महादेवी वर्मा का प्रकृति चित्रण में प्रकृति चित्रण -अन्य रहस्यवादी और प्रयावादी कवियों के समान महादेवी जी ने भी अपने काला प्रकृति के सुंदर चित्र प्रस्तुत किए हैं। उन्हें प्रकृति में अपने प्रिय का आभा…
1 आधुनिक एकाकी एक स्वतन्त्र विधा के रूप में प्रगति कर रही है। वैसे तो भारत के प्राचीन काव्य में इसका संकेत मिलता है। जैसे-अंक, वीथी, प्रहसन आदि किन्तु आधुनिक एकांकी को इनसे जन्मी विधा नहीं माना जाता।…
विषय की गंभीरता के साथ शुक्ल जी भाषा की गंभीरता और गठन पर भी पूरा ध्यान देते थे। उनकी भाषा अत्यधिक शक्तिशाली और सुगठित है। इसमें परिवर्तन की कोई गुंजाइश नहीं। उनका प्रत्येक शब्द उनके चिन्तन की…
महादेवी वर्मा के गद्य की भाषा और शैली पर विचार किए बिना उनके गध की विशेषताओं का अध्ययन अधूरा रहेगा। महादेवी वर्मा के रेखचित्रों में एक प्रकार का कहानीपन होता है। “अतीत के चलचित्र" और "स्मृत…
हिन्दी के सुप्रसिद्ध एकांकीकार भुवनेश्वर द्वारा लिखा गया 'स्ट्राइक' एक श्रेष्ठ एकांकी है। इसमें लेखक की कलम का जादू स्पष्ट दिखाई देता है। श्रीचन्द्र इसी एकांकी का प्रमुख पात्र है। वह एक धनी व…
राहुल सांकृत्यायन जी की साहित्यिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं - (1) राहुल जी के साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता मनोरंजकता है। राहुल जी आरंभ से ही रोचकता के समर्थक रहे थे। यह विशेषता उनकी साहित्यि में ही नह…
एकांकी विधा का प्रारम्भ तो भारतेन्दु युग से स्वीकार किया जाता है। क्योंकि इस समय राष्ट्रीय, सामाजिक, धार्मिक एवं हास्य-व्यंग्ययुक्त अनेक एकांकी या प्रहसन लिखे गये। भारतेन्दु जी ने स्वयं भारत दुर्दशा&…
संस्कृत और हिन्दी नाटकों में प्रायः ऐसा व्यक्ति किसी नाटक का नायक माना जाता था। जो धीरोत्वाद हो, प्रतिभाशाली हो, वीर हो और विशेष व्यक्तिगत का स्वामी हो। किन्तु प्रस्तुत नामा नायक एक ऐसा व्यक्ति है, …
अंधेर नगरी एक जीवन सार्थक व समकालीन रचना है। इसका बहुत कुछ श्रेय इस नाटक की भाषा को है। इस नाटक की भाषा नितान्त हरकत भरी जीवन्त सक्रिय, उच्चरित शब्द की ध्वनियों और वाक्यों का सौंदर्य लिए हुए है। संवा…
क्रोध निबंध आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जी द्वारा लिखा गया है। इस निबन्ध में आचार्य शुक्ल ने क्रोध की उत्पत्ति, क्रोध की आवश्यकता, क्रोध का स्वरूप, क्रोध का लक्ष्य, क्रोध और चिड़चिड़ापन आदि की विवे…
यह निबन्ध उस समय लिखा गया है जब द्विवेदी जी भावना केन्द्र शान्ति निकेतन में निवास करते थे। सौभाग्य या दुर्भाग्य से उस समय बसन्त का अवसर आया। लेखक की मर्मानुभूति इतर प्रकृति पर भी जा पड़ी। वहाँ…
मिश्र जी ने अपने ललित निबन्धों द्वारा हिन्दी के निबन्ध साहित्य को अत्यधिक समृद्ध बनाया है। आपके ये निबन्ध गहन अनुभूति एवं चमत्कारपूर्ण अभिव्यक्ति के ही भण्डार नहीं हैं। अपितु इनमें लेखक ने समस…