। उदहारण : सूर्य के लिए प्रयोग किये जाने वाले शब्द सूर्य, दिनकर, भानु, सूरज आदि है। अर्थात किसी शब्द-विशेष के लिए प्रयुक्त समानार्थक शब्दों क…
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चोरी और प्रायश्चित निबंध से हमें क्या सीख मिलती है

चोरी और प्रायश्चित' शीर्षक निबंध गाँधी जी द्वारा लिखित वह महत्वपूर्ण अनुभव का सार हैं जीवन में घटित घटनाओं का भले ही लघु रूप है किन्तु इन घटनाओं ने उनके भविष्य की दिशा को भी प्रशस्त किया है। '…
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भारत भारती कविता की व्याख्या - मैथिलीशरण गुप्त

निम्नलिखित पद्यांशों की व्याख्या कीजिए 1. कठिनाइयों के मध्य अध्यवसाय का उन्मेष हो,  जीवन सरल हो, तन सबल हो, मन विमल सविशेष हो ॥ छूटे कदापि न सत्य पथ निज देश हो कि विदेश हो, अखिलेख का आदेश हो जो बस व…
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सखि वसंत आया कविता की व्याख्या - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

सखी, वसंत आया भरा हर्ष वन के मन,  नवोत्कर्ष छाया। किसलय-वसना नव-लय लतिका मिली मधुर प्रिय-उत्तर तरु-पतिका मधुप - वृन्द बन्दी पिक स्वर नभ सर आया।  संदर्भ - प्रस्तुत पद्यावतरण महाकवि पं. सूर्यकान्त त्रि…
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वर दे वीणावादिनी वर दे कविता का अर्थ - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

वर दे, वीणावादिनी वर दे !  भारत में भर दे।  काट अन्ध उर के बन्धन स्तर  बहा जननि, ज्योतिर्मय निरक्षर  कलुष-भेद, तम हर प्रकाश भर  जगमग जग कर दे !  प्रिय स्वतन्त्र - रव अमृत मन्त्र नव  सन्दर्भ - प्रस्तु…
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हिन्दी के सुमनों के प्रति पत्र कविता - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

मैं जीर्ण-साज बहु छिद्र आज,  मैं हूँ केवल पदतल-आसन,  तुम सहज विराजे महाराज।  ईर्ष्या कुछ नहीं, मुझे, यद्यपि,  मैं ही बसंत का अग्रदूत,  ब्राह्मण समाज में ज्यों अछूत मैं रहा आज यदि पार्श्वच्छवि।  तुम स…
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तोड़ती पत्थर कविता की व्याख्या - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

वह तोड़ती पत्थर, देखा उसे मैंने इलाहाबाद के पथ पर। वह तोड़ती पत्थर, कोई न छायादार, पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार, श्याम तन, प्रिय-कर्म-रत मन। गुरु हथौड़ा हाथ, करती बार-बार प्रहार, सामने तरु-मलिका अ…
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बादल कविता की व्याख्या - सुमित्रानन्दन पन्त

1. कभी चौकड़ी भरते मृग से भरपूर चरण नहीं धरते,  मत मजगंज कभी झूमते सजग शशक नभ को चलते। संदर्भ  - प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ पन्त जी की प्रसिद्ध कविता 'बादल' से अवतरित की गई है।  प्रसंग  - प्र…
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छायावाद क्या है – chhayavad kise kahate hain

छायावादी कविता हिन्दी साहित्य में अपना विशिष्ट महत्व रखती है। डॉ. गोविन्दराय शर्मा के शब्दों में, आधुनिक हिन्दी साहित्य में छायावाद का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्तमान हिन्दी साहित्य की यह एक विशिष्ट प्र…
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आधुनिक कविता की विशेषताएं - adhunik hindi kavita ki visheshta

आधुनिक कविता की विशेषताएँ  आधुनिक हिन्दी कविता की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -  1. यथार्थता  आधुनिक हिन्दी यथार्थ की प्रधानता है। यथार्थानुभूति ने आधुनिक हिन्दी कविता को नवीन चेतना प्रदान की। …
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सुमित्रानंदन पंत की काव्यगत विशेषताएँ लिखिए

पन्तजी प्रमुखतः तथा मूलतः प्रेम, सौन्दर्य और जीवन की कोमलतम भावनाओं के ऐसे कवि हैं, जिनमें सुकुमारता अपनी चरम सीमा पर विद्यमान है। पन्तजी का जन्म ही रोमाण्टिक युग में हुआ। स्वर्गीय प्रसादजी ने जिस यु…
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परिवर्तन कविता की व्याख्या - सुमित्रानंदन पंत

1. खोलता इधर जन्म लोचन, अभी उत्सव और हास हुलास  अभी अवसाद अश्रु, उच्छवास!  अचिरता देख जगत की आप  शून्य भरता समीर निःश्वास, डालता पातों पर चुपचाप  ओस के आँसू नीलाकाश; सिसक उठता समुद्र का मन, सिहर उठत…
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ध्वनि विस्तारक यंत्र पर रोक लगाने हेतु आवेदन पत्र

ध्वनि विस्तारक यंत्र पर रोक लगाने हेतु आवेदन पत्र लिखने के लिए अक्सर परीक्षा मे आता हैं। यदि आपके मोहल्ले मे यह समस्या आ रही हैं तो आप अपने जिलाधीश को इस बारे मे पत्र लिख सकते हैं। जिसका प्रारूप नीचे…
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भारत माता कविता का अर्थ - सुमित्रानंदन पंत

1.भारतमाता ग्रामवासिनी  खेतों में फैला है श्यामल  धूल भरा मैला सा आँचल गंगा-यमुना में आँसू जल मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी।। संदर्भ  - प्रस्तुत कविता की पंक्तियाँ पन्तजी की प्रसिद्ध रचना भारतमाता से अ…
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माखनलाल चतुर्वेदी की कविता । संदर्भ, प्रसंग, व्याख्या

बलि पंथी से कविता 1. मत व्यर्थ पुकारे शूल-शूल, कह फूल-फूल सह फूल-फूल,  हरि को ही तल में बन्द किए, केहरि के कह नख हूल-हूल ।  कागों का सुन कर्तव्य राग, कोकिल ककलि को भूल-भूल ।  सुरपुर …
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