प्रयोगवाद और नयी कविता के कवियों में अज्ञेय जी का योगदान महत्वपूर्ण है। यह आलोचक अज्ञेय को एक प्रबुद्ध कलाकार से अधिक प्रयोगवाद प्रवर्तक मानते हैं। अज्ञेय की काव्यगत विशेषता अज्ञेय का पूरा …
कविता में कवि की हर्ष-विषादमयी अनुभूतियों को रसात्मक रूप प्रदान किया जाता है। सृष्टि की इस विकासात्मक प्रवृत्ति में मानव और प्रकृति का सम्बन्ध चिरन्तन है। प्रकृति आदिकाल से ही काव्य को रह गया …
छायावाद की पृष्ठभूमि बड़ी व्यापक, सुदृढ़ और प्रभावशाली है। इसमें जिन रचनाकारों ने योगदान दिए उनमें कविवर माखनलाल चतुर्वेदी का स्थान अत्यन्त सम्माननीय और उल्लेखनीय स्वीकृत हुआ है। यह इसलिए…
जनता पर जादू चला राजे के समाज का लोक नारियों के लिए रानियाँ आदर्श हुईं धर्म का बढ़ावा रहा धोखे से भरा हुआ लोहा बजा धर्म पर, सभ्यता के नाम पर खून की नदियाँ बहीं आँख-कान मूँदकर जनता ने डु…
आधूनक विद्वानों एवं बुद्धिजीवियों में आचार्य नरेन्द्र देव का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। विभिन्न विश्वविद्यालयों में आचार्य और कुलपति जैसे सम्मानजनक पदों को वे सुशोभित करते रहे हैं। …
द्विवेदीयुगीन कविता की अमर विभूतियों में श्री मैथिलीशरण गुप्त की गणना की जाती है। उन्होंने प्राचीन परम्पराओं की रूढ़ियों को त्यागकर युग के अनुरूप नवीन विचार एवं भाव ग्रहण किये। 'साकेत' के द्व…
भारतीय संस्कृति की तात्विक विशेषताओं को अपने प्रबन्ध काव्यों के माध्यम से व्याख्यायित करने और अपनी रचनाओं के द्वारा राष्ट्र भक्ति का आह्वान करने के कारण मैथिलीशरण गुप्त 'राष्ट्र कवि ' के रूप …
निराला जी 'यथा नाम तथा गुण' के सबल प्रमाण थे। उन्हें उनके निराले व्यक्तित्व के कारण सरलता से पहचाना जा सकता था। जिस ओर भी उनकी लेखनी चली, उधर ही से विजयी होकर लौटी। उन्होंने अपने निराले व्यक…
बिराला जी के काव्य में पर्याप्त विविधता दिखाई देती है। इसके लिए हम निम्न उदाहरण दे सकते हैं। मानव का प्रकृति से अटूट सम्बन्ध है । उसको जीवन की समग्र प्रेरणाएँ प्रकृति से ही प्राप्त होती हैं इतना ही न…
श्रीकान्त वर्मा ऐसे कवि हैं जिन्हें युग की विडम्बनाओं, विकृतियों और विसंगतियों का गहरा अहसास है पर उनमें भावावेश, आक्रोश और उत्तेजना उस मात्रा में नहीं है जो इस काल के अन्य कवियों में लक्षित ह…